शनि ने किया कुंभ राशि में प्रवेश, पढ़िये किस राशि पर क्या होगा प्रभाव
उज्जैन। 17 जनवरी दिन मंगलवार को शनि ने कुंभ राशि में प्रवेश किया। इसके बाद वो यहां 29 मार्च 2025 तक रहेंगे। पुष्य अनुराधा उत्तराभाद्रपदा नक्षत्र के स्वामी शनि अपनी कुंभ राशि में स्वग्रही होंगे। मकर कुंभ राशि के स्वामी होने के साथ तुला राशि में उच्च पद प्राप्त है। धनु राशि की साढ़ेसाती समाप्त, मीन राशि को साढ़ेसाती आरंभ हुई, मकर राशि की तीसरी और उतरती साढ़े साती रहेगी- कुंभ में मध्य मिथुन और तुला राशि की ढइया समाप्त होगी, कर्क वृश्चिक राशि में ढईया लगेगी।
यह भी पढ़े- माता सती के 51 शक्तिपीठ: जानिये कहाँ है शक्तिपीठ और क्या है उसका महत्व
उक्त बात मातंगी ज्योतिष ज्योतिर्विद पं. अजय व्यास के अनुसार शनि, सूर्य से छठां ग्रह है तथा बृहस्पति के बाद सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह हैं। औसत व्यास में पृथ्वी से नौ गुना बड़ा शनि एक गैस दानव है शनि मंद ग्रह हैं। इसलिए शनि को राशि बदलने में पूरे ढाई साल लग जाते हैं और अपने घर में आने में 30 वर्ष।
यह भी पढ़े- यह है आस्था और श्रद्धा की 118 किमी लम्बी पंचक्रोशी यात्रा, 5 पड़ाव और 2 उप पड़ाव
किस राशि पर क्या असर…
पं. अजय व्यास ने बताया कि 17 जनवरी से शनि कुंभ राशि में प्रवेश होने के साथ धनु राशि की साढ़ेसाती समाप्त हो रही है वहीं मीन राशि को साढ़ेसाती आरंभ होगी। मकर राशि की तीसरी और उतरती साढ़े साती रहेगी। कुंभ में मध्य मिथुन और तुला राशि की ढइया समाप्त होगी। कर्क वृश्चिक राशि में ढईया लगेगी। देश भर में यात्राओं में बढ़ोत्तरी होती है। शनि की तीसरी दृष्टि मेष राशि में होने से आपदाओं, दुर्घटना, भिषण अग्निकांड, उपद्रव, भुंकप, युद्ध जैसी घटनाएं होने के योग बन रहा है।
पढ़त रहिये– DB NEWS 24 और देखें यूट्यूब चैनल you tube जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, सिनेमा, राजनीति और अपने उज्जैन की खबरें, जुडिएं हमारे फेसबुक Facebook पेज, Telegram और WhatsApp से…
जड़, पेड़, फल-फूल का ज्योतिषीय उपाय
ज्योतिष में पितृ दोष क्या है और इसके उपाय..
जन्म कुंडली के 9वे घर को नवम भाव कहते है..
किस वजह से प्रेम कहानी अधूरी रहती है?
सूर्य एवं चंद्रमा कभी भी वक्री नहीं होते
दुर्गा सप्तशती चमत्कार नहीं एक वरदान है, जाने दुर्गा सप्तशती पाठ के चमत्कार