बंद हो चुकी सहकारी सोसाइटी से आया किसानों को नोटिस
- 8 साल पहले बंद हो चुकी है सहकारी सोसायटी, किसानों ने दिया ज्ञापन
उज्जैन। जिले के ग्राम अंबोदिया में किसानों को सहकारी सोसाइटी से लिए गए कर्ज को लेकर ऐसे नोटिस मिले हैं, जो न केवल चौंकाने वाले हैं, बल्कि उनकी वित्तीय स्थिति को और अधिक कठिन बना रहे हैं। यह नोटिस उस सहकारी सोसाइटी से संबंधित हैं, जो लगभग आठ वर्ष पहले बंद हो चुकी थी। सहकारी सोसाइटी ने किसानों को जो नोटिस भेजे हैं, उनमें एक लाख रुपए के मूल कर्ज पर एक लाख रुपए का ब्याज जोड़ा गया है।
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यह मामला और भी चौंकाने वाला तब हो जाता है जब यह पता चलता है कि कुछ किसानों को उनके नाम पर कर्जदार बताया गया है, जबकि उनके पास न तो जमीन है और न ही उन्होंने कभी सहकारी सोसाइटी से खाद या बीज के लिए कोई लोन लिया। इस प्रकार के नोटिस ने अंबोदिया और आसपास के सात गांवों के 1,200 किसानों को गहरी चिंता में डाल दिया है। गांव के किसान अशोