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कमलनाथ के साथ 15 विधायक और 4 महापौर छोड़ेंगे कांग्रेस..!

- कमलनाथ और नकुलनाथ के भाजपा में जाने से कांग्रेस को होगा बड़ा नुकसान

मध्यप्रदेश की राजनीति में भाजपा ने लोकसभा चुनाव के ठीक बड़ा दांव खेल दिया है। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अगर अपने सांसद पुत्र नकुलनाथ के साथ भारतीय जनता पार्टी का दामन थामते है तो यह भी तय है कि कमलनाथ समर्थक लगभग 15 विधायक, 4 महापौर, 6 पूर्व विधायक सहित सैकड़ों की संख्या में पार्टी नेता और कार्यकर्ता कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा का दामन थाम सकते है, जो कांग्रेस के लिए मध्यप्रदेश में एक बड़ा नुकसान साबित होगा।

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीच कांग्रेस नेताओं की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि कमलनाथ अगर भाजपा में शामिल होते है तो उनके साथ प्रदेश के कितने विधायक, महापौर और नेता कांग्रेस छोड़कर अपने नेता कमलनाथ के साथ भाजपा में शामिल हो सकते है इसका आंकलन करना भी कांग्रेस के लिए मुश्किल होगा। सूत्रों की माने तो यदि कमलनाथ और नकुलनाथ भाजपा में शामिल होते हैं तो मध्यप्रदेश में करीब 15 विधायक और 4 महापौर, 6 पूर्व विधायक कांग्रेस छोड़ सकते हैं, जिन्हें ंअब केवल कमलनाथ के अगले कदम का इंतजार है।

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कमलनाथ

कमलनाथ के साथ यह छोड़ सकते है कांग्रेस का हाथ…

सूत्रों के अनुसार कमलनाथ के साथ कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं में पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा, छिंदवाड़ा जिले के सभी 6 विधायक सुजीत चौधरी (चौरई), सोहन वाल्मीकि (परासिया), नीलेश उइके (पांढुर्ना), मधु भगत (परसवाड़ा), कमलेश शाह (अमरवाड़ा) और विजय चौरे (सौंसर) के साथ-साथ छिंदवाड़ा महापौर विक्रम अहाके और जिला अध्यक्ष विश्वनाथ ओकटे सहित कांग्रेस संगठन में कई ऐसे नेता, विधायकों, पूर्व विधायकों है जिनकी नियुक्ति कमलनाथ के हाथों हुई है। इनमें मालवा-निमाड़ के कई जिला और शहर अध्यक्ष शामिल हैं।

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सूत्रों के अनुसार कमलनाथ के साथ कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं में विधायक विवेक पटेल (वारासिवनी), चैन सिंह वरकड़े (निवास), मोंटू सोलंकी (सेंधवा), बाला बच्चन (राजपुर), सेना पटेल (जोबट), फुंदेलाल मार्को (पुष्पराजगढ़), लखन घनघोरिया (जबलपुर), सतीश सिकरवार (ग्वालियर) और बाबू जंडेल (श्योपुर) इनके नाम भी शामिल हो सकते है, क्योंकि यह भी कमलनाथ के समर्थक माने जाते हैं। इनके अलावा पूर्व विधायक तरुण भनोट और संजय यादव (जबलपुर), सुखदेव पांसे (बैतूल), दीपक सक्सेना (छिंदवाड़ा), सज्जन सिंह वर्मा (देवास) और सुनील जायसवाल (सिवनी) भी कमलनाथ खेमे में हैं।

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सभी की नजर कमलनाथ पर…

एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता के अनुसार यदि कमलनाथ कोई निर्णय लेते हैं तो बड़ी तादाद में विधायक, पूर्व विधायकों के साथ शहर और जिलाध्यक्ष भी उनके साथ कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम सकते है। कमलनाथ ने शुक्रवार को शिकारपुर में पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना, छिंदवाड़ा जिला अध्यक्ष विश्वनाथ ओकटे, सागर के कांग्रेस नेता अरुणोदय चौबे, सिवनी के कांग्रेस नेता एवं छिंदवाड़ा के प्रभारी सुनील जायसवाल और बैतूल के कांग्रेस नेता रामू टेकाम से भी मुलाकात की थी।

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यह 4 महापौर भी कमलनाथ समर्थक

कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों के अनुसार अगर कमलनाथ और नकुलनाथ ने कांग्रेस का हाथ छोड़ा तो कांग्रेस पार्टी मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी हासिये पर आ जायेंगी। क्योंकि सूत्रों का दावा है कि कमलनाथ के पार्टी छोड़ने की अटकलें सही साबित होती हैं तो ये महापौर शारदा सोलंकी (मुरैना), शोभा सिकरवार (ग्वालियर), अजय मिश्रा (रीवा) और विक्रम अहाके (छिंदवाड़ा) भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। उल्लेखनीय है कि पहले ही जबलपुर महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू भाजपा में आ चुके हैं, उन्हें भी कमलनाथ का करीबी माना जाता है। बता दें कि 2022 में हुए नगरीय निकाय चुनाव में 16 में से 5 महापौर पद कांग्रेस को मिले थे जबकि भाजपा के 9 महपौर जीते थे। सिंगरौली में आम आदमी पार्टी की रानी अग्रवाल जबकि कटनी में निर्दलीय प्रीति सूरी महापौर बनी थीं। प्रीति अब वापस बीजेपी में आ गई हैं। ऐसे में चार और महापौर बीजेपी में गए तो नगरीय निकायों से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो जाएगा।

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उपेक्षा से नाराज है कमलनाथ…

कांग्रेस पार्टी में कमलनाथ की गिनती टॉप 5 नेताओं में मानी जाती रही है, लेकिन विधानसभा चुनाव हारने के बाद से लगातार कांग्रेस पार्टी और संगठन के वरिष्ठ नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की उपेक्षा की, जिससे वह काफी नाराज है। सूत्रों की माने तो कमलनाथ की सबसे बड़ी पीड़ा यह है कि जब वे विदेश में थे, तब उनसे सलाह किए बगैर ही पार्टी आलाकमान ने जीतू पटवारी को मध्यप्रदेश कांगे्रस का अध्यक्ष बना दिया। इसके बाद जब कमलनाथ ने राज्यसभा सीट के लिए सोनिया गांधी से मुलाकात की, लेकिन पार्टी ने अशोक सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित कर उनकी उपेक्षा की।

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15 साल बाद मध्यप्रदेश मिली थी सत्ता

मध्यप्रदेश में कांग्रेस 2003 के विधानसभा चुनाव से ही हार रही थी। यही कारण था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को टक्कर देने के लिए गांधी परिवार ने कमलनाथ पर ही भरोसा जताया। 26 अप्रैल 2018 को उन्हें मध्यप्रदेश की कमान सौंपी गई थी। मध्यप्रदेश का प्रभार संभालने के बाद कमलनाथ ने भोपाल में अपना डेरा डाला तो सबसे पहले उन्होंने पार्टी कार्यालय की सूरत संवारी। नए सिरे से इमारत का रंग रोगन हुआ। मध्यप्रदेश के चुनाव में करीब तीन चौथाई संसाधनों की व्यवस्था कमलनाथ ने ही जुटाई। दिसंबर 2018 में जब रिजल्ट आया तो कांग्रेस 113 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। कमलनाथ ने सीएम के तौर पर शपथ ली थी।

विधानसभा चुनाव 2023 के बाद दूरियां बढ़ी

मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सत्ता बनने के बाद मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत कांग्रेस को महंगी पड़ी और सिंधिया ने 22 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ दी। इसके बाद एक बार फिर मप्र में भाजपा की सरकार बनी। भाजपा सरकार बनने के बाद भी कमलनाथ ने मध्यप्रदेश प्रदेश नहीं छोड़ा। 2023 का विधानसभा चुनाव भी उनकी ही अगुवाई में कांग्रेस ने लड़ा। हालांकि इस बार कांग्रेस 66 सीटों पर सिमट गई। इसी हार के बाद कमलनाथ और हाईकमान में दूरियां बढ़ने लगी।

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9 बार सांसद और दो बार के विधायक

कमलनाथ ऐसे इकलौते नेता हैं, जो गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ काम कर रहे हैं। पहले इंदिरा गांधी, फिर संजय-राजीव और सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका गांधी के साथ भी उनके संबंध मधुर रहे हैं। कांग्रेस 1980 में छिंदवाड़ा से पहला लोकसभा चुनाव लड़ने वाले कमलनाथ भले ही इंदिरा गांधी की लहर में जीत गए थे, लेकिन इसे कांग्रेस का अभेद्य किला उन्होंने विकास के जरिए ही बनाया। कमलनाथ छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से 9 बार- 1980, 1984, 1990, 1991, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में जीते। कमलनाथ के इस गढ़ से 1996 में उनकी पत्नी अलकानाथ और 2019 में बेटे नकुलनाथ भी जीत चुके हैं। 2018 में मध्यप्रदेश के सीएम बनने के बाद उन्होंने 2019 में छिंदवाड़ा विधानसभा सीट से उपचुनाव जीता। 2023 में इसी सीट से लगातार दूसरी बार विधायक का चुनाव जीते।

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पटवा से एक बार चुनाव हारे कमलनाथ

राजनीति के गलियारों में बाजीगर कहे जाने वाले कमलनाथ छिंदवाड़ा से सिर्फ एक बार चुनाव हारे हैं। 1996 में हवाला कांड में नाम आने के बाद कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया। तब पार्टी ने उनकी पत्नी अलका नाथ को चुनाव लड़ाया था। वो चुनाव जीत भी गईं। कमलनाथ ने अपनी पत्नी का संसद से इस्तीफा दिलवा दिया और खुद छिंदवाड़ा में उपचुनाव में प्रत्याशी बन गए। 1997 में छिंदवाड़ा में हुए उपचुनाव में भाजपा ने सुंदरलाल पटवा को मैदान में उतार दिया। पटवा ने ये चुनाव बखूबी लड़ा और कमलनाथ को उन्हीं के गढ़ में पहली बार मात देने में सफल रहे। यही एक मात्र चुनाव है, जिसमें कमलनाथ को हार का सामना करना पड़ा। लेकिन अगले साल 1998 के चुनाव में कमलनाथ ने पटवा को हराकर हिसाब बराबर कर लिया था।

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Dharmendra Bhati

मैं धर्मेंद्र भाटी, DB News24 का Author & Founder हूँ तथा पिछले 22 वर्षो से निरंतर सक्रिय पत्रकारिता के माध्यम राजनितिक, प्रशासनिक, सामाजिक और धार्मिक खबरों की रिपोर्टिंग करता हूँ साथ ही Daily जॉब्स, ज्योतिष, धर्म-कर्म, सिनेमा, सरकरी योजनाओ के बारे में आर्टिकल पब्लिश करता हूँ। हमारा संकल्प है कि नई-नई जानकारियाँ आप तक सरल और सहज भाषा में आप तक पंहुचे। जय हिन्द

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