महाकाल में रूपचौदस और दिवाली 31 को मनाई जायेंगी
- देश में महाकाल मंदिर से किसी भी त्योहार की शुरूआत होने की परंपरा

उज्जैन। देश में महाकाल मंदिर से किसी भी त्योहार की शुरूआत होने की परंपरा है। धनतेरस से एक दिन पहले सोमवार, 28 अक्टूबर को फुलझड़ी से महाकाल की संध्या आरती कर दीपोत्सव शुरू हुआ। मंगलवार, 29 अक्टूबर को कलेक्टर नीरज कुमार सिंह और एसपी प्रदीप शर्मा ने धन तेरस की पूजा की। 22 पुजारी-पुरोहितों ने बाबा महाकाल के साथ कुबेर और चांदी के सिक्कों का पूजन-अभिषेक कराया। महाकाल को चांदी का सिक्का अर्पित किया गया।
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मंदिर के नंदी हॉल में पुरोहित समिति के पुजारियों ने सुबह 9 बजे वैभव, आरोग्य और सुख-समृद्धि की कामना कर महाकाल की महा पूजा शुरू कराई। यह करीब एक घंटे चली। देश में सबसे पहले 31 अक्टूबर को महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में रूप चौदस और दीपावली साथ मनाई जाएगी। इस दिन पुजारी परिवार की महिलाएं बाबा को उबटन लगाएंगी। महाकाल का अद्भुत श्रृंगार होगा। गर्भगृह में अन्नकूट का भोग लगाया जाएगा। शाम को कोटि तीर्थ कुंड में दीप मालाएं सजाई जाएंगी। पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि महाकाल मंदिर में 31 अक्टूबर को दिवाली मनाई जाएगी।
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भगवान का रूप निखारने के लिए उबटन लगाकर कर्पूर आरती
गुरुवार को भस्म आरती के दौरान सबसे पहले महाकाल को पंचामृत से स्नान कराया जाएगा। साल में एक दिन रूप चतुर्दशी पर पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान का रूप निखारने के लिए उबटन लगाकर कर्पूर आरती करती हैं। पुजारी भगवान को गर्म जल से स्नान कराएंगे। इसके बाद महाकाल को नए वस्त्र, आभूषण धारण कराकर श्रृंगार किया जाएगा। अन्नकूट भोग लगाकर फुलझड़ी से आरती की जाएगी। मंदिर की पूजन परंपरा में रूप चौदस से ठंड की शुरूआत मानी जाती है, इसलिए भगवान महाकाल को गर्म जल से स्नान कराने का क्रम शुरू होता है, जो फाल्गुन पूर्णिमा तक चलता है।
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4 नवंबर को पहली सवारी, 25 को शाही सवारी
सावन-भादौ की तरह कार्तिक-अगहन में भी महाकाल की सवारी निकालने की परंपरा है। कार्तिक शुक्ल पक्ष के पहले सोमवार 4 नवंबर को इन सवारियों की शुरूआत हो जाएगी। कार्तिक शुक्ल तृतीया तिथि पर कार्तिक-अगहन माह की पहली सवारी निकलेगी। इस दिन से महाकाल को चांदी की पालकी में विराजमान कर नगर भ्रमण करवाया जाएगा। 25 नवंबर को महाकाल की शाही सवारी निकाली जाएगी।
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