आयुक्त अंशुल गुप्ता की रवानगी से नगर निगम में जश्न
– आयुक्त अंशुल गुप्ता की कार्यप्रणाली से ठेकेदार, अधिकारी-कर्मचारी थे परेशान
उज्जैन नगर निगम (Ujjain Municipal Corporation) आयुक्त अंशुल गुप्ता (Commissioner Anshul Gupta) को गुरूवार को आचानक हटा दिया गया, उनके स्थान पर प्रभारी आयुक्त की जिम्मेदारी महाकाल मंदिर प्रशासक एवं यूडीए के प्रभारी सीईओ संदीप सोनी (Sandeep Soni) को सौंपी गई है। आयुक्त अंशुल गुप्ता की रवानगी आदेश आते ही नगर निगम में ठेकेदारों से लेकर अधिकारियों और कर्मचारियों में खुशी छा गई और उन्होंने इसका जश्न मनाते हुए ढोल बजवाये, पटाखे भी फोड़े।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उज्जैन आगमन के ठीक पहले उज्जैन के प्रशासनिक अमले में दूसरा बड़ा बदलाव गुरूवार को उस समय दिखाई दिया, जब अचानक राज्य शासन ने नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता का तबादला आदेश जारी किया। अंशुल गुप्ता को तत्काल प्रभाव से उप सचिव भोपाल पदस्थ कर दिया गया है। वहीं उनके स्थान पर महाकाल मंदिर प्रशासक एवं यूडीए के प्रभारी सीईओ संदीप सोनी को प्रभारी आयुक्त बनाया गया है।
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धाकड़ के बाद अंशुल पर लगा अंकुश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi)11 अक्टूंबर को महाकाल लोक का लोकार्पण करने आ रहे है, उनके आगमन के पहले महाकाल मंदिर प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ को हटाया गया, इसके बाद गुरूवार को नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता की रवानगी कर राज्य शासन ने धाकड़ और अंशुल की मनमानी पर अंकुश लगाकर यह साबित कर दिया है कि विकास के कार्यों में लापरवाही, अनदेखी और मनमानी को हावी नही होने दिया जायेंगा।
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आदेश आते ही निगम में मना जश्न, पटाखे फोड़े
उज्जैन नगर निगम के इतिहास में अंशुल गुप्ता पहले ऐसे निगम आयुक्त होगे जिनका तबादला आदेश जारी होने की सूचना के बाद नगर निगम में अधिकारियों-कर्मचारियों और ठेकेदारों में खुशी छा गई। पहली बार किसी आयुक्त की रवानगी पर निगम परिसर में जश्न का माहौल दिखाई दिया। यहां कुछ लोग ढोल की थाप झूमते नजर आये तो कुछ ने पटाखे फोडकर अपनी खुशी जाहिर की। निगम परिसर में ढोल और पटाखों के वीडियों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे है।
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नगरीय प्रशासन मंत्री भी हुए नाराज
आगामी 11 अक्टूंबर को प्रधानमंत्री उज्जैन में महाकाल लोक का लोकार्पण करने आ रहे है, जिसकी तैयारियों में मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक से लेकर भोपाल और उज्जैन के आला अधिकारी जुटे हुए है, लेकिन नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता इसमें लगातार लापरवाही बरतते नजर आ रहे थे, उनकी इसी कार्यप्रणाली और पूर्व से जारी उनकी निगम गलियारों में कर्यप्रणाली की खबरे भोपाल तक पहुंच रही थी, उसी का नतीजा है कि दशहरा पर्व पर पीएम के दौरे को लेकर आयोजित समीक्षा बैठक में नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने जब आयुक्त अंशुल गुप्ता कुछ सवाल किये तो उनका रवैया ठीक नही दिखाई दिया। जिसके बाद भूपेंद्रसिंह नाराज हो गये और उनकी यहीं नाराजगी अंशुल गुप्ता के तबादले का मुख्य कारण बन गई।
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पहले सदन और पहली एमआईसी में भी रहे चर्चाओं में
नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता की अकड़ भरी कार्यप्रणाली और उनकी मनमानी का ही नतीजा रहा कि उनके कार्यकाल में नगर निगम के पहले सदन में ही उन्हें सभापति ने प्रोटोकॉल का पाठ पढ़ाया, क्योंकि वह भरे सदन में कुर्सी पर बैठकर अपनी बात रख रहे थे, इसके अलावा जब महापौर द्वारा पहली एमआईसी की बैठक बुलाई तो उसमें आयुक्त अंशुल गुप्ता ने नही जाने का निर्णय लिया और अपने अधिनस्थ को बैठक में भेज दिया, जिस पर महापौर और एमआईसी सदस्यों ने आयुक्त तक संदेश पहुंचाया कि एमआईसी बैठक में आना होगा, नही तो बैठक निरस्त कर दी जायेंगी, उसके बाद आयुक्त को बैठक में शामिल होना पड़ा था।
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कई ऐसे निर्णय जो बने विवाद का कारण…
नगर निगम आयुक्त रहते हुए अपने कार्यकाल में अंशुल गुप्ता ने कई ऐसे मनमाने निर्णय लिये जो विवादों और चर्चाओं का कारण बने, कभी अपने परिचित को स्मार्ट सिटी की गाड़ी देकर निगम के कार्यों में बाहरी व्यक्ति आकाश का हस्तक्षेप हो या फिर लोकायुक्त द्वारा टेप कांड में फंसी महिला अधिकारी को 8 महत्वपूर्ण विभागों का प्रभारी बनाने का मामला हो, ठेकेदारों से अभद्रता और धमकी भरे लहजे में बात करने का मामले ने भी काफी तुल पकड़ा था। इसके अलावा अपने अधिनस्थों के साथ उनके अभद्र व्यवहार से भी कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक परेशान थे।
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धाकड़ के यहां सेवा दे रहा पीएचई कर्मी
पूर्व महाकाल मंदिर प्रशासक गणेशकुमार धाकड़ के जलवे कहे या फिर उनकी सत्ता से जुड़े गठजोड़ जो उनके लिए नगर निगम के नियमों की भी अनदेखी की जाती रहती है। नगर निगम में अपर आयुक्त वित्त रहते हुए उनकी कार्यप्रणाली से नाराज ठेकेदारों ने शिकायते की तो उन्होंने अपना धर्मस्व विभाग प्रतिनियुक्ति लेकर सीधे महाकाल मंदिर प्रशासक का पद संभाल लिया, इस दौरान भी वह नगर निगम में हस्तक्षेप निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता के साथ करते रहे, वहीं उन पर मेहरबानी ऐसी थी कि निगम का ही सरकारी बंगला उन्होंने ले लिया था, जब मीडिया में यह मामला उजागर हुआ तो बंगला खाली कर दिया। लेकिन जब जब वह नगर निगम में भी नही है और महाकाल मंदिर में भी नही है, उसके बाद भी सूत्र बताते है कि उनके यहां काम करने पीएचईकर्मी जाते है, उक्त पीएचई कर्मी वहां रसोईये का काम संभालता है। आखिर क्या वजह है कि धाकड़ के लिए निगम से जुड़े पीएचईकर्मी की ड्यूटी लगाना पड़ी। प्रभारी नगर निगम आयुक्त संदीप सोनी को चाहिए कि वह इन विसंगतियों को सुधारे।
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