पूर्व निगमायुक्त गुप्ता और लेखा अधिकारी आदित्य नागर का कारनामा…
नियमों के विरूद्ध ब्रिज लोन का भुगतान कर दिया सीएमआर इन्फा. प्रा.लि. को
अलखधाम काम्पलेक्स के लिए बैंक से लिया था ब्रिज लोन, आडिट विभाग ने जताई आपत्ति
उज्जैन। पूर्व नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता और अपर आयुक्त (लेखा अधिकारी) आदित्य नागर ने पद का दुरूपयोग करते हुए बैंक से लिया गया करोड़ों रूपये का ब्रिज लोन अलखधाम काम्पलेक्स के निर्माण में ना करते हुए उक्त राशि का भुगतान पानी की टंकियों के निर्माण कार्य करने वाली एजेंसी को दे दिया। जिसको लेकर आडिट विभाग ने भी आपत्ति ली है, अब देखना है कि इस गंभीर अनियमितता और टंकी निर्माण करने फर्म सीएमआर इन्फा. प्रा.लि. को आर्थिक लाभ पहुंचाने के मामले में राज्य शासन पूर्व निगमायुक्त और अपर आयुक्त आदित्य नागर पर क्या कार्यवाही करता है।
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सूत्रों के अनुसार शासन द्वारा उज्जैन नगर निगम में पदस्थ किये गये लेखा अधिकारी आदित्य नागर और पूर्व निगमायुक्त द्वारा पानी की टंकी निर्माण कार्य करने वाली फर्म सीएमआर इन्फा. प्रा.लि. को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए जो खेल खेला था, उसे आडिट विभाग ने पकड़ लिया। उल्लेखनीय है कि अलखधाम काम्पलेक्स के निर्माण कार्य को गति मिले, इस उद्देश्य से बैंक से ब्रिज लोन लिया गया, लेकिन फिर अचानक करोड़ों की इस राशि को पानी की टंकी निर्माण करने वाली फर्म सीएमआर इन्फा. प्रा.लि. को नियमों और ठहराव प्रस्ताव को दरकिनार कर भुगतान कर दिया गया। इस मामले की शिकायत जल्द ही प्रमाणों के साथ लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में करने की तैयारी विपक्ष से जुड़े पार्षद द्वारा की जा रही है।
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निगम ठहराव और शासन ने नियम दरकिनार
नगर निगम से जुड़े सूत्रों की माने तो मध्यप्रदेश शासन नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्रालय भोपाल के पत्र क्रमांक 41/वि.स./2021,दिनांक 20.01.2021 की कंडिका (5) में (अवलोकन होवे) म.प्र. शासन नगरीय विकास एवं आवास विभाग के आदेश क्रमांक 10-5/2021/18-2/ भोपाल, दिनांक 26.03.2021 से ब्रिज ऋण लेने की प्रशासकीय स्वीकृति विभिन्न शर्तों के अध्यधीन प्रदान की गई थी, इसमें बिंदु, क्रमांक (5) में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि निगम ठहराव प्रस्ताव क्रमांक 17/दिनांक 06.10.2020 में उल्लेखित योजनाओं हेतु ही प्राप्त ऋण का व्यय किया जावे यह उल्लेखनीय है कि उक्त ठहराव प्रस्ताव में पीएचई शाखा से टंकी निर्माण के भुगतान का प्रावधान नहीं रखा गया था, लेकिन उक्त कार्य हेतु मेसर्स सीएमआर. इन्फा प्रा.लि. (CMR Inf. Pvt Ltd) को स्वीकृत ऋण से भुगतान किया जाना परिक्षण में परिलक्षित हुआ है, जो कि नगरीय प्रशासन स्वीकृति के विरूद्ध है।
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मप्र नपानि अधिनियम 1956 यह कहता है…
मध्यप्रदेश नगर पालिक निगम अधिनियम-1956 एवं इस अधिनियम के अंतर्गत निर्मित म.प्र. नगर पालिक निगम रावत एप लखाण नियम-2018 क अध्याय-10 के ऋण एवं उधार लेने संबंधी विस्तृत प्रावधान वर्णित किया गया है। जिस कार्य परियोजनाओं हेतु ऋण प्राप्त किया गया है उसी पर व्यय किया जाने का निर्देश प्रदत्त है।
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3 करोड़ 19 लाख 89125 का हुआ भुगतान
बताया जाता है कि आडिट विभाग द्वारा नगर निगम को भेजे गये पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि निगम प्रशासन ने जिस उद्देश्य/ कार्य हेतु लोन (ऋण) लिया गया है, उन्ही कार्यो में ऋण व्यय हो ताकि लिए गए ऋण की उपयोगिता पूर्ण हो साथ ही मेसर्स सीएमआर. इन्फा.प्रा.लि. को लोन मद से किए गए भुगतान राशि 31989125 रूपये को तब तक आक्षेपित रखा जाता है। जब तक कि नगरीय प्रशासन विकास विभाग से स्वीकति/ निर्देशन प्राप्त न हो जावे वहीं भविष्य में इस हेतु विशेष ध्यान रखा जावे।
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अलखधाम काम्पलेक्स अब भी अधूरा
पूर्व निगमायुक्त और अपर आयुक्त (लेखा अधिकारी) आदित्य नागर की इस आर्थिक अनियमितता के कारण शहर के विकास में अहम योगदान रखने वाले अलखधाम काम्पलेक्स का निर्माण आज भी अधूरा है। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि संबंधित ठेकेदार को भुगतान नही होने के कारण काम्पलेक्स निर्माण की गति थमी हुई है। अब देखना है कि महापौर मुकेश टटवाल और नगर निगम आयुक्त रोशनसिंह इस पूरे मामले में क्या एक्शन लेते है, क्योंकि ऐसे कारनामों से निगम पूर्व में भी जांच के घेरों में आ चुका है।
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