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निर्मल सागर सिनेमाघर से जुड़ी है आज भी कई लोगों की यादें…

उज्जैन का निर्मल सागर टॉकिज भले ही बंद हो गया हो, लेकिन उसका वजूद आज भी जिंदा है

उज्जैन। भले ही आज के दौर में पीवीआर और सिनेप्लेक्स (PVR and Cineplex) शुरू हो गये हो, लेकिन सिनेमाघर जिसे पहले हम टॉकिज कहां करते थे, उसकी यादे लोगों के मन में आज भी है। उसी में शामिल है उज्जैन का प्रसिद्ध निर्मल सागर टॉकिज (Nirmal Sagar Talkies) भले ही वर्ष 2008 में आर्थिक मंदी और बढ़ती महंगाई के बीच बंद हो गया हो, लेकिन निर्मल सागर टॉकिज की मध्यप्रदेश अगल ही पहचान थी, जिसमें फिल्म देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते थे। 21वीं सदी के उन लोगों को निर्मल सागर से जुड़ी कुछ प्रमुख बाते बताते है, जिन्होंने कभी निर्मल सागर में फिल्म ना देखी हो और जिन्होंने देखी है, उनके लिए यह यादे हम एक बार फिर ताजा करने का प्रयास करेंगे।

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जिसे हम निकास चौराहा भी कहते है, यहां कभी निर्मल सागर हुआ करता था। निर्मल सागर टॉकिज की शुरूआत 18 अप्रैल 1990 में उज्जैन के ही सागरमल कोठारी ने की थी। 1990 में शुरू हुए यह सिनेमा घर वर्ष 2008 में बंद हो गया। वर्तमान में यहां पर एक नया मार्केंट (काम्पलेक्स) बन गया है। निर्मल सागर टॉकिज के प्रबंध संचालक शक्तिसिंह चौधरी थे, जो वर्तमान में भाजपा नेता भी है। इसमें सबसे पहली फिल्म सलमान खान की मैंने प्यार किया लगी थी, जबकि वर्ष 2008 में अंतिम फिल्म के रूप में अक्षय कुमार की भागम-भाग दृशकों द्वारा देखी गई थी।

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निर्मल सागर

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1.60 पैसे से शुरू हुई थी टिकट

निर्मल सागर के प्रबंध संचालक रहे शक्तिसिंह चौधरी ने बताया कि वर्ष 1990 में जब निर्मल सागर शुरू हुआ था, तब सामान्य टिकट का मुल्य 1.60 पैसे, 3.20 पैसे था, जबकि बालकनी 5 रूपये और बॉक्स के 6.50 पैसे हुआ करते थे। टिकट का यह मुल्य एक वर्ष तक ऐसा ही रहा, उसके बाद धीरे-धीरे समय-समय पर टिकट के दाम बढ़ते गये। वर्ष 2008 में प्रसारित हुई फिल्म भागम-भाग के दौरान टिकट का मूल्य 15 रूपये, 20 रूपये, बालकनी 50 रूपये और बॉक्स 60 रूपये प्रति व्यक्ति था।

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निर्मल सागर

निर्मल सागर में यह थी खासबात

निर्मल सागर टॉकिज की खासबात यह थी कि उसकी तुलना राजस्थान के जयपुर में स्थित राजमंदिर सिनेमाघर के बराबर होती थी। वहीं निर्मल सागर टॉकिज एकमात्र ऐसा टाकिज था, जहां लाल और हरे रंग का कारपेट बिछा हुआ था। वहीं महाकाल मंदिर की आकृति भी बनी हुई थी, जिसे देखने के लिए लोग बड़ी संख्या में यहां फिल्म देखने आते थे। भारत में पहली फिल्म 4 ट्रेक साउंड पर अगर कोई बनी थी तो वह मैंने प्यार किया था, जिसके निर्मल सागर टॉकिज में 4 ट्रेक साउंड सिस्टम भी लगाया गया था। यह साउंड सिस्टम उस दौरान उज्जैन ही नही बल्कि प्रदेश के किसी भी सिनेमाघर में नही लगा था।

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निर्मल सागर

हम आपके है कौन फिल्म चली थी पूरे 52 सप्ताह

वैसे तो उज्जैन में निर्मल सागर सहित कई ऐसे सिनेमा घर थे, जिनमें उस दौरान आई फिल्मों ने सिलवर जुबली मनाई, लेकिन उज्जैन ही नही प्रदेश का एकमात्र निर्मल सागर टॉकिज था, जिसमें सलमान खान और माधुरी की सुपरहिट फिल्म हम आपके है कौन पूरे एक साल यानि 52 सप्ताह तक निरंतर चली थी। इसके अलावा निर्मल सागर टॉकिज में मैंने प्यार किया, घातक, अनाड़ी, इश्क, जमाईराजा, सौदागर जैसी हिट फिल्मे भी लंबे समय तक चली है।

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इन फिल्मी हस्तियों ने देखा निर्मल सागर

हम आपको यह भी बता थे कि शहर ही नही बल्कि प्रदेश से भी लोग निर्मल सागर टॉकिट में फिल्म देखने आते थे। इसके अलावा फिल्मी दुनिया से जुड़ी कई हस्तियां भी उज्जैन के निर्मल सागर में आकर यहां फिल्म देख चुकी है। उनमें सबसे पहले नाम आता है जितेंद्र का, जो इसमें प्रकाशित पहली फिल्म के दौरान आये थे, वही जितेंद्र के बाद किशन कुमार, गुलशन कुमार, अनुराधा पौडवाल, दारासिंह आदि ने भी यहां पर आकर फिल्मे देखी और निर्मल सागर टॉकिज की सुंदरता की सराहना की थी।

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बंद होने का एक कारण यह भी

निर्मल सागर टॉकिज के प्रबंध संचालक शक्तिसिंह चौधरी का कहना है कि निर्मल सागर सहित कई ऐसे टॉकिज है, जो धीरे-धीरे बंद हो गये है। उसके पीछे मुख्य कारण महंगाई है। उनका कहना है कि उस दौरान फिल्म एजेंट सिनेमाघरों को सप्ताह के हिसाब से फिल्म चलाने के पैसे देते थे, लेकिन बढ़ती महंगाई के कारण स्टाफ, लाईट, मैंनटेंन्स सहित अन्य परेशानी सिनेमा घर मालिकों पर भारी पड़ती गई और उन्होंने धीरे-धीरे सिनेमाघरों को बंद करना ही उचित समझा। उसी में निर्मल सागर टॉकिज भी शामिल है।

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यह है आम लोगों से जुड़ी यादे…

आज के दौर में जब हम पीवीआर या मल्टी फिलेक्स में जाते है, तो केवल फिल्म देखते है, जबकि पहले सिनेमाघरों में जब एंटरवेल होता था, तब बाहर आकर सिनेमाघरों की कैटिंन में बन रहे पकौड़े, समोसे, कचोरी, पोहे से लेकर चाय और कोल्डिक का आनंद लेते थे। सिनेमाघरों में टिकट के लिए लाईन में लगते थे, लेकिन अब ऐसा नही होता है, आपकों पीवीआर में 100 से लेकर 500 रूपये खर्च करने पर केवल पोपकॉर्न और समोसा, कोल्डिक मिलती है।

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यह थे उज्जैन के प्रमुख टॉकिज

निर्मल सागर, नरेंद्र टॉकिज, मोहन टॉकिज, प्रकाश टॉकिज, कमल टॉकिज, मेट्रो टॉकिज, भतवाल टॉकिज, स्वर्ग सुंदरम टॉकिज, अशोक टॉकिज, कमल टॉकिज, कैलाश टॉकिज, त्रिमूर्ती टॉकिज, रीगल टॉकिज थे जो शहर में चर्चित थे, लेकिन इनमें से अब केवल एक ही टॉकिज बचा है, जिसका नाम मेट्रो है, लेकिन वह भी सिनेफिलेक्स में तब्दील हो गया है।

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Dharmendra Bhati

मैं धर्मेंद्र भाटी, DB News24 का Author & Founder हूँ तथा पिछले 22 वर्षो से निरंतर सक्रिय पत्रकारिता के माध्यम राजनितिक, प्रशासनिक, सामाजिक और धार्मिक खबरों की रिपोर्टिंग करता हूँ साथ ही Daily जॉब्स, ज्योतिष, धर्म-कर्म, सिनेमा, सरकरी योजनाओ के बारे में आर्टिकल पब्लिश करता हूँ। हमारा संकल्प है कि नई-नई जानकारियाँ आप तक सरल और सहज भाषा में आप तक पंहुचे। जय हिन्द

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