Vikram University’s Gold Medalist सफदर नागौरी कैसे बना Terrorist – पढ़िये पूरी खबर
विवि से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट सफदर ने शोधपत्र में लिखा था कश्मीर की आग कब बुोगी
विक्रम विश्व विद्यालय से गोल्ड मैडलिस्ट (Gold Medalist from Vikram Vishwavidyalaya) सफदर नागौरी (Safdar Nagori) देश विरोधी ताकतों के साथ मिलकर आतंक का पर्याय बन गया, उसने अपनी देश विरोधी सोच की नींव विक्रम विश्व विद्यालय में पढ़ाई के दौरान ही रख दी थी। विक्रम विश्व विद्यालय में लिखे शोध पत्र बर्फ (कश्मीर) की आग कब बुझेगी नामक इस विवादित शोध पत्र को लिखने के बाद से ही वह ऐसे लोगों के संपर्क में आ गया, जिन्होंने एक ईमानदार पुलिसकर्मी के पुत्र को आतंकी सफदर नागौरी की पहचान दिला दी। यहीं कारण रहा कि पुलिसकर्मी पिता ने भी सफदर नागौरी से दूरी बना ली।
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सफदर नागौरी पिता गहिरूद्दीन नागौरी का जन्म 1970 में उज्जैन जिले के महिदपुर के समीप स्थित नागौरी गांव में हुआ था। सफदर के पिता उज्जैन पुलिस के क्राईम ब्रांच में पदस्थ थे, सफदर के पिता की पहचान एक ईमानदार पुलिसकर्मी की थी, जो वर्ष 2005 में सहायक सब इंस्पेक्टर के रूप में रिटायर्ड हुए। लेकिन शायद उन्हें भी पता नही था कि जिस सफदर को वह पढ़ाई-लिखाई में अव्वल समझ रहे है, वह आतंक की दुनिया में अव्वल बनने की सोच पाल रहा है। लेकिन जब सफदर के पिता को इसका अहसास हुआ तो उन्होंने उससे नाता तोड़ दिया।
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बाबरी विध्वंस के बाद बना कट्टरपंथी
सन 1992 में बाबरी विध्वंस और उसके बाद हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद सफदर नागौरी कट्टरपंथी बन गया और उसने 1993 सिमी से नाता जोड़ लिया। नागौरी के खिलाफ सबसे पहली रिपोर्ट उज्जैन के महाकाल थाने में 1997 में दर्ज हुई थी। इसके बाद इंदौर में उसके खिलाफ 1998 में प्रकरण दर्ज हुआ, लेकिन इस मामले में उसे बाद में छोड़ दिया गया। लगातार उसकी देश विरोधी गतिविधियों में बढ़ती देख कर उसके पिता ने उससे संबंध तोड़ दिये। सफदर नागौरी ने 1999 में विक्रम यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन कम्प्लीट की। यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही वह सिमी SIMI (स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) से जुड़ गया था।
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कश्मीर पर लिखा विवादित शोधपत्र
विवि से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट सफदर नागौरी को वर्ष 2000 में फाइनल ईयर के दौरान प्रोजेक्ट वर्क के लिए विषय दिया गया था- उर्दू पत्रकारिता का आयाम, लेकिन सफदर नागौरी ने विवि के विभाग प्रमुख प्रो. रामराजेश मिश्र से विषय बदलने क अनुरोध किया और उसे अनुमति मिल गई। इस दौरान उसने कश्मीर को लेकर प्रोजेक्ट लिखा जिसका नाम दिया था बर्फ की आग बब बुझेगी सफदर नागौरी ने यह प्रोजेक्ट चार खंडों में लिखा गया जिसमें कश्मीर ट्रेजडी, धरती का स्वर्ग, कल और आज।
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शोधपत्र के विवादित बिंदुओं से मचा हड़कंप
शोध पत्र में सफदर नागौरी ने जो विवादित बिंदू: कुछ तथ्य तथा ऐसे बुझेगी बर्फ की आग में उल्लेख किया था कि ‘लोकतंत्र का अर्थ बहुमत की तानाशाही नहीं है, कश्मीर का फैसला कश्मीरी ही करें। यह प्रस्ताव जिनके गले नहीं उतर रहा वे वाकई फासीवादी मनोवृत्ति का परिचय दे रहे हैं। उसने यह भी लिखा था कि पक्षी पिंजरे में हो या कुत्ता जंजीर से बंधा हो और आप दुनिया से कहें कि यह तो स्वेच्छा से मेरे साथ है तो कोई अंधा ही इस पर विश्वास कर सकता है।’ हालांकि बाद में इस शोध पत्र को हटा दिया गया।
