भाजपा की वादा खिलाफी से बना उज्जैन जनपद में कांग्रेस का बोर्ड
कांग्रेस के विंधा देवेन्द्र सिंह पंवार अध्यक्ष और नासिर पटेल बने उपाध्यक्ष
बहुमत होने के बाद भी हार गई भाजपा, भाजपा की रणनीति हुई फेल
उज्जैन जनपद में भाजपा का बहुमत होने के बाद भी कांग्रेस का परचम लहरा गया। 25 में से 13 सदस्य भाजपा के पक्ष में थे लेकिन भाजपा नेताओं की 4 वोट प्रॉक्सी डलवाने की नीति फेल हो गई और कांग्रेस के विरोध के बाद निर्वाचन अधिकारी ने चारों प्रॉक्सी वोट नही डालने दिये। वहीं भाजपा के 9 निर्वाचित सदस्य जो मतदान कक्ष में मौजूद थे, उन्होंने भी वोटनही डाले, जिससे 12 वोट कांग्रेस को मिल गये। भाजपा नेताओं और मंत्री का कहना है कि भाजपा समर्थित सदस्यों ने मतदान नही किया। परिणाम घोषित होते ही भाजपा ने हंगामा मचा दिया और बेरिकेट तोड़कर जनपद कार्यालय में घुस गए।
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उज्जैन जनपद में कांग्रेस का परचम लहराने वाली कांग्रेस ने जीत का जश्न धूमधाम से मनाया। अध्यक्ष विंधा देवेंद्र सिंह और उपाध्यक्ष नासिर पटेल सहित सभी जनपद सदस्यों ने यहां एक दूसरे को मिठाई खिलाई और गले लगकर बधाइयाँ दी, कांग्रेसियों ने ढोल ताशों के साथ जुलूस भी निकला, यहां वरिष्ठ नेता महावीर प्रसाद वशिष्ठ, विधायक महेश परमार, जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष करण कुमारिया, राजेन्द्र वशिष्ठ, कमल पटेल, शहर कांग्रेस अध्यक्ष रवि भदौरिया, मुकेश भाटी, सुरेंद्र मरमट, अजीतसिंह ठाकुर सहित बड़ी संख्या में कांग्रेसजन मौजूद थे। सूत्र बताते है कि भाजपा ने सभी 13 सदस्यों के प्रॉक्सी वोट डलवाने की पहले रणनीति बनाई थी जिनमें से 9 सदस्य वोटिंग कक्ष में पहुंच गये थे, इसलिए उनके प्रॉक्सी वोट डालना संभवन नही थे। वहीं भाजपा के चार 4 सदस्यों कोरोना व अन्य बीमारी के चलते प्रॉक्सी वोट डालवाने के लिए रोक लिया गया था।
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यहां वादा खिलाफी पड़ गई भारी…
सूत्रों की माने तो भाजपा के पास 25 में से 13 सदस्यों का स्पष्ट बहुमत था, जिनमें से 4 वोटर ऐसे थे जो सामान्य वर्ग के ब्राह्मण प्रत्याशी अनीता आशीष पण्ड्या के कट्टर समर्थक थे, जिन्हें उम्मीद थी कि जागीरदार परिवार के उक्त सदस्य को अध्यक्ष पद के लिए नियुक्त करेगी, ये सदस्य इन्हें दावेदार नही बनाने पर क्रास वोटिंग करने को भी तैयार थे, लेकिन मंत्री मोहन यादव की इच्छा थी कि वार्ड क्रमांक 9 ऊंचा मताना की ओबीसी प्रत्याशी भँवरबाई (दीपक चौधरी) को अध्यक्ष बनाया जाए, लेकिन उन्हें यह भी डर था कि नाम घोषित होते ही ये 4 सदस्य बगावत करते हुए क्रास वोटिंग कर देंगे, जिसके चलते उक्त दोनों से अध्यक्ष का फॉर्म भरवाया गया और अंत समय तक अध्यक्ष का नाम घोषित नही किया गया, ऐनवक्त पर भँवरबाई (दीपक चौधरी) का फॉर्म जमा कर दिया गया, जिससे जागीरदार समर्थको में आक्रोश और निराशा पनप गई, चारो सदस्य वोट डालने के लिए जदोजहद करते रहे।
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लेकिन तब तक इनकी कोरोना पोजेटिव रिपोर्ट बनवाकर इनके स्थान पर प्रॉक्सी वोट भेज दिये गए थे, यदि भाजपा इस अनारक्षित पद पर ओबीसी प्रत्याशी का मोह नही करती और सामान्य वर्ग के ब्राह्मण प्रत्याशी अनीता आशीष पण्ड्या (जागीरदार) को अध्यक्ष का उम्मीदवार घोषित कर देते तो भाजपा का अध्यक्ष बनना तय था लेकिन पार्टी ने ऐसा नही किया शायद पार्टी दक्षिण में किसी ब्राह्मण प्रत्याशी को बड़ा नेता बनाना नही चाहती है, यह स्थिति पार्षद चुनाव में भी सामने आई थी, हालांकि दक्षिण का रण तो मोहन यादव ने बड़े अंतर से फतह किया है जिसके लिए उनकी रणनीति पर सवाल नही उठाये जा सकते।
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कांग्रेस की आपत्ति से बिगड़ा खेल
सूत्रों की माने तो उज्जैन जनपद के मतदान में अगर भाजपा की रणनीति के अनुसार 4 प्रॉक्सी वोट डल जाते तो जनपद पर भाजपा का कब्जा हो जाता, अगर भाजपा सदस्यों को सीधे मतदान करने भेजा जाता तो शायद भाजपा का अध्यक्ष बन जाता लेकिन क्रास वोटिंग के डर से भाजपा ने तीन सदस्यों की कोरोना रिपोर्ट व एक सदस्य की आंख में तकलीफ बताकर उनके स्थान पर प्रॉक्सी वोट के लिए रवि वर्मा और अन्य नेताओं को भेजा था, जिस पर कांग्रेस नेताओं ने आपत्ति लेते हुए इन्हें वोट नही डालने दिया।
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यह है प्रॉक्सी वोटिंग का नियम..
