महिला एवं बाल विकास विभाग की पर्यवेक्षक रिश्वत लेते गिरफ्तार
- लोकायुक्त पुलिस ने किया ट्रैप, 4,000 रुपये की रिश्वत लेते पकड़ी गई आरोपिया

धार: मध्य प्रदेश के धार जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। महिला एवं बाल विकास विभाग, बाग की पर्यवेक्षक (अतिरिक्त प्रभारी परियोजना अधिकारी) श्रीमती पुष्पा बेनल को राधाकृष्ण स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष सुशीला बघेल से 4,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया। इस कार्रवाई में लोकायुक्त पुलिस की विशेष टीम ने अहम भूमिका निभाई।
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यह है पूरा मामला
राधाकृष्ण स्व-सहायता समूह, जिसका संचालन ग्राम भमोरी, तहसील कुक्षी, जिला धार की निवासी सुशीला पति गंगाराम बघेल पिछले छह वर्षों से कर रही हैं, आंगनवाड़ी केंद्रों के बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन तैयार करने और वितरित करने का कार्य करता है। शासन द्वारा इस कार्य के लिए समूह को प्रति माह 9,000 रुपये की राशि प्रदान की जाती है, जो महिला एवं बाल विकास विभाग, बाग द्वारा समूह के बैंक खाते में जमा की जाती है। आरोपिया श्रीमती पुष्पा बेनल (उम्र 55 वर्ष, निवासी: कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल के पीछे, कुक्षी-बड़वानी रोड, निसरपुर, जिला धार) ने स्व-सहायता समूह की मार्च और अप्रैल 2025 की राशि जमा करवाने तथा मई 2025 की राशि डलवाने के एवज में सुशीला बघेल से 6,000 रुपये की रिश्वत की मांग की थी।
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शिकायत और लोकायुक्त की कार्रवाई
रिश्वत की मांग से परेशान सुशीला बघेल ने इसकी शिकायत लोकायुक्त कार्यालय, इंदौर के पुलिस अधीक्षक राजेश सहाय से की। शिकायत के सत्यापन के बाद, लोकायुक्त पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष ट्रैप दल का गठन किया। दिनांक 3 जून 2025 को, लोकायुक्त की टीम ने सुनियोजित तरीके से कार्रवाई करते हुए आरोपिया पुष्पा बेनल को सुशीला बघेल से 4,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया।
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लोकायुक्त पुलिस ने इस कार्रवाई में विशेष सावधानी बरती। रिश्वत की राशि को चिह्नित किया गया था, और ट्रैप के दौरान पुष्पा बेनल के हाथों से रंगीन पानी निकलने की पुष्टि हुई, जो रिश्वत के नोटों पर लगाए गए विशेष पाउडर के कारण हुआ। यह तकनीक रंगे हाथ पकड़े जाने के लिए लोकायुक्त द्वारा आमतौर पर उपयोग की जाती है।
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कानूनी कार्रवाई
आरोपिया पुष्पा बेनल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस धारा के अंतर्गत, किसी लोक सेवक द्वारा रिश्वत की मांग और स्वीकृति को गंभीर अपराध माना जाता है, जिसके लिए कठोर कारावास और जुमार्ने का प्रावधान है। प्रारंभिक कार्रवाई के बाद, आरोपिया को पूछताछ के लिए लोकायुक्त कार्यालय ले जाया गया। मामले की जांच और कानूनी प्रक्रिया जारी है।
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लोकायुक्त टीम की भूमिका
इस सफल ट्रैप कार्रवाई में लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक राजेश सहाय के मार्गदर्शन में लोकायुक्त टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यवाहक उप निरीक्षक आनंद चौहान, आरक्षक विजय कुमार, अनिल परमार, चेतन सिंह परिहार, कमलेश तिवारी, महिला आरक्षक श्रीमती सोनम चतुवेर्दी और चालक शेरसिंह ठाकुर की मेहनत और समन्वय ने इस कार्रवाई को सफल बनाया।
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भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख
यह कार्रवाई मध्य प्रदेश सरकार और लोकायुक्त के भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख को दशार्ती है। हाल के वर्षों में, लोकायुक्त पुलिस ने कई मामलों में रिश्वतखोर अधिकारियों और कर्मचारियों को पकड़ा है। उदाहरण के लिए, हाल ही में नीमच जिले में एक पटवारी को 7,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। इसी तरह, सूरजपुर जिले में एक अन्य पटवारी को 3,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था।
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सामाजिक प्रभाव
यह मामला एक बार फिर सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के साथ होने वाले शोषण को उजागर करता है। स्व-सहायता समूह जैसे राधाकृष्ण समूह, जो ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के पोषण के लिए महत्वपूर्ण कार्य करते हैं, को ऐसी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इस तरह की कार्रवाइयां न केवल भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाती हैं, बल्कि समाज में पारदर्शिता और विश्वास को भी बढ़ावा देती हैं।
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लोकायुक्त की अपील…
लोकायुक्त पुलिस ने इस मामले में जनता से अपील की है कि वे भ्रष्टाचार के किसी भी मामले की जानकारी बिना डर के उनके कार्यालय तक पहुंचाएं। यह कार्रवाई अन्य भ्रष्ट अधिकारियों के लिए भी एक चेतावनी है कि कानून का शिकंजा उन पर कस सकता है। इस मामले में अगली सुनवाई और जांच के परिणामों का इंतजार है, जो यह तय करेगा कि आरोपिया को कितनी सजा मिलेगी।
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