अंशुल गुप्ता की मेहरबानी से वित्त अधिकारी आदित्य नागर बन गये अपर आयुक्त

– अपर आयुक्त आरएस मंडलोई ने महापौर को लिखा पत्र
उज्जैन। पूर्व नगर निगम (municipal Corporation) आयुक्त अंशुल गुप्ता की कार्यप्रणाली को लेकर वैसे तो नगर निगम के अधिकारियों से लेकर कर्मचारी तक अच्छी तरह से वाकिफ थे, लेकिन उनके कुछ कारनामे ऐसे है, जिसके कारण वह हमेशा चर्चाओं में रहे है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें पूर्व नगर निगम आयुक्त (municipal commissioner) अंशुल गुप्ता वित्त अधिकारी (तृतीय श्रेणी) आदित्य नागर को अपर आयुक्त (उच्च प्रथम श्रेणी) के दायित्वों की जिम्मेदारी सौंप दी थी। जिसको लेकर अपर आयुक्त आरएस मंडलोई द्वारा महापौर और वर्तमान नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखकर अपर आयुक्त के दायित्वों से मुक्त करने की मांग की गई है, जिसमें म.प्र. शासन वित्त विभाग मंत्रालय भोपाल का आदेश क्रमांक/ 2487/ 2030/ 2021 / ई/ चार / भोपाल दिनांक 10/12/2021 का भी हवाला दिया गया है।
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सूत्रों के अनुसार स्व घोषित अपर आयुक्त आदित्य नागर जो कि वास्त्व में वित्त अधिकारी (तृतीय श्रेणी) है को मप्र शासन द्वारा नगर निगम उज्जैन में मात्र वित्त अधिकारी के रूप में कार्य करने हेतु द्वारा पदस्थ किया गया था। लेकिन पूर्व निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता से सांठगांठ कर आदित्य नागर द्वारा नगर निगम उज्जैन में स्वीकृत विभागीय अपर आयुक्त के समस्त कार्य हासिल कर लिये। अपर आयुक्त आरएस मंडलोई महापौर मुकेश टटवाल को लिखे पत्र के जरिये मांग की है कि नगर निगम में वित्त अधिकारी आदित्य नागर से वरिष्ठ कई अधिकारी मौजूद है, जिन्हें शासन द्वारा जिस कार्य सम्पादन एवं दायित्वों के लिए यहां स्थानांतरित किया गया है, उन्हें उनके पद के अनुरूप कार्य दायित्व सौपे जाना चाहिये। वहीं स्व घोषित अपर आयुक्त आदित्य नागर को वित्त अधिकारी का कार्य सौपा जाए।
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अधिकारियों की भरमार, फिर भी मेहरबानी आदित्य नागर और नीता जैन पर
पूर्व नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता ने अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए अपने चहेतों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप दी, जिसमें वित्त अधिकारी आदित्य नागर को अपर आयुक्त का प्रभार, नीता जैन जिन पर लोकायुक्त में रिश्वत लेने का आरोप है, उन्हें आधा दर्जन से अधिक विभागों का प्रभार जबकि अन्य अधिकारियों को प्रभाव विहिन बना रखा था। सूत्रों की माने तो आदित्य नागर और नीता जैन से वरिष्ठ नगर निगम उज्जैन में 2 अपर आयुक्त, 2 उपायुक्त, 5 सहायक आयुक्त पदस्थ है। इन पदस्थ विभागीय अधिकारियों के पास कोई महत्वपूर्ण विभाग, जिम्मेदारी या कार्य नहीं है।
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क्या है आदित्य नागर का काम…
विभागीय सूत्रों की माने तो आदित्य नागर को शासन द्वारा वित्त अधिकारी के रूप में उज्जैन नगर निगम में पदस्थ किया गया है, लेकिन पूर्व निगमायुक्त अंशुल गुप्ता की मेहरबानी से वह अपर आयुक्त का जिम्मा संभाल रहे है। हालांकि नवागत आयुक्त रोशनसिंह जल्द ही विभागीय कार्याें में बदलाव करेंगे, लेकिन अब इसकी गूंज शिकायतों के रूप में सामने आने लगी है। बताया जाता है कि आदित्य नागर का वास्तविक कार्य व पद अनुरूप दायित्व मात्र लेखाओं का रख रखाव तथा लेखाओं का संधारण करना ही है। नागर अपर आयुक्त पद की पात्रता ही नहीं रखते है। इनके द्वारा अपर आयुक्त के पदों पर कार्य करते हुए अवैधानिक रूप से नस्थीयों पर स्वयं द्वारा प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृतियाँ प्रदान की गई है एवं उन्ही नस्थीयों पर भुगतान की प्रक्रिया भी की गई है, जो कि लेखा नियमों शासन निदेर्शों एवं विधी प्रावधानों के विपरित है।