जानकारों की माने तो नियमानुसार यदि किसी प्रत्याशी को असाक्षरों होने, बीमार होने, दृष्टिहीन होने पर उनका पति/ बेटा प्रॉक्सी वोटिंग कर सकता है, लेकिन भाजपा ने यहां चुने हुए सदस्यों को मतदान करने न भेजते हुए अन्य नेताओं को वोट डालने भेज दिया जिन्हें मतदान नही करने दिया गया, सूत्रों की माने तो यह चारो सदस्य मतदान करने में सक्षम थे और लालायित भी थे लेकिन इन्हें दशहरा मैदान स्थित एक बंगले पर नजरबंद कर लिया गया था। जिसके कारण ये वोट नही डाल सके, वोट नही डाल पाने वाले एक सदस्य कमलसिंह (नरवर) भाजपा नेताओं पर जमकर अपनी भड़ास निकाली और स्वयं वोट नही डाल पाने पर दुख जताया, इसी प्रकार राजेश पटेल, अनिता आशीष पण्ड्या, शर्मिला जगदीश गंगेड़ी, संजय दंडिया जमूरा भी अपना मत नही डाल सके इनके प्रॉक्सी वोट डालने गए नेताओ को अमान्य करार कर दिया गया।
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एक तरफ जश्न, दूसरी तरफ आक्रोश ..
जनपद पंचायत चुनाव के दौरान बीच मे मतदान केंद्र के दोनों तरफ भाजपा- कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता मौजूद थे। जो लगातार एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी करते रहे, जीत की घोषणा होते ही कांग्रेसी खुशियां मनाते हुए नाचने लगे तो भाजपाई आक्रोशित होकर बेरिकेट्स पर गुस्सा निकालने लगे, जमकर हुई नारेबाजी, हंगामे, झूमाझटकी, हॉट टाक के बीच गहमा-गहमी के माहौल में चुनाव संपन्न हुए, मंत्री मोहन यादव ने आने के बाद तो सभी जनपद के बाहर लगे बेरिकेट्स तोड़कर अंदर घुस गए वहीं अंदर पूर्व से मौजूद रवि वर्मा ने कार्यालय की कुर्सियां पलटना शुरू कर दिया। कांग्रेस के चेहरों पर जीत की खुशी थी वहीं भाजपा के चेहरों पर हार का गम साफ दिखाई दे रहा था।
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अधिकारियों की हुई फजीहत
चुनाव के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों की जमकर फजीहत हुई, पहले महेश परमार ने कलेक्टर से हाट टाक करते हुए कहा कि आप भाजपा के एजेंट हो और आप निष्पक्ष चुनाव नही करा रहे है जिस पर कलेक्टर आशीष सिंह भी नाराज हुए और उन्होंने परमार को तल्ख लहजे में जवाब दिया, इधर हार के बाद जनपद पहुंचे मंत्री मोहन यादव ने एडीएम संतोष टैगोर को कहा कि आपने हमारे लोगो को वोट नही डालने दिया है शहर में आग लग जायेगी, हमारे कार्यकतार्ओं को तुम गोली मार दो लेकिन इन्हें मतदान से मत रोको, यहाँ संतोष टैगोर बेहद असहाय नजर आए सभी उन पर टूट पड़े। सूत्र बताते है कि आज एडीएम संतोष टगौर का जन्मदिन था जिसे नेताओ के इस रवैये ने बिगाड़ दिया।
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