धर्मप्रदेश

क्या है संकष्ट चतुर्थी: आज गणपति की अराधना से मिलेंगी संकटों से मुक्ति

- संकष्ट संस्कृत भाषा का एक शब्द है, जिसका अर्थ कठिन समय से मुक्ति पाना

संकष्ट चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी। संकष्ट संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है कठिन समय से मुक्ति पाना। इस दिन व्यक्ति अपने दु:खों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है। आचार्य पंड़ित श्यामगुरु (तंत्र साधक) तीर्थपुरोहित बताते है कि पुराणों के अनुसार संकष्ट चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है। इस दिन सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं। संकष्ट चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति भगवान की पूजा-पाठ की जाती है।

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संकष्ट चतुर्थी पूजा विधि

भगवान गणपति में आस्था रखने वाले लोग इस दिन उपवास रखकर उन्हें प्रसन्न कर अपने मनचाहे फल की कामना करते हैं। इस दिन प्रात: काल सूर्योदय से पहले उठ जाएँ। व्रत करने वाले लोग सबसे पहले स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहन लें। इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है और साथ में यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है। स्नान के बाद वे भगवान गणपति जी की पूजा की शुरूआत करें।

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भगवान गणपति जी की पूजा करते समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए। सबसे पहले आप भगवान की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें। पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी, धुप, चन्दन , प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें। ध्यान रहे कि पूजा के समय आप देवी दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति भी अपने पास रखें । ऐसा करना बेहद शुभ है। भगवान गणपति जी को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें। संकष्टी को भगवान गणपति जी को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं। भगवान के सामने धूप-दीप जला कर निम्लिखित मन्त्र का जाप करें।

गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।

पूजा के बाद आप फल फ्रूट्स आदि प्रसाद सेवन करें। शाम के समय चांद निकलने से पहले आप भगवान की पूजा करें और संकष्ट व्रत कथा का पाठ करें। पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें। रात को चाँद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्ट चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है।

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पारिवारिक कलह नाशक प्रयोग

पति-पत्नी में झगड़ा हो गया हो और उसका शमन करना हो तो पति-पत्नी दोनों पार्वतीजी को तिलक करके उनकी ओर एकटक देखें तथा प्रार्थना करें। अगर पति पत्नी को निकाल देना चाहता है तो पत्नी यह प्रयोग करें। इससे झगड़ा शांत हो जायेगा।

धनआरोग्य एवं शांति की प्राप्ति के लिए

जो व्यक्ति चतुर्मास में भगवान विष्णु पर कनेर के पुष्प अर्पित करता है, उस पर लक्ष्मीजी की सदैव कृपा बनी रहती है। उसे आरोग्य एवं शांति की प्राप्ति होती है तथा उसके संकट दूर होते हैं।

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Dharmendra Bhati

मैं धर्मेंद्र भाटी, DB News24 का Author & Founder हूँ तथा पिछले 22 वर्षो से निरंतर सक्रिय पत्रकारिता के माध्यम राजनितिक, प्रशासनिक, सामाजिक और धार्मिक खबरों की रिपोर्टिंग करता हूँ साथ ही Daily जॉब्स, ज्योतिष, धर्म-कर्म, सिनेमा, सरकरी योजनाओ के बारे में आर्टिकल पब्लिश करता हूँ। हमारा संकल्प है कि नई-नई जानकारियाँ आप तक सरल और सहज भाषा में आप तक पंहुचे। जय हिन्द

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