नगर निगम आयुक्त को सभापति ने सिखाया प्रोटोकॉल…
निगम सम्मेलन में आयुक्त द्वारा बैठकर चर्चा करने पर एमआईसी सदस्य तिवारी ने जताई थी आपत्ति
उज्जैन। नवनिर्वाचित महापौर, सभापति और पार्षदों के पहले अधिकारिक निगम सम्मेलन में उस समय सन्नाटा पसर गया, जब नगर निगम आयुक्त (municipal commissioner) कुर्सी पर बैठकर ही प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए सदन को एक विषय पर जानकारी दे रहे थे, तभी एमआईसी सदस्य ने निगम सभापति की आसंदी के पास पहुंचकर इस पर आपत्ति ली तो सभापति ने भी बगैर देर किये नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता को प्रोटोकॉल का पाठ पढ़ाते हुए खड़े होकर जानकारी देने की बात कह दी, फिर क्या था सदन में कुछ देर के लिए सन्नाटा छा गया।
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वैसे तो लोकसभा, राज्यसभा या फिर विधानसभा का सदन हो उसमें सभापति का प्रोटोकाल सेसबे महत्वपूर्ण होता है, जिसका पालन प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक सभी करते है, लेकिन उज्जैन नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता को शायद सदन के नियमों का भान नही रहा। नव निर्वाचित पार्षदों का गुरुवार को पहला अधिकारिक सम्मेलन था। जिसमें मौजूद महापौर, नेता प्रतिपक्ष, नेता पक्ष से लेकर सभी पार्षद जब भी सदन को संबोधित करने उठे तो उन्होंने निगम सभापति के प्रोटोकॉल का सम्मान करते हुए खड़े होकर अपनी बात रखी। लेकिन नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता ने ऐसा नहीं किया।
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आयुक्त जी.. सदन की गरिमा का ध्यान रखे
बताया जाता है कि निगम सम्मेलन के दौरान जब किसी विषय को लेकर नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता को जानकारी देने की बारी आई तो वह निगम सदन की गरिमा को भूलकर बैठे-बैठे ही जानकारी देने लगे, जिस पर एमआईसी सदस्य और वरिष्ठ पार्षद शिवेंद्र तिवारी की नजर पड़ी और उन्होंने तत्काल निगम सभापति कलावती की आसंदी के पास पहुंचकर उन्हें इसकी जानकारी दी, जिस पर तत्काल सभापति कलावती यादव ने कहां कि आयुक्त जी..सदन की गरिमा का ध्यान रखे…बैठकर नही..खड़े होकर जवाब दीजिए, यह सुनते ही सदन में एक पल के लिए सन्नाटा छा गयाऔर आयुक्त ने तत्काल खड़े होकर जवाब देना शुरू कर दिया।
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पहले सम्मेलन में ही चर्चाओं में आयुक्त
नगर निगम सूत्रों की माने तो नगर निगम आयुक्त का प्रभार संभालते हुए भले ही आयुक्त अंशुल गुप्ता को लंबा समय हो गया है, लेकिन उनके कार्यकाल का यह नगर निगम का पहला सम्मेलन था, जिसमें वह पहले ही सम्मेलन में नगर निगम सभापति का प्रोटोकाल तोड़ने को लेकर निगम गलियारों में चर्चाओं में आ गये। उल्लेखनीय है कि वैसे तो नगर निगम आयुक्त गुप्ता की कार्यप्रणाली को लेकर कई बार पहले भी वह मीडिया और अपने ही अधिनस्थों के बीच चर्चाओं में आ चुके है।
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नगर निगम आयुक्त नही मानते शासन का आदेश…!
उज्जैन। ऐसे कार्यालय अथवा संस्था जैसे प्राधिकरण, नगर निगम, नगर पंचायत आदि, जिनके अन्य स्थान पर कोई कार्यालय नही है। ऐसे कार्यालयों में पदस्थ अधिकारी-कर्मचारियों को महत्वपूर्ण एवम संवेदनशील दायित्व से मुक्त रखा जाए। यह आदेश मध्य प्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग का है। जो कि ट्रेप (रिश्वत)में पकड़े गए अधिकारी/कर्मचारियों के लिए है। लेकिन नगर निगम उज्जैन में इस आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। आदेश क्रमांक एफ.11-19/2011/1-10 सामान्य प्रशासन विभाग ने 23 फरवरी 2012 को जारी किया था, जिसका उद्देश्य यह था कि ट्रेप हुए अधिकारियों/ कर्मचारियों को महत्वपूर्ण पदों पर नही रखा जाए।
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लेकिन इसके बाद भी नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता सहायक आयुक्त नीता जैन को नगर निगम में एक नही बल्कि 8 महत्वपूर्ण विभागो की जिम्मेदारी दे रखी है, जिसकी चर्चाएं नगर निगम गलियारों में एक बार फिर शुरू हो गई है कि क्या अब महापौर और निगम सभापति सहित पार्षदगण इस पर अपनी आपत्ति लेंगे या फिर जैसा ढर्रा नगर निगम में पिछले कुछ महिनों से चल रहा है वह ऐसे ही चलता रहेंगा। उल्लेखनीय है कि सहायक आयुक्त नीता जैन को रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त ने मार्च 2021 में रंगेहाथ पकड़ा था, तब नीता जैन जावरा में सीएमओ थी।
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