यह है आस्था और श्रद्धा की 118 किमी लम्बी पंचक्रोशी यात्रा, 5 पड़ाव और 2 उप पड़ाव
उज्जैन। प्रमुख ज्योतिर्लिगों में से एक महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन की पंचक्रोशी यात्रा (Panchkroshi Yatra) को दिव्यशक्तियों के निकट ले जाने वाला माना जाता है। यह यात्रा सम्पूर्ण मानव-समुदाय के कल्याण के लिए निकाली जाती है। 25 अप्रैल से शुरू होने वाली और पांच दिनों तक चलने वाली पंचक्रोशी यात्रा 118 किलोमीटर दूरी तय करते हुए 29 अप्रैल 2022 को समाप्त होगी।
Also read- पापमोचनी एकादशी व्रत क्या है, जानिये पूरी कथा
पंचक्रोशी यात्रा 118 किलोमीटर तक निकाली जाती है और इसमें कुल सात पड़ाव व उप पड़ाव आते हैं। इन पड़ावों व उप पड़ावों के बीच कम से कम छह से लेकर 23 किलोमीटर तक की दूरी होती है। नागचंद्रेश्वर से पिंगलेश्वर पड़ाव के बीच 12 किलोमीटर, पिंगलेश्वर से कायावरोहणेश्वर पड़ाव के बीच 23 किलोमीटर, कायावरोहणेश्वर से नलवा उप पड़ाव तक 21 किलोमीटर, नलवा उप पड़ाव से बिल्वकेश्वर पड़ाव अम्बोदिया तक छह किलोमीटर है।
Also read- सूर्य एवं चंद्रमा कभी भी वक्री नहीं होते
जबकि अम्बोदिया पड़ाव से कालियादेह उप पड़ाव तक 21 किलोमीटर, कालियादेह से दुर्देश्वर पड़ाव जैथल तक सात किलोमीटर, दुर्देश्वर से पिंगलेश्वर होते हुए उंडासा तक 16 किलोमीटर और उंडासा उप पड़ाव से क्षिप्रा घाट रेत मैदान उज्जैन तक 12 किलोमीटर का रास्ता तय करना होता है। पुरातन काल से चली आ रही परंपरा के अनुसार यह यात्रा शिप्रा नदी में स्नान व नागचंद्रेश्वर की पूजा के साथ वैशाख कृष्ण दशमी से शुरू होती है।
Also read- दुर्गा सप्तशती चमत्कार नहीं एक वरदान है, जाने दुर्गा सप्तशती पाठ के चमत्कार
आस्था की डगर पर पंचकोशी यात्रा
वैशाख की तपती दोपहर में हजारों श्रद्धालु आस्था की डगर पर यात्रा करते हैं। यात्रा के कुछ प़ड़ाव शिप्रा के किनारे हैं। पंचक्रोशी यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु यात्रा प्रारंभ होने के एक दिन पहले नगर में आकर मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पर विश्राम करते हैं। प्रात: शिप्रा स्नान कर पटनी बाजार स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुँच भगवान नागचंद्रेश्वर को श्रीफल अर्पित कर बल प्राप्त करते हैं। इसके बाद यात्रा शुरू होती है।
Also read- प्राचीन भारतीय स्वास्थ्य युक्तियाँ/ ANCIENT INDIAN HEALTH TIPS
समापन भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर पर
पंचक्रोशी यात्रा में पिंगलेश्वर, करोहन, नलवा, बिलकेश्वर, कालियादेह महल, दुर्देश्वर व उंडासा इस तरह कुल पाँच प़ड़ाव और दो उपपड़ाव आते हैं। नगर प्रवेश के पश्चात रात्रि में यात्री नगर सीमा स्थित अष्टतीर्थ की यात्रा कर त़ड़के शिप्रा स्नान करते हैं। यात्रा का समापन भगवान नागचंद्रेश्वर को बल लौटाकर होता है। इसके लिए यात्री बल के प्रतीक मिट्टी के घो़ड़े भगवान को अर्पित करते हैं।
Also read- जड़, पेड़, फल-फूल का ज्योतिषीय उपाय
प्रशासनद्वारा की जाने वाली व्यवस्थाएं
पंचक्रोशी यात्रा के दौरान विभिन्न पड़ावों, उपपड़ावों पर यात्रियों के ठहरने के दौरान उनके लिये टेन्ट, प्रकाश व्यवस्था, शामियाने, भोजन के लिये विभिन्न सामग्री, पेयजल, सफाई, दूध, चिकित्सा, एम्बुलेंस, अग्निशमन व्यवस्था, शौचालय, फव्वारे इत्यादि व्यवस्थाएं कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर जिला पंचायत एवं विभिन्न सम्बन्धित विभागों द्वारा की जा रही है।
Also read- ज्योतिष में पितृ दोष क्या है और इसके उपाय..
इसी तरह यात्रा मार्ग पर मधुमक्खियों के छत्ते हटाये जा रहे हैं। चिकित्सा विभाग द्वारा प्रत्येक पड़ाव पर यात्रियों को दवाईयों के साथ-साथ पैरों में लगाने के लिये मलहम की व्यवस्था की जाती है। प्रत्येक पड़ाव स्थल पर अस्थाई अस्पताल, उचित मूल्य की दुकान, कंडे आदि की व्यवस्था की पर्याप्त रूप से की जा रही है।
सामाजिक संस्थाओं की भागीदारी
पंचक्रोशी यात्रा में उज्जैन एवं घट्टिया तहसील के पड़ने वाले ग्रामों के निवासियों एवं ग्राम पंचायतों द्वारा पंचक्रोशी यात्रियों के लिये ठण्डे पेय, चाय, सेव-परमल, अन्य खाद्यान्न, छाया आदि की नि:शुल्क व्यवस्था की जाती है। इसी के साथ उज्जैन शहर की विभिन्न सामाजिक संस्थाएं भी नि:शुल्क भोजन के पैकेट एवं खाद्य सामग्री का वितरण करती है।
Also read- जन्म कुंडली के 9वे घर को नवम भाव कहते है..
पढ़िए ख़बरें-
पढ़त रहिये– DB NEWS 24 और देखें यूट्यूब चैनल you tube जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, सिनेमा, राजनीति और अपने उज्जैन की खबरें, जुडिएं हमारे फेसबुक Facebook पेज, Telegram और WhatsApp से…