टिकट कटने से दुखी पारस जैन का दर्द सोशल मीडिया पर झलका…
मुझसे एक बार पूछा जाता या मुझे विश्वास में लेकर बताया जाता तो मेरे सम्मान को इतनी ठेस नहीं पहुँचती
उज्जैन। छ: बार के विधायक और दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री रहे पारस जैन को उम्मीद थी कि उन्हें संगठन एक बार फिर टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारेंगा, लेकिन ऐसा नही हुआ और पार्टी ने नये चेहरे के रूप में अनिल जैन कालूहेड़ा को अपना प्रत्याशी बना दिया। संगठन के इस निर्णय से पारस जैन इतने दुखी हुए कि उनका यह दर्द सोशल मीडिया पर झलकने लगा।
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पारस जैन ने सोशल मीडिया फेसबुक पर एक पोस्ट की है, जिसमें उन्होंने शहरवासियों और पार्टी का आभार और धन्यवाद जताते हुए अपने दर्द को भी सांझा किया है। इस सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट में पारस जैन ने लिखा है कि मुझे इस बात का दु:ख नहीं है कि मुझे दोबारा चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला क्योंकि अवसर सभी को मिलना चाहिए, लेकिन उज्जैन उत्तर से छ: बार विधायक और एक वरिष्ठ कार्यकर्ता होने के नाते मुझसे एक बार पूछा जाता या मुझे विश्वास में लेकर बताया जाता तो मेरे सम्मान को इतनी ठेस नहीं पहुँचती।
छ: बार विधायक और दो बार मंत्री
पारस जैन 1990, 1993, 2003, 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से चुनाव लड़े और जीते भी। छ: बार के विधायक रहे पारस जैन दो बार मंत्री भी बने। पारस जैन ने हमेशा अपनी जीत का रिकार्ड तोड़ा और सर्वाधिक वोटो से जितने का रिकार्ड बनाते रहे, उन्हें उम्मीद थी कि इस बार यानि 2023 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी उन्हें ही अवसर देंगी, लेकिन ऐसा नही हुआ। भाजपा ने उनकी जगह अनिल जैन कालूहेड़ा को प्रत्याशी घोषित कर दिया। जिससे उन्हें भी यकिन नही हुआ, लेकिन कहते है ना कि सत्ता और संगठन में कब ऊंट किस करवट बैठेंगा किसी को पता नही चलता है और शायद पारस जैन के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ।
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उम्मीद तो सोनू गेहलोत की भी टूटी…
पारस जैन के विकल्प के रूप में भाजपा के अगला प्रत्याशी पूर्व निगम सभापति सोनू गेहलोत को माना जा रहा था। सोनू गेहलोत भी लगातार 10 सालों से विधायक की टिकट की दौड़ में चल रहे थे, लेकिन इस बार उनकी मजबूत दावेदारी मानी जा रही थी, लेकिन राजनैतिक गलियारों में यह भी चर्चा थी कि पारस जैन किसी भी कीमत पर अपने अलावा किसी और को प्रत्याशी नही बनने देंगे, खासकर सोनू गेहलोत तो उनके निशाने पर शुरू से ही थे। शहरवासियों को भी उम्मीद थी कि इस बार भाजपा नये चेहरे को अगर अवसर देगी तो उसमें सोनू गेहलोत ही होंगे, लेकिन संगठन ने एनवक्त पर जातिगत आरक्षण को ध्यान में रखते हुए अपना फैसला बदल दिया और सोनू के स्थान पर अनिल जैन को प्रत्याशी बना दिया गया।
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पारस जैन ने फेसबुक पोस्ट में यह भी लिखा…
मैं अपने ह्रदय की शुभभावनाओं के साथ उज्जैन की जनता और भारतीय जनता पार्टी का आभारी हूँ और धन्यवाद देना चाहता हूँ की उनके आशीर्वाद से इतने वर्षों तक मुझे सेवा का मौका दिया गया और मैंने इस दायित्व को निष्ठा और समर्पण के साथ निभाने का प्रयास किया। पूर्व मुख्यमंत्री श्रद्धेय स्वर्गीय सुन्दरलाल पटवा जी ने मुझसे कहा था कि पारस जी, आपने राजनीति में सफेद चादर के साथ प्रवेश किया है और आप सफेद चादर के साथ ही जाएंगे। मुझे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के ऐसे कई वरिष्ठों का आशीर्वाद समय-समय पर मिलता रहा और मैं उन सभी के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करना चाहता हूँ।
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मुझे इस बात का दु:ख नहीं है कि मुझे दोबारा चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला क्योंकि अवसर सभी को मिलना चाहिए, लेकिन उज्जैन उत्तर से छ: बार विधायक और एक वरिष्ठ कार्यकर्ता होने के नाते मुझसे एक बार पूछा जाता या मुझे विश्वास में लेकर बताया जाता तो मेरे सम्मान को इतनी ठेस नहीं पहुँचती। भारतीय जनता पार्टी हमारी माँ है और माँ से बढ़कर कोई नहीं है। मैंने एक कार्यकर्ता के रूप में शुरूआत की थी और आज भी मैं अपना कार्य अपनी पार्टी के लिए एक कार्यकर्ता के रूप में करता रहूँगा। हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश, प्रदेश और शहर तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं।
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इसलिए मैं पूरे उज्जैन की जनता से आग्रह करता हूँ कि इस विधानसभा चुनाव में भी आप अपना मूल्यवान वोट भाजपा को देकर निरंतर विकास और समृद्धि की और यह सफर जारी रखें। जनसेवा का जो कार्य मुझे भाजपा और संघ ने सिखाया वो आगे भी मेरे द्वारा निरंतर जारी रहेगा क्योंकि मेरे जीवन का उद्देश्य ही यही है। पारस जैन फाउंडेशन के नाम से एक छोटे से ट्रस्ट की स्थापना कर मैं अपने लोगो के साथ मिलकर गरीबो और जरूरतमंदों की मदद करता रहूँगा। मुझे आशा है मेरे रहते और मेरे बाद भी ये ट्रस्ट सेवा के कार्य को आगे बढ़ाएगा। उज्जैन की जनता के साथ मैं हमेशा रहूँगा।
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