
नोएडा के सेक्टर 93 में बने सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर (Twin Tower) दोपहर ढाई बजे जमींदोज (Demolition) कर दिया गया। 100 मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाले दोनों Twin Tower गिरने में 3700 किलो बारूद का इस्तेमाल किया गया, जिससे महज 12 सेकेंड में टॉवर ध्वस्त हो गए। दोनों टावर से करीब 80 हजार टन मलबा निकला है, जिसे उठाने में लगभग 3 महिने से अधिक का समय लगेंगा। मलबे में कॉन्क्रीट और स्टील शामिल हैं, जिसकी कीमत करीब 15 करोड़ रुपए आंकी गई है।
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बताया जाता है कि ब्लास्ट से पहले ट्विन टावर (Twin Tower) की पास की इमारतों में रहने वाले करीब 7 हजार लोगों को सुरक्षित जगह भेजा गया। एक्सप्लोजन जोन से डेढ़ किलोमीटर तक का एरिया खाली कराया गया था। विस्फोट से टावर के पास मौजूद एक सोसाइटी की बाउंड्री वॉल को नुकसान पहुंचने और शीशे टूटने की जानकारी मिली है।
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Twin Tower का मलबा 5 मंजिलों के बराबर
ब्लास्ट के बाद दोनों ट्विन टावर गिरे तो मलबे का ढेर करीब 50 से 60 फीट की ऊंचाई तक फैला नजर आया। यह ऊंचाई 5 मंजिला इमारत के बराबर है। पेड़ों और इमारतों से धूल हटाने के लिए 50 से ज्यादा फायर टेंडर्स को लगाया गया है। इलाके में पॉल्यूशन लेवल मॉनिटर करने के लिए स्पेशल डस्ट मशीनें लगाई गई हैं।
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आधा किलोमीटर तक फैली धूल
नोएडा के सेक्टर 93 में जिस जगह सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर (Twin Tower) खड़े थे, वहां ब्लास्ट के 30 मिनट बाद धूल का गुबार हटने पर खाली जगह नजर आई। इसके साथ ही टावर के पीछे बनीं इमारतें भी दिखाई देने लगीं। टावर जब ध्वस्त हुआ तो उसके बाद करीब आधा किलोमीटर के इलाके में धूल फैल गई। आधे घंटे के बाद नोएडा अथॉरिटी के अमले ने एक्सप्लोजन साइट पर मोर्चा संभाल लिया। मलबा पूरी तरह हटाने में करीब तीन महीने का समय लगेगा।
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करीबी इमारतों को हुआ नुकसान
ट्विन टावर (Twin Tower) को गिराने के लिए विस्फोट की जिस तकनीक का इस्तेमाल किया गया, उसके चलते घनी आबादी के बीच बने दोनों टावर अपनी जगह पर जमींदोज हो गए। आसपास की किसी इमारत को बड़ा नुकसान नहीं पहुंचा। कुछ बिल्डिंग्स के शीशे टूटने और एक सोसाइटी की बाउंड्री वॉल में दरार आने की बात सामने आ रही है, हालांकि नुकसान का सही आकलन सोसाइटी में रहने वाले परिवारों के लौटने के बाद ही हो सकेगा।
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Twin Tower को गिराने मे यह सावधानियां बरती गई…
- ब्लास्ट से पहले ट्विन टावर के पास की दो सोसाइटी में गैस और बिजली सप्लाई बंद कर दी गई थी।
- एक्स्प्रेस-वे के अलावा 5 और रूट भी बंद किए गए। धूल हटने के बाद ही इन्हें खोला जाएगा।
- ट्रैफिक डायवर्जन के लिए नोएडा ट्रैफिक पुलिस ने हेल्पलाइन नंबर 99710 09001 जारी किया।
- नोएडा पुलिस ने एहतियातन ग्रीन कॉरिडोर बनाए थे। 6 अस्पताल भी स्टैंडबाई पर थे।
- दोपहर 2.15 बजे एक्सप्रेस-वे को बंद किया गया। प्रशासन की सलाह पर ही इसे खोला जाएगा।