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काम्पलेक्स के नाम पर लिया लोन, टंकियों में कर दिया भुगतान
नगर निगम सूत्रों की माने तो पूर्व नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता के कार्यकाल के दौरान अलखधाम काम्पलेक्स के निर्माण के लिए बैंक से नगर निगम ने 3 करोड़ 41 लाख रूपये का ब्रिज लोन लिया था, लेकिन इस पैसे का इस्तेमाल यहां ना करते हुए नियमों के विरूद्ध पानी की टंकियों के निर्माण में भुगतान कर दिया गया, करोड़ों की इस आर्थिक अनियमितता के कारण अलखधाम काम्पलेक्स आज भी अधूरा ही पड़ा हुआ है। सूत्र बताते है कि इसमें आदित्य नागर और अंशुल गुप्ता की अहम भूमिका रही है, जिसकी शिकायत लोकायुक्त में करने की तैयारी की जा रही है।
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सफाई व्यवस्था में किसी भी प्रकार की कोताही न बरती जाएं -आयुक्त
निगम आयुक्त रोशनसिंह ने किया विभिन्न वार्डों में सफाई व्यवस्था का निरीक्षण
उज्जैन। नगर निगम आयुक्त रोशन कुमार सिंह द्वारा वार्ड क्रमांक से 5, 29 एवं 37 में सफाई व्यवस्था का निरीक्षण करते हुए नागरिकों से स्वच्छता अभियान में सहयोग करने हेतु समझाईश दी गई साथ ही यह भी कहा कि निगम की सफाई व्यवस्थाओं को जो भी बिगाड़ेगा उस पर सख्त रूप से चालानी कार्यवाही की जाएगी किसी भी प्रकार की कौताही नही बरती जाए।
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निरीक्षण के दौरान देखने में आया कि वार्डों के अंतर्गत जिन नागरिकों द्वारा अपने रेसिडेंशियल भवनों को कमर्शियल रूप में उपयोग किया जा रहा है उनकी जांच करते हुए उनसे संपत्ति कर की वसूली की जाए साथ ही ऐसे लोगों को चिन्हित कर नोटिस देने की कार्यवाही करें। आयुक्त द्वारा वार्ड क्रमांक 37 अंतर्गत निरीक्षण के दौरान टाटा द्वारा खोदी गई रोड़ के रेस्टोरेशन कार्य हेतु निर्देशित किया गया एवं जिन गलियों में भवन स्वामियों द्वारा अपने मकानों का निर्माण कार्य किया जा रहा है उन्हें भवन सामग्री अंदर रखने साथ ही निर्माण कार्य करते समय हरि मेट लगाए जाकर कार्य किए जाने हेतु कहा जिससे धूल के कण नहीं उड़ेंगे, नागरिकों से फीडबैक लिया कि कचरा गाड़ियां आपके वार्ड में समय अनुसार आती है या नहीं साथ ही आप लोग गिला एवं सूखा कचरा पृथक पृथक रूप से कचरा गाड़ियों में देते हैं या नहीं, आई.ई.सी. गतिविधि के द्वारा वार्ड में रहवासियों को स्वच्छता के प्रति जन जागरूकता करें।
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वार्ड क्रमांक 29 हरी फाटक ब्रिज के नीचे अवैध रूप से पशु पालकों द्वारा अतिक्रमण करते हुए टीन शेड बना रखे थे जिसे तत्काल हटाए जाने हेतु झोनल अधिकारी को निर्देशित किया गया साथ ही कहा कि ब्रिज के नीचे निगम की भूमि पर लैंडस्केप करते हुए सौंदर्यीकरण के कार्य करवाया जाए जिसमें गार्डन बनाया जाकर डेव्हलप करें। वार्ड क्रमांक 5 में उद्यानों का समुचित रूप से रख रखाव साथ ही उद्यानों के डस्टबिन को समय से खाली कराए जाने हेतु निर्देश दिये। निरीक्षण के दौरान पार्षद सुरेंद्र मेहर, रामेश्वर दुबे, दिलीप परमार, उपायुक्त संजेश गुप्ता, झोनल अधिकारी मनोज राजवानी, डी.एस. परिहार, जनसंपर्क अधिकारी सुनील जैन, स्वास्थ्य अधिकारी मुकुल मेश्राम एवं स्वास्थ्य निरीक्षक उपस्थित थे।
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