बाबा महाकाल ने दिये उमा-महेश स्वरूप में प्रजा को दर्शन- देखे फोटो
ड्रोन से की गई सवारी मार्ग की निगरानी, एक हजार जवान और आरएएफ कंपनी तैनात
उज्जैन। सावन महीने के चौथा सोमवार को बाबा महाकाल (baba mahakal) की सवारी निकाली। इस बार भगवान महाकाल ने चांदी की पालकी में उमा महेश के स्वरूप में भक्तों को दर्शन दिये। पहले सशस्त्र सुरक्षाबलों ने बंदूकों से सलामी दी। इसके बाद राजाधिराज बाबा महाकाल प्रजा का हाल जानने निकले। सुरक्षा की दृष्टि से इस बार ज्यादा सख्ती बरती गई थी।
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आवाहन अखाड़े के महामंडलेश्वर अतुलेशानंद, कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम, महापौर मुकेश टटवाल और भाजपा नेता माखन सिंह ने सवारी का पूजन किया। एसपी सचिन शर्मा, कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम और नगर निगम कमिश्नर रोशन सिंह तीनों घोड़े पर बैठकर सवारी के आगे चल रहे हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु सवारी में शामिल हुए है। जगह-जगह बाबा महाकाल का पूजन-अर्चन किया गया। बाबा महाकाल के स्वागत के लिए सवारी मार्ग पर जगह-जगह रंगोली बनाई गई थी।
इन मार्गों से गुजरी सवारी
सवारी के दौरान भगवान के पिछले स्वरूप चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश स्वरूप, गरुड़ पर सवार भगवान शिव तांडव की प्रतिमा भी शामिल थी। सवारी से पहले महाकालेश्वर मंदिर स्थित सभा मंडप में भगवान का पूजन-अर्चन किया गया। सवारी मंदिर से प्रारंभ होकर कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंची। यहां शिप्रा जल से भगवान महाकाल का अभिषेक कर पूजन किया गया। पूजन के बाद सवारी परंपरागत मार्ग से होते हुए पुन: महाकाल मंदिर पहुंची।
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ड्रोन से की जा रही निगरानी
बाबा महाकाल (baba mahakal) सवारी में इस बार पहले के मुकाबले सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई थी। सवारी मार्ग पर ड्रोन से निगरानी की जा रही थी, वहीं एक हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं, जो पूरे मार्ग में साथ चल रहे थे। वहीं रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) भी तैनात की गई थी।
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बाबा महाकाल (baba mahakal) का राजा स्वरूप में दिव्य श्रृंगार
पुजारी महेश गुरु ने बताया कि तड़के भस्म आरती में भगवान बाबा महाकाल (baba mahakal) का पहला पूजन किया गया। पुजारी ने गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का जलाभिषेक कर दूध, दही, घी, शक्कर और शहद से बने पंचामृत से बाबा का पूजन किया। हरि ओम जल चढ़ाकर कपूर आरती के बाद भांग, चंदन और अबीर के साथ महाकाल के मस्तक पर ऊँ, चंद्र और त्रिपुंड अर्पित कर राजा स्वरूप में श्रृंगार किया गया। श्रृंगार पूरा होने के बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढक कर भस्म रमाई गई। आखिरी में भगवान की विशेष भस्म आरती की गई।
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