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10 मंजिल की अनुमति, लेकिन बना दिये 40 मंजिल के टॉवर
2004 में नोएडा अथॉरिटी ने सुपरटेक को हाउसिंग सोसाइटी बनाने के लिए प्लॉट अलॉट किया था। 2005 में बिल्डिंग प्लान मंजूर हुआ। इसमें 10 मंजिल के 14 टावर बनाने की इजाजत थी। 2006 में सुपरटेक ने प्लान में बदलाव कर 11 मंजिल के 15 टावर बना लिए। नवंबर 2009 में प्लान फिर बदलकर 24 मंजिल के दो टावर शामिल कर लिए गए। मार्च 2012 में 24 मंजिल को बढ़ाकर 40 कर लिया। जब रोक लगी, तब तक इनमें 633 फ्लैट बुक हो चुके थे।
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हाईकोर्ट ने 8 साल पहले दिया था ट्विन टावर (Twin Tower) गिराने का आदेश
टावर से सटी एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी के रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन प्रेसिडेंट उदयभान सिंह तेवतिया ट्विन टावर (Twin Tower) का मामला कोर्ट में ले गए थे। उन्होंने 2012 में अवैध निर्माण के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट ने 2014 में ट्विन टावर को अवैध घोषित कर गिराने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों ने यहां फ्लैट बुक किए हैं, उन्हें 14 ब्याज के साथ उनका पैसा लौटाया जाए।
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सुप्रीम कोर्ट ने भी अगस्त 2021 में दिया था गिराने का आदेश
सुपरटेक बिल्डर ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया और 31 अगस्त 2021 को आदेश दिया कि तीन महीने के अंदर यानी नवंबर 2021 को टावर गिरा दिए जाएं। नोएडा अथॉरिटी ने कोर्ट में कहा कि 22 मई 2022 तक ये काम कर लिया जाएगा। आखिर में इसकी तारीख 28 अगस्त 2022 तय हुई। याचिका लगाने वाले तेवतिया के मुताबिक, टावर टूटने के के फायदे 3 महीने बाद दिखने लगेंगे।
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Twin Tower में 9800 छेद, हर छेद में करीब 1400 ग्राम बारूद
एडिफाइस के डायरेक्टर उत्कर्ष माहेश्वरी के मुताबिक सुपरटेक का एक टावर 29 और दूसरा 32 मंजिला है। दोनों टावरों में 9800 छेद किए गए। हर छेद में करीब 1400 ग्राम बारूद डाला गया। कुल 3700 किलो बारूद इस्तेमाल हुआ। इसमें 325 किलो सुपर पावर जेल, 63,300 मीटर सोलर कार्ड, सॉफ्ट टयूब, जिलेटिन रॉड, 10,900 डेटोनेटर और 6 कएऊ शामिल हैं। इस पर करीब 17.55 करोड़ रुपए खर्च हुए। यह खर्च भी सुपरटेक से ही लिया जाएगा।
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दो कंपनियों से करार, एक साउथ अफ्रीका की
ट्विन टावर (Twin Tower) गिराने का काम भारत की एडिफाइस और साउथ अफ्रीका की कंपनी जेट डिमोलिशन को मिला। जेट कंपनी को मुश्किल डिमोलिशन के 5 अवॉर्ड मिल चुके हैं। वह जोहान्सबर्ग में 108 मीटर ऊंची बैंक आॅफ लिस्बन की बिल्डिंग, साउथ अफ्रीका में ही एक पावर स्टेशन और राजधानी प्रिटोरिया में घनी आबादी में बने 14 मंजिला ट्विन टावर गिरा चुकी है। एडिफाइस भी गुजरात का ओल्ड मोटेरा स्टेडियम गिरा चुकी है। भारत में इससे पहले इम्प्लोसिव टेक्नीक से इतना बड़ा डिमोलिशन कभी नहीं हुआ।
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