अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट में शामिल थे उज्जैन के 3 आतंकी
उज्जैन के सफदर नागौरी, कमरुद्दीन चाँद महम्मद नागोरी सहित आमिल परवाज को भी हुई फांसी
38 दोषियों को फांसी, 11 को आजीवन कारावास वहीं 29 निर्दोश साबित
भारत के इतिहास में सबसे बड़ा फैसला शुक्रवार को 2008 में अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट (ahmedabad serial blast) के मामले में विशेष अदालत द्वारा सुनाया गया है। विशेष अदालत ने धमाकों के 49 गुनहगारों को सजा दी, जिनमें से 38 के लिए सजा-ए-मौत मुकर्रर की गई है, जिसमें तीन उज्जैन जिले के रहने वाले है। वहीं 11 को ताउम्र कैद की सजा दी गई है। इसके अलावा 29 को निर्दोश होने पर बरी किया गया है।
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देशभर में गुजरात से लेकर मुंबई तक के धमाकों में अक्सर उज्जैन का नाम जुड़ता आया है। क्योंकि एक समय था जब मालवांचल क्षेत्र सिमी यानि स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया का गढ़ माना जाता था। गोधरा कांड से लेकर अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट में उज्जैन का नाम तब चर्चाओं में आया जब इन धमाकों में उज्जैन के महिदपुर निवासी सफदर नागौरी, कमरुद्दीन चाँद महम्मद नागोरी और उन्हेंल के आमिल परवाज काजी सैफुद्दीन शेख का नाम उजागर हुआ। हालांकि सफदर नागौरी शुरू से ही पुलिस और खुफिया विभाग की नजरों से बचता रहा, लेकिन मध्यप्रदेश पुलिस सफदर सहित कय्यूम नागौरी और आमिल परवेज को उस समय पकड़ लिया, जब यह लोग पीथमपुर के समीप ट्रेनिंग सेंटर चला रहे थे।
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उज्जैन, नागदा, महिदपुर गढ़ थे…
आतंकी संगठनों के लिए स्लीपर सेल का काम करने वाले संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया पर वैसे तो दिग्विजयसिंह सरकार में प्रतिबंध लग गया था, लेकिन इस स्लीपर गैंग की गतिविधियां अंदर ही अंदर चलती रही। यहीं कारण रहा कि उसके बाद यह संगठन अपनी गोपनीय गतिविधियों को अंजाम देते हुए युवाओं को आतंकी संगठन से जोड़ने में अहम भूमिका निभाता था। वहीं आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के बाद इनका छिपने का सबसे सुरक्षित क्षेत्र मालवांचल बन गया था। उज्जैन शहर सहित नागदा, महिदपुर और उन्हेल इस मामले को लेकर कई बार चर्चाओं में भी रहे है।
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उज्जैन में रहे इन अधिकारियों ने कंसा था शिकंजा
उज्जैन में एसपी रहे जी जर्नादन, मनमीतसिंह नारंग और एएसपी रहे विनित खन्ना के कार्यकाल में इन जांबाज अधिकारियों ने प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया SIMI (Student Islamic Movement of India) की कमर तोड़ने के लिए विशेष अभियान चलाया था, उसी का परिणाम था कि उस दौरान आमिल परवेज सहित कई ऐसे संदिग्धों को प्रतिबंधित दस्तावेजों के साथ गिरफ्तार भी किया गया था। उस समय गृहमंत्री रहे जगदीश देवड़ा का भी अधिकारियों को पूरा सहयोग मिलता था। यहीं कारण था कि उस समय सिमी की गतिविधियों पर रोक लग गई थी। सफदर नागौरी, कमरुद्दीन चाँद महम्मद नागोरी और उन्हेंल के आमिल परवाज काजी सैफुद्दीन शेख के गिरफ्तार होने के बाद सिमी की गतिविधियां सामने नही आई है।
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26 जुलाई 2008 70 मिनट, 21 धमाके
56 लोगों की मौत और 200 से अधिक घायल
अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 में 70 मिनट में 21 सिलसिलेवार हुए बम धमाकों में 56 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 200 से अधिक लोग घायल हुए थे। लगभग 13 साल बाद विशेष अदालत द्वारा अहमदाबाद सिरियल ब्लास्ट मामले में आरोपियों को सजा सुनाई गई है। विशेष अदालत ने गत सप्ताह 49 लोगों को दोषी ठहराया गया और 28 अन्य को साक्ष्यों के आभाव में बरी किया गया है। अदालत ने 77 अभियुक्तों के खिलाफ पिछले साल सितंबर में मुकदमे की कार्यवाही खत्म की थी। विचाराधीन 78 आरोपियों में से एक को सरकारी गवाह बन गया था, जिसे भी बरी किया गया है। पुलिस का दावा है कि उक्त आरोपी आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (Indian Mujahideen) से जुड़े हैं। आरोप था कि इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादियों ने 2002 में हुए गोधरा दंगे का प्रतिशोध लेने के लिए बम धमाके की साजिश रची थी।
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78 अभियुक्तों में से एक बना सरकारी गवाह
8 फरवरी को सिटी सिविल कोर्ट ने 78 में से 49 आरोपियों को यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत दोषी करार दिया था। इनमें से एक दोषी अयाज सैयद को जांच में मदद करने के लिए बरी किया जा चुका है, वहीं 29 आरोपी सबूतों के अभाव में बरी हो चुके हैं। फैसले के वक्त कोर्ट ने धमाकों में मारे गए लोगों के परिजनों को एक लाख, गंभीर घायलों को 50 हजार और मामूली घायलों को 25 हजार रुपए की मदद देने का भी आदेश दिया है।
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29 जिंदा बम किये थे बरामद
अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के बाद गुजरात की सूरत पुलिस ने 28 जुलाई और 31 जुलाई 2008 के बीच शहर के अलग-अलग स्थानों से 29 बम बरामद किए थे, जिनमें से 17 वराछा इलाके और अन्य कतारगाम, महिधरपुरा और उमरा इलाके में मिले थे। पुलिस को जांच में पता चला था कि गलत सर्किट और डेटोनेटर की वजह से बमों में विस्फोट नहीं हो पाया था। वर्ना यह हादसा ओर बढ़ा होता और ना जाने कितने मासूमों की जान जाती। सरकारी वकीलों में एचएम ध्रुव, सुधीर ब्रह्मभट्ट, अमित पटेल और मितेश अमीन, जबकि बचाव पक्ष से एमएम शेख और खालिद शेख आदि शामिल रहे।
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8 आतंकी अभी भी फरार…
अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट मामले में सूरत में 15 और अहमदाबाद में 20 शिकायतें दर्ज की गई थीं। देश के अलग-अलग शहरों से कुल 78 लोगों को अरेस्ट किया गया था। ब्लास्ट में शामिल 8 अन्य आरोपियों की तलाश अभी भी जारी है। सीरियल ब्लास्ट का मास्टरमाइंड यासीन भटकल दिल्ली की जेल में, जबकि अब्दुल सुभान उर्फ तौकीर कोचीन की जेल में बंद है। मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन ने 1100 गवाहों का परीक्षण किया। 35 एपआईआर को एक साथ जोड़ देने के बाद दिसंबर 2009 में 78 आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की शुरूआत हुई थी।
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गोधरा कांड के बदले के लिए सिरियल ब्लास्ट
सूत्रों की माने तो 2020 में हुए गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों का बदला लेने के लिए आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन और स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया सिमी से जुड़े लोगों ने सिरियल ब्लास्ट की साजिश रची थी। उस दौरान इंडियन मुजाहिदीन ने मीडिया को मेल भेजकर कथित तौर पर इन धमकों की चेतावनी भी दी थी।
