सत्ता के लिए दरबार ने छोड़ा कांग्रेस का हाथ

उज्जैन। कहते है कि राजनीति और इश्क में सबकुछ जायज है, यहीं कारण है कि राजनीति में नेताओं का दल बदलना निरंतर जारी रहता है। सत्ता के लिए पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं कांग्रेस पार्टी से विधायक का चुनाव लड़ चुके जयसिंह दरबार और कांग्रेस पार्षद विजयसिंह दरबार ने कांग्रेस यानि हाथ का साथ छोड़ कर कमल यानि भाजपा का दामन थाम लिया है।
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भाजपा में लगातार कांग्रेस नेताओं की इंट्री ने सत्ता की सियासत में गर्मी ला रखी है, 10 साल के बाद सत्ता में लौेटी कांग्रेस को ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी इतनी भारी पड़ी की महज दो साल में सत्ता से कांग्रेस बेदखल हो गई, इसके बाद लगातार कांग्रेस पार्टी के नेताओं का पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थामने का सिलसिला जारी है, इसी बीच उज्जैन दक्षिण से कांग्रेस का एक बड़ा चेहरा जयसिंह दरबार और उनके भाई विजयसिंह दरबार का कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होना कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ा नुकसान माना जा रहा है।
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सीएम के सामने भोपाल में ली सदस्यता
पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष जयसिंह दरबार और उनके छोटे भाई पूर्व उपनेता प्रतिपक्ष विजयसिंह दरबार ने भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, मंत्री तुलसी सिलावट, डॉ. मोहन यादव और विधायक पारस जैन सहित अन्य भाजपाईयों के समक्ष पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है। खासबात यह है कि उज्जैन की राजनीति दबदबा रखने वाले दरबार के सदस्यता ग्रहण के दौरान उज्जैन शहर के केवल दो ही चेहरे नजर आये, जिनमें एक थे उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव तो दूसरे थे उत्तर से विधायक पारस जैन। बाकि अधिकांश चेहरे इंदौरी नेताओं के नजर आ रहे है।
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इंदौर से चली भाजपा में लाने की मुहिम
पार्टी सूत्रों की माने तो उज्जैन दक्षिण के दिग्गज कांग्रेस नेता जयसिंह दरबार और उनके छोटे भाई को भाजपा में शामिल करवाने के लिए असल मुहिम इंदौरी नेताओं द्वारा शुरू की गई। सूत्रों की माने तो मंत्री तुलसी सिलावट और दिलीप चौहान ऐसे चेहरे थे जो चाहते थे कि दरबार कांग्रेस का हाथ छोड़कर कमल का दामन थामे और वह अपनी रणनीति में सफल हो गये। तुलसी सिलावट का यह दांव कहीं ना कहीं पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू को एक शिकस्त देने के रूप में भी देखा जा रहा है, क्योंकि दरबार कभी प्रेमचंद गुड्डू के खास माने जाते थे।
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कांग्रेसियों की इंट्री से कई नेताओं को चिंता
कांग्रेस छोड़कर ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ पूर्व विधायक एवं पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष महंत राजेंद्र भारती सहित कई नेता भाजपा में शामिल हुए है, लेकिन उत्तर विधानसभा से राजनीति करने वाले भाजपाईयों को भारती की भाजपा में इंट्री से टेंशन है, इसी प्रकार अब जयसिंह दरबार के पार्टी में आने से दक्षिण के कुछ नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरे जरूर दिखाई देंगी, क्योंकि अब भाजपा के पास दक्षिण में एक दमदार और जनसेवक नेता दरबार आ चुके है। हालांकि अभी तक यह माना जा रहा था कि डॉ. मोहन यादव इस क्षेत्र की राजनीति के सिरमौर है, लेकिन कहीं ना कहीं दरबार अब उनको टक्कर में आ गये है। हालांकि यह तो वक्त ही बतायेंगा कि दरबार को भाजपा का दामन किस हद तक भाता है।
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कौन है जयसिंह और विजयसिंह दरबार
जयसिंह दरबार कांग्रेस के दिग्गज और जमीनी नेताओं में से एक है, उनका सरल स्वभाव उनकी सबसे बड़ी ताकत रहा है। एक बार कांग्रेस से विधायक का टिकट मिला, लेकिन पार्टी के राजेंद्र वशिष्ठ के निर्दलीय चुनाव लड़ने से वह हार गये, इसके बाद जब कांग्रेस ने वरिष्ठ को टिकट दिया तो दरबार ने निर्दलीय लड़कर भाजपा की राह आसान कर दी थी। वहीं वार्ड क्रमांक 46 व 47 में भी इनकी खासी पकड़ है। इनके छोटे भाई भाजपा लहर में जीतकर कांग्रेस पार्षद बने और नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाली थी।
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