प्रदेश

भोपाल में पशुपालन विभाग के कार्यालय का सामान कुर्क

- दिल्ली की फर्म को भुगतान में देरी का मामला

भोपाल: दिल्ली की एक फर्म को उपकरण सप्लाई के बदले भुगतान न किए जाने के मामले में भोपाल की जिला न्यायालय के आदेश पर नजारत विभाग के कर्मचारियों ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी विभाग के संचालक और प्रमुख सचिव के कार्यालय का फर्नीचर और अन्य सामान कुर्क कर लिया। यह कार्रवाई दिल्ली हाईकोर्ट के 2013 के आदेश का पालन न किए जाने के बाद की गई, जिसमें पशुपालन विभाग को दिल्ली की फर्म पारुल इंटरप्राइजेज को 40 लाख रुपये ब्याज सहित भुगतान करने का निर्देश दिया गया था।

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मामले का इतिहास

साल 2003 में दिल्ली की फर्म पारुल इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर प्रेम भसीन ने मध्य प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी विभाग को लगभग 40 लाख रुपये मूल्य के उपकरण सप्लाई किए थे। विभाग ने इसमें से केवल 10 लाख रुपये का भुगतान किया, और शेष राशि का भुगतान नहीं किया गया। बकाया राशि की वसूली के लिए प्रेम भसीन ने 2006 में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

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17 दिसंबर 2013 को दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश जस्टिस मुरलीधर ने पशुपालन विभाग को याचिकाकर्ता को ब्याज सहित 40 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया। हालांकि, पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने इस आदेश का पालन नहीं किया। इसके बाद, 2019 में प्रेम भसीन ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए वसूली की याचिका दायर की।

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भोपाल में मामला स्थानांतरित

21 जनवरी 2020 को दिल्ली के अपर जिला न्यायाधीश अनुज अग्रवाल ने इस मामले को भोपाल के प्रधान जिला न्यायाधीश को स्थानांतरित कर दिया, क्योंकि भुगतान करने वाले प्रतिवादी भोपाल के थे। इसके बाद भोपाल की जिला न्यायालय में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई।

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कुर्की की कार्रवाई

भोपाल की जिला न्यायालय में अपर जिला न्यायाधीश जैनुल आबेदीन ने मामले की सुनवाई के बाद पशुपालन एवं डेयरी विभाग के संचालक और प्रमुख सचिव के कार्यालय का फर्नीचर और अन्य सामान कुर्क करने का आदेश दिया। इस आदेश के तहत शुक्रवार को नजारत विभाग के कर्मचारियों ने कुर्की की कार्रवाई को अंजाम दिया। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता संदीप उमरे और इकराम खान ने चतुर्थ जिला एवं सत्र न्यायाधीश जैनुल आबेदीन के समक्ष याचिका प्रस्तुत की थी। उनकी पैरवी के आधार पर न्यायालय ने यह कड़ा कदम उठाया।

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पशुपालन विभाग की चुप्पी

इस मामले में पशुपालन एवं डेयरी विभाग की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। विभाग के इस रवैये से सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने में इतनी देरी की गई। यह मामला सरकारी विभागों द्वारा निजी फर्मों के साथ लेनदेन में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है। दिल्ली हाईकोर्ट और भोपाल जिला न्यायालय के आदेशों के बावजूद भुगतान में देरी ने न केवल फर्म को आर्थिक नुकसान पहुंचाया, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा पर भी सवाल उठाए। इस कार्रवाई के बाद यह देखना होगा कि पशुपालन विभाग अब बकाया राशि का भुगतान करता है या नहीं।

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Dharmendra Bhati

मैं धर्मेंद्र भाटी, DB News24 का Author & Founder हूँ तथा पिछले 22 वर्षो से निरंतर सक्रिय पत्रकारिता के माध्यम राजनितिक, प्रशासनिक, सामाजिक और धार्मिक खबरों की रिपोर्टिंग करता हूँ साथ ही Daily जॉब्स, ज्योतिष, धर्म-कर्म, सिनेमा, सरकरी योजनाओ के बारे में आर्टिकल पब्लिश करता हूँ। हमारा संकल्प है कि नई-नई जानकारियाँ आप तक सरल और सहज भाषा में आप तक पंहुचे। जय हिन्द

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