निगम अधीक्षण यंत्री ने सेवानिवृत होने से पहले किया कमाल…
महज 30 दिन में 6 कालोनी को विकास अनुमति वहीं 5 को पूर्णता: प्रमाण पत्र
उज्जैन। नगर निगम से सेवानिवृत्त हुए निगम अधीक्षण यंत्री गोपाल कृष्ण कठिल शहर के बड़े कॉलोनाइजरों और बिल्डरों की कॉलोनिया बनाने का रास्ता साफ कर गए। अपने रिटायरमेंट से एक महीने के भीतर 5 कॉलोनियों के पूर्णता प्रमाण तो 6 कॉलोनियों के विकास अनुमति जारी कर दी। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर रिटायरमेंट के महज 30 दिन में ऐसी क्या जल्दबाजी हुई कि 11 कॉलोनियों के लिए अनुमतियां जारी करना पड़ी।
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नगर निगम अधीक्षण यंत्री (Corporation Superintending Engineer) कठिल द्वारा दी गई सारी अनुमतियां जून 2023 की है। जबकि वे 30 जून को निगम से सेवानिवृत्त हो गए। आशंका जताई जा रही है कॉलोनियों को लेकर जारी अनुमतियों में लाखों का खेल हुआ है। अगर जांच होती है तो बड़ी गड़बडियां सामने आ सकती है। नगर निगम द्वारा शहर में विकसित होने वाली कॉलोनी और उनके पूर्ण होने पर प्रमाण-पत्र जारी करती है। निगम में यह अनुमतियां निगम अधीक्षण यंत्री के अधिकार क्षेत्र की है। निगम में सेवानिवृत्त हुए जीके कठिल ने अप्रेल से जून 2023 तक के तीन महीने में 7 कॉलोनियों के पूर्णता प्रमाण पत्र तो इतनी ही कॉलोनियों के विकास अनुमति जारी की है। इस संबंध में कंठिल से चर्चा करना चाही लेकिन संपर्क नही हो सका।
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सेवानिवृत्त होने वाले महिने में ही सबसे ज्यादा खेल?
इसमें भी सबसे अचरज की बात है कि जिस जून 2023 मेंं नगर निगम अधीक्षण यंत्री कठिल रिटायर्ट होना था उस माह में अधीक्षण यंत्री कठिल पांच कॉलोनियों के पूर्णता-प्रमाण पत्र तो 6 कॉलोनियों के विकास अनुमतियां जारी कर दी। आखिर पांच महीने में कॉलोनी कैसे बनकर तैयार हो गई। निगम सूत्र ही बता रहे हैं कि कॉलोनियों की अनुमति जारी में लाखों रुपए का खेल हुआ है। चूंकि अधीक्षण यंत्री कठिल का सेवानिवृत्त होना था लिहाजा कॉलोनाइजर व बिल्डरों के सांठगांठ कर अनुमतियां जारी कर दी गई।
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जल्दबाजी में अनुमतियां, नहीं की जांच
निगम द्वारा तीन महीने के दौरान कॉलोनियों के पूर्णता प्रमाणपत्र अैर विकास अनुमतियां देने में नियमों का पालन नहीं करने की बात भी सामने आ रही है। निगम कर्मचारी ही बता रहे हैं कि विकास अनुमति से जुड़े कई दस्तावेज देखे नहीं गए है। वहीं पूर्णता प्रमाण-पत्र में मौके पर जांच किए बगैर ही कागजों पर अनुमति दे दी गई। इनकी जांच होती है तो कमियां सामने आएगी।
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कब मिलती है विकास अनुमति
कॉलोनी निर्माण में कॉलोनाइजर द्वारा नगर तथा ग्राम निवेश से ले-आउट पास कराने के बाद उसके द्वार विकसित की जाने वाली कॉलोनी में उद्यान, सडक, लाइट, सीवरेज, पानी की लाइन आदि की प्लानिंग दी जाती है ।इसमें कैसा निर्माा होगा, क्या साइज रहेगी आदि जानकारी रहती है। निगम के जोन कार्यालय से संबंधित विभाग इसकी जांच कर कॉलोनी सेल को पहुंचाते है। इसी रिपोर्ट पर विकास अनुमति जारी की जाती है। निगम एक निश्चित शुल्क भी लेता है। कॉलोनी को जल्द निर्माण के लिए कॉलोनाइजर जल्द से जल्द विकास अनुमति लेना चाहता है।
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कालोनी पूर्णता प्रमाण-पत्र
कॉलोनाइजर द्वारा पूर्णता प्रमाण के लिए आवेदन करता है। पूर्व में जारी विकास अनुमति के आधार पर कॉलोनी में निर्माण हुआ है या नही इसकी संबंधित विभाग दोबारा से जांच करता है। कमियांं निकलने पर प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया जाता है। कॉलोनाइजर जल्द पूर्णता प्रमाण-पत्र चाहता है ताकि वह कॉलोनी को निगम हैंडओवर कर अपनी जवाबदारी से हट सके।
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