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क्राईम बांच की स्पेशल टीम की सफलता
गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर जेसीपी क्राइम के नेतृत्व में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की एक विशेष टीम का गठन किया। जिसके नेतृत्व की जिम्मेदारी डीजीपी आशीष भाटिया को सौंपी गई थी। इस टीम में डीसीपी क्राईम अभय चुडास्मा और हिम्मतनगर एसीपी हिमांशु शुक्ला ने अहम भूमिका निभाई थी। मामलों की जांच तत्कालीन डीसीपी राजेंद्र असारी, मयूर चावड़ा, उषा राडा और वीआर टोलिया को सौंपी गई थी। विशेष टीम ने महज 19 दिनों में मामले का पदार्फाश किया किया था।
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इन्हें हुई फांसी की सजा
जहीद कुतबुद्दीन शेख, इमरान इब्राहीम शेख, इकबाल कसम शेख, समसुद्दीन शाहबुद्दीन शेख, गयासुद्दीन अब्दुल हलिम अंसारी, मोहम्मद आरिफ मोहम्मद इकबाल कागजी, महम्मद उस्मान महम्मद अनीस अगरबत्तीवाला, युनुस महम्मद मंसूरी, कमरुद्दीन चाँद महम्मद नागोरी, आमिल परवाज काजी सैफुद्दीन शेख, सबली उर्फ साबित अब्दुल करीम मुस्लिम, सफदर उर्फ हुसेनभाई उर्फ इकबाल जहरुल हुसेन नागोरी, हाफिज हुसेन उर्फ अदनान ताजुद्दीन मुल्ला, मोहम्मद साजिद उर्फ सलीम उर्फ सज्जाद उर्फ साद गुलाम ख्वाजा मंसूरी, मुफ़्ती अबूबशर उर्फ अब्दुल रशीद उर्फ अब्दुल्ला अबुबकर शेख, अब्बास उम्र समेजा, जावेद अहमद सगीर अहमद शेख, महमद इस्माइल उर्फ अब्दुल राजिक उर्फ मुसाफ उर्फ फुरकान महमद इसाक मंसूरी, अफजल उर्फ अफसर मुतल्लिब उस्मानी, महम्मद आरिफ उर्फ आरिफ बदर उर्फ लदन सन बदरुद्दीन उर्फ जुम्मन शेख, आसिफ उर्फ हसन बशीरुद्दीन शेख, कयामुद्दीन उर्फ रिजवान उर्फ अशफाक सरफुद्दीन कापडिया, महम्मद सेफ उर्फ राहुल सागाद एहमद उर्फ मिस्टर शेख, जीशान एहमद उर्फ राहुल साबाद एहमद उर्फे मिस्टर शेख, जियाउर रहेमान उर्फ मोंटू उर्फ जिया अब्दुल रहमानी तेली, महम्मद शकील यामिनखान लुहार, मोहम्मद अकबर उर्फ सईद उर्फ याकूब उर्फ विनोद इस्माइल चौधरी, फजले रहेमान उर्फ रफीक उर्फ सलाउद्दीन मुसद्दिकखान दुरार्नी, एहमद बावा उर्फ अबू अबूबकर बरेलवी, सरफुद्दीन उर्फ सरफु, सैफुर रहेमान उर्फ सैफू उर्फ सैफ अब्दुल रहेमान, सादुली उर्फ हारिज अब्दुल करीम मुस्लिम, मोहम्मद तनवीर उर्फ तल्हा मोहम्मद अख्तर पठाण, आमीन उर्फ राजा अय्यूब शेख, महम्मद मुबीन उर्फ इरफान अब्दुल शाहरुखखान, मोहम्मद रफीक उर्फ जावीद उर्फ आलमजेब आफरीदी, तौसीफ खान उर्फ आतिक एहमदखान पठान, मोहम्मद आरिफ नसीम अहमद मिर्जा
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यह 29 सबूतों के आभाव में बरी
जाहिद शेख- अहमदाबाद, नवेद कादरी- अहमदाबाद, रजीयाद्दीन नासर- हैदराबाद, उमर कबीरा- सुरेंद्र नगर, सलीम सिपाही- अहमदाबाद, मुबीन शेख- पुणे, मोहम्मद जाकिर- ठाणे, साकिब शेख- उत्तर प्रदेश, ईदी सैनुद्दीन- हैदराबाद, अनवर बागवान- हैदराबाद, मोहम्मद यासीन- कर्नाटक, मोहम्मद इरफान- मध्यप्रदेश, नासिर अहमद- कर्नाटक, शकील अहमद- कर्नाटक, नदीम सैयद- कर्नाटक, असदुल्लाह असद- कर्नाटक, मोहम्मद सामी- कर्माटक, अहमद बेग मिर्जा- कर्नाटक, कामरान साहिद- मध्यप्रदेश, मोहम्मद जहीर पटेल- भरूच, मोहम्मद युनुस- मध्यप्रदेश, हसीबरजा सैययद- अहमदाबाद, मोहम्मद हबीब- उत्तरप्रदेश, मोहम्मद शाहिद नागौरी- मध्यप्रदेश, अब्दुल सत्तार- केरल, अफाक इकबाल- झारखंड, मंजर इमाम- झारखंड, सुहेब पोट्टनिकल- केरल।
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