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प्रतिबंध के बाद मिली बड़ी जिम्मेदारी
सरकार ने स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (Student Islamic Movement of India) नामक संगठन की संदिग्ध गतिविधियों को देखते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन प्रतिबंध के पहले ही सफदर नागौरी भूमिगत हो गया। लेकिन इसके बाद सफदर नागौरी को स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिल गई वहीं कमरूद्दीन नागौरी को आंध्र प्रदेश में सिमी प्रमुख का पद दिया गया। इसके बाद से लगातार सफदर गुपचुप तरीके से उज्जैन व आसपास के क्षेत्रों में अपनी टीम बनाने के लिए युवाओं को भड़काने का काम करने लगा। वर्ष 2005 से 2007 के बीच उसकी सक्रियता बढ़ती दिखाई दी।
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तोपखान में था सिमी कार्यालय
बताया जाता है कि सफदर नागौरी मस्जिदों में भी जाकर भड़काऊ भाषण देकर युवाओं को देश विरोधी बनाने का प्रयास करता था। उसने महाकाल थाना क्षेत्र में विवादित पोस्टर भी चिपकवाये थे, जिसके बाद पुलिस ने कार्यवाही करते हुए प्रतिबंधित सिमी के तोपखाना स्थित कार्यालय से कई विवादित किताबे, दस्तावेज और पोस्टर बरामद किये थे। पुलिस सूत्रों के अनुसार सफदर का मकसद शुरू से ही देशभर में विस्फोट कर अलकायदा जैसा नाम करना चाहता था। उन्हैल के पास झोपड़ी बनाकर इसकी साजिश रची गई थी। सफदर के खिलाफ उज्जैन के महाकाल, खाराकुंआ और माधवनगर थाने में अपराध दर्ज हैं।
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ट्रेनिंग कैंप से मिले थे हथियार और गोला बारूद
लगातार पुलिस और खुफिया विभाग से बच रहे सफदर नागौरी, उसके भाई कमरूद्दीन सहित 11 सिमी आतंकियों को सूचना के बाद 26 मार्च 2008 को इंदौर के संयोगितागंज के एक फ्लैट से गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद पुलिस ने इंदौर से करीब 35 किमी दूर चोरल में एक फार्महाउस पर दबिश देकर यहां चल रहे आतंकी ट्रेनिंग सेंटर का पर्दाफाश किया था। यहां से पुलिस को हथियार, गोला-बारूद, कट्टरपंथी साहित्य और विस्फोक भी मिला था। जांच में पता चला था कि सफदर यहां पर झारखंड, कैरल, कर्नाटक सहित अन्य राज्यों से सिमी सदस्यों को बुलाकर आतंक की ट्रेनिंग देता था।
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सीबीआई कोर्ट ने दोषी ठहराया
इंदौर में ट्रेनिंग कैंप में मिले गोला-बारूद केस में छूट चुके सफदर नागौरी उसके भाई और 10 साथियों पर सीबीआई जांच शुरू हुई। इसके बाद इंदौर सीबीआई कोर्ट ने सफदर उसके भाई सहित अन्य को सभी आरोपों में दोषी ठहराया तथा 27 फरवरी 2017 को विशेष सीबीआई न्यायाधीश बीके पालोदा ने अवैध हथियार, गोला-बारूद, विस्फोटक रखने और आतंकवादी गतिविधियों की साजिश रचने के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। गुजरात पुलिस 28 मई 2017 को नागौरी और उसके 10 साथियों को इंदौर लेकर आई थी। दूसरे दिन नागौरी को भोपाल जेल शिफ्ट कर दिया गया था। तब से वह यहीं है।
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26 जुलाई 2008 को सिरियल ब्लास्ट
26 मार्च 2008 को इंदौर में पकड़ाने के कुछ महिनों बाद यानि 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे, इन बम धमाकों में 70 मिनट के अंदर 56 लोगों की मौत दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। धमाकों में सफदर नागौरी शामिल था, जिसे गुजरात पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था। पूछताछ में नागौरी ने बताया था कि सिमी के लड़ाकों को हिजबुल मुजाहिदीन के साथ जम्मू-कश्मीर में ट्रेनिंग मिली थी। नागौरी ने कहा कि उन्हें देशभर में विभिन्न तरह के आतंकी आपरेशनों के लिए ट्रेंड किया गया था।
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