टाईम कीपर के पास प्रभारी फायर ऑफिसर की जिम्मेदारी
उज्जैन। नगर निगम में ऐसे-ऐसे कर्मचारियों ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रखी है, जिसके वह योग्य ही नही है। नगर निगम के फायर बिग्रेड में प्रभारी फायर ऑफिसर (Fire Officer) की जिम्मेदारी संभालने वाले राजेश तिवारी का मूल पद वास्तव में टाईम कीपर का है।
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राजेश तिवारी को निगम अधिकारियों ने एक नही बल्कि आधा दर्जन विभागों का प्रभारी बना रखा है, जबकि पूर्व में नगर निगम आयुक्त रहे महेशचंद्र चौधरी द्वारा टाईम कीपर राजेश तिवारी के खिलाफ जांच के आदेश दिये जा चुके है। सूत्रों के अनुसार नगर निगम के प्रभारी फायर ऑफिसर की जिम्मेदारी इन दिनों राजेश तिवारी को दी गई है, जो वास्तव में इस पद के योग्य ही नही है। जबकि राजेश तिवारी से ज्यादा सीनियर शिफ्ट प्रभारी चालकों की संख्या फायर बिग्रेड विभाग में तीन से अधिक है।
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आधा दर्जन विभागों का प्रभार
सूत्रों की माने तो राजनैतिक संरक्षण के चलते वर्षों से राजेश तिवारी नगर निगम कंट्रोल रूम प्रभारी, सीएम हेल्पलाईन प्रभारी, रैन बसैरा प्रभारी, आनंद भवन प्रभारी, त्रिवेणी संग्रालय, सामुदायिक भवन प्रभारी की जिम्मेदारी भी संभाल रहा है। जबकि वास्तव में टाईम कीपर का कार्य शिल्पज्ञ विभाग में होता है, जहां वह ठेकेदारों द्वारा किये जा रहे कार्यों की निगरानी रखते हुए इसकी रिपोर्ट अधिकारियों और शिल्पज्ञ विभाग को बनाकर सौंपता है, लेकिन राजेश तिवारी जब से स्थाई कर्मचारी बना है, मालदार विभागों में पदस्थ रहा है।
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आयुक्त और स्थापना की नही ली मंजूरी
सूत्रों ने बताया कि टाईम कीपर राजेश तिवारी जो कि स्वयं को प्रभारी सब फायर ऑफिसर के रूप में लोगों को परिचय देता है, वहीं फायर विभाग की वर्दी भी पहनता है, जबकि उसे इसका अधिकार ही नही है। सूत्रों के अनुसार जब भी निगम से किसी कर्मचारी को फायरकर्मी की ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है तो उसके लिए नगर निगम आयुक्त और स्थापना विभाग की अनुशंसा लगती है, वहीं 6 महिने की इस ट्रेनिंग के दौरान संबंधित कर्मचारी को वेतन भी नही मिलता है, लेकिन राजेश तिवारी जब ट्रेनिंग पर गये तो इन्होंने ना तो आयुक्त और ना ही स्थापना विभाग से अनुमति ली थी, इसके साथ ही राजेश तिवारी ने ट्रेनिंग के दौरान की सैलरी भी निगम से ली है, ऐसा सूत्रों का दावा है।
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दिये थे जांच के आदेश
राजेश तिवारी के इस मामले की शिकायत मिलने पर तात्कालीन नगर निगम आयुक्त महेशचंद्र चौधरी ने इस मामले में जांच के आदेश दिये थे, जिसकी नोटशीट भी चलाई गई थी। लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद जांच रिपोर्ट को दबा दिया गया और राजेश तिवारी फिर अपने हिसाब से अधिकारियों से सेटिंग कर मालदार पदों पर काबिज हो गया।
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सूचना के अधिकार में मिली जानकारी
नगर निगम से जुड़े राजेश ओझा द्वारा सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी मांगी गई थी उसमें नगर निगम के प्रभारी अधिकारी एवं सहायक लोक सूचना अधिकारी ने 9 जनवरी 2012 के पत्र क्रमांक 02 में स्पष्ट लिखा है कि ना तो राजेश पिता कैलाश तिवारी को फायर बिग्रेड में भी लिंडिग फायर मेन एवं फायर मेन का कार्य संपादित नही किया गया है। वहीं 24 सितंबर 2012 के पत्र क्रमांक एफबी/डाक/03 में भी उल्लेख किया गया है कि सब फायर ऑफिसर की वर्दी लगाने का आदेश राजेश तिवारी को कार्यालय द्वारा नही दी गई है।
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