होलकर मुखारविंद रूप में प्रजा हाल जानने निकले बाबा महाकाल
- सवारी को सशस्त्र पुलिस बल ने दी सलामी, दर्शन को उमड़े लाखों श्रद्धालु
उज्जैन। सावन महीने के 5वें सोमवार को भगवान बाबा महाकाल (baba mahakal) की सवारी निकली। जिसमें बाबा महाकाल होलकर मुखारविंद स्वरूप में प्रजा को दर्शन और उनके हाल जानने के लिए निकले। सवारी के पहले महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) के सभा मंडप में घनश्याम पुजारी के साथ ही कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम, विधायक पारस जैन और महापौर मुकेश टटवाल ने पूजा-अर्चना की। सवारी में पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ रथ पर शिवतांडव और नंदी रथ पर उमा महेश भी शामिल हैं।
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महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) सभा मंडप में पूजा के बाद महाकाल की सवारी नगर भ्रमण पर निकली। सबसे पहले मंदिर के मुख्य द्वार पर डोल रथ पर सवार होलकर स्टेट मुखारविंद बाबा महाकाल को सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने सलामी दी। सवारी तय मार्ग से क्षिप्रा तट पर पहुंची, जहां मोक्षदायिनी मां क्षिप्रा के जल से भगवान बाबा महाकाल का पूजन-अभिषेक किया गया। इस दौरान नदी के दोनों घाट पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। नदी के दूसरे तट पर स्थित दत्त अखाड़ा की ओर से भी बाबा महाकाल का पूजन अखाड़े के महंत ने किया। बाबा महाकाल होलकर मुखारविंद का ये रूप दान-धर्म की शिक्षा देता है।
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दरअसल होलकर राजवंश की ओर से यह मुखारविंद महाकाल मंदिर को भेंट किया गया था, इसलिए इसका नाम होलकर मुखारविंद रखा गया। यह भक्तों को दान करने के लिए प्रेरित करने वाला माना जाता है। आमतौर पर हर साल भादौ की दूसरी और आखिरी सवारी में भगवान महाकाल के होलकर रूप में दर्शन होते हैं। यह स्वरूप डोल रथ पर सवार होता है। इस बार अधिकमास होने से पांचवीं सवारी होलकर स्वरूप में निकाली जा रही है।
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मान्यता है कि होलकर राजघराने से अहिल्या माता दान करती थीं। वह शिवभक्त होने के कारण दान की प्रकृति सिखाती हैं। नंदी रथ पर उमा महेश और हाथी पर मन महेश रुप में भी भगवान महाकाल सवारी में शामिल थे। गरुड़ रथ पर शिव तांडव के रूप में भी भगवान महाकाल ने भक्तों को दर्शन दिये। सवारी में भक्तों ने भगवान शिव और पार्वती का रूप धारण किया।
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महाकाल के दर्शन को उमड़े लाखों श्रद्धालु
श्रावण माह के पांचवे सोमवार को तड़के 2.30 बजे महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) के पट खुलते ही मंदिर भगवान शिव के जयकारों से गूंज उठा। रात 12 बजे से भक्त लाइन में लगना शुरू हो गए थे। तड़के भस्म आरती में बाबा महाकाल को दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से बने पंचामृत से अभिषेक पूजन कर भस्म अर्पित की गई। भगवान महाकाल का भांग, चंदन और आभूषणों से राजा स्वरूप में दिव्य श्रृंगार कर आरती की गई। दिनभर में लगभग 4 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किये। दर्शन का सिलसिला रात 10.45 पर शयन आरती के बाद समाप्त होगा। बाबा महाकाल लगातार 20 घंटे तक भक्तों को दर्शन देंगे।
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40 मिनट में दर्शन की व्यवस्था
मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) में भक्तों बढ़ती संख्या को देखते हुए समिति द्वारा ऐसी व्यवस्था की गई है, जिससे भक्तों को महज 40 मिनट में बाबा महाकाल के दर्शन मिल सके। भक्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था भी पुख्ता की गई है। जिला और पुलिस प्रशासन ने अतिरिक्त कर्मचारियों और पुलिस अधिकारियों को तैनात किया है। सुबह जिन श्रद्धालुओं को भस्म आरती में अनुमति नहीं मिली, उन्हें चलित भस्म आरती से दर्शन भी कराए गए।
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