डॉ. मोहन यादव सरकार का बड़ा फैसला: निगम, मंडल, प्राधिकरणों की नियुक्तियां निरस्त
उज्जैन विकास प्राधिकरण अध्यक्ष सहित मंत्री दर्जा प्राप्त 46 अध्यक्ष-उपाध्यक्षों को हटाया
भोपाल। मघ्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए मंगलवार देर रात को प्रदेश भर के 46 निगम, मंडल और प्राधिकरणों के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों की नियुक्तियों को निरस्त कर दिया है। जिसमें उज्जैन विकास प्राधिकरण अध्यक्ष श्याम बसंल और योजना आयोग के उपाध्यक्ष विभाग उपाध्याय का नाम भी शामिल है। इन सभी की नियुक्तियां पूर्ववर्ती शिवराज सरकार में की गई थी। वहीं इन सभी को कैबिनेट और राज्यमंत्रियों का दर्जा प्राप्त था।
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मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपने कुशल नेतृत्व के चलते लगातार प्रदेश को विकास की राह पर आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों को साकार करते हुए केंद्रीय और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी नितियों पर कार्य करते हुए सत्ता में काबिज ऐसे अधिकारियों पर भी नियंत्रण करते हुए लगातार कार्यवाह कर रहे है, जो जनता के बीच अपने कर्तव्यों पर खरे नही उरत रहे है, इसके अलावा अब उन्होंने सत्ता से जुड़े निगम, मंडल और प्राधिकरणों में भी सुधार और कसावट की पहल शुरू कर दी है।
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लोकसभा चुनाव को देखते हुए लिया निर्णय
आगामी तीन महिनों में लोकसभा चुनाव होना है, जिसे देखते हुए संगठन से जुड़े पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक बार पुन: उपकृत करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को एक बड़ा निर्णय लिया है, जिसमें उन्होंने प्रदेशभर के 46 अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदो पर निगम, मंडल और प्राधिकरणों काबिज नियुक्तियों को भंग कर दिया है। सूत्र बताते है कि अब डॉ. मोहन यादव सरकार निगम, मंडल और प्राधिकरणों में अध्यक्ष और उपाध्यक्षों की नियुक्ति लोकसभा चुनाव के बाद ही करेंगी। इसमें उन नेताओं को जगह दी जायेंगी जो लंबे समय से उपेक्षित चल रहे हैं और ऐसे भी नेताओं को मौका दिया जा सकता है, जो मजबूत दावेदार होने के बाद भी विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं हासिल कर पाए थे।
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उज्जैन से बसंल और उपाध्याय शामिल…
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह क्षेत्र उज्जैन की अगर बात करे तो यहां से उज्जैन विकास प्राधिकरण अध्यक्ष श्याम बसंल और योजना आयोग उपाध्यक्ष पद पर विभाग उपाध्याय काबिज थे, लेकिन डॉ. मोहन यादव सरकार द्वारा लिये गये निर्णय के बाद इनकी नियुक्तियां भी निरस्त हो गई है। शिवराज सरकार के कार्यकाल में संभागीय संगठन मंत्रियों को हटाकर उन्हें निगम मंडलों में नियुक्त किया था। दिसंबर 2021 में शैलेंद्र बरुआ, आशुतोष तिवारी, जितेंद्र लिटौरिया जैसे संगठन मंत्रियों को राज्य सरकार ने मंत्री का दर्जा दिया था। वहीं 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए विधायकों को उपचुनाव हारने के बाद शिवराज सरकार ने इस श्रेणी में मंत्री का दर्जा दिया था। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में इनमें से कई नेताओं के टिकट भी काट दिए गए लेकिन उनका मंत्री दर्जा बरकरार था।
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