गैरों पर रहम, अपनों पर सितम… हाल ऐ नगर निगम
उज्जैन। गैरो पर रहम, अपनों पर सितम इस गाने के बोल वैसे तो फिल्म आंखे का है, लेकिन इन दिनों इस गाने के बोल नगर निगम आयुक्त पर कुछ ज्यादा ही सटीक बैठता दिखाई दे रहा है। क्योंकि जहां एक अपर आयुक्त सरकारी आवास के लिए भोपाल तक लड़ाई लड़ रहे है, तो वहीं दूसरी ओर अपर आयुक्त को अलार्ट सरकारी आवास में महाकाल मंदिर प्रशासक निवास कर रहे है। जिसको लेकर नगर निगम में खासी चर्चाएं चल रही है।
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नगर निगम (Municipal Corporation) से लेकर कोठी पैलेस तक इस बात की ही चर्चाएं है कि आखिर नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों के लिए नियम और कानून कोई मायने रखता है या नही, क्योंकि वर्तमान हालत में नगर निगम में जो कुछ चल रहा है, उससे तो ऐसा ही लगा रहा है कि यहां पर नियम और कानून से ज्यादा अपना और अपनों को उपकृत करने का खेल चल रहा है। जहां एक ओर एक अपर आयुक्त गाड़ी और सरकारी आवास के बगैर काम करने पर मजबूर है तो वहीं दूसरी और धर्मस्व विभाग में जिसकी सेवाएं सौंप दी गई है उस अधिकारी को उपकृत करने के लिए नियमों को तांक में रखा जा रहा है।
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सरकारी आवास नंबर 20 किसका…
निगम सूत्रों की माने तो ग्रांड होटल परिसर में स्थित सरकारी आवास क्रमांक 20 वैसे तो नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता द्वारा अपर आयुक्त आदित्य नागर को 22 जनवरी को आवंटित किया गया है, लेकिन आदित्य गुप्ता तो बसंत विहार के आगे आनंद नगर में निवास कर रहे है, तो फिर सरकारी आवास क्रमांक 20 पर सुरक्षाकर्मी क्यों तैनात है, वह भी महाकाल मंदिर से जुड़े। सूत्रों का दावा है कि यहां पर महाकाल मंदिर प्रशासक गणेशीलाल धाकड़ निवास कर रहे है। जबकि उनकी सेवाएं नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा धर्मस्व विभाग को सौंप दी गई है। आखिर नगर निगम के सरकारी आवास जो कि अपर आयुक्त नागर को आवंटित है उसमें महाकाल मंदिर प्रशासक कैसे और किन नियमों के चलते निवास कर सकते है।
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एक आवास पर दो-दो के नाम
नगर निगम से जुड़े सूत्रों ने तो यह तक जानकारी दी है कि जिस सरकारी आवास क्रमांक 20 को नगर निगम आयुक्त द्वारा आदित्य नागर अपर आयुक्त को आवंटित किया गया है, उस बंगले के समीप एक पोल पर जहां अपर आयुक्त आदित्य नागर के नाम से पर्चा चस्पा है, जबकि दूसरी और महाकाल मंदिर प्रशासक गणेशीलाल धाकड़ के नाम का पर्चा चस्पा है, यहां आने वाले कई लोग तो यह देखकर चकरा जाते है कि आखिर यहां रहता कौन है, अपर आयुक्त आदित्य नागर या फिर महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) प्रशासक। खैर जो भी हो लेकिन कहीं ना कहीं सीधे महाकाल मंदिर प्रशासक को यह सरकारी आवास आवंटित नही किया जा सकता था इसलिए अपर आयुक्त आदित्य नागर के नाम पर आवंटित कर उन्हें सुविधा प्रदान की गई है।
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वैसे यह है नियम…
नगर निगम और प्रशासनिक अधिकारियों से जुड़े जानकारों की माने तो सरकारी आवास संबंधित विभाग के व्यक्ति को ही आवंटित किया जाता है और जिसके नाम से सरकारी आवास आवंटित होता है, उसमें उसे ही रहने की पात्रता है, कोई दूसरा उस आवास में नही रह सकता है, अगर ऐसा होता है तो यह निमयों के विरूद्ध है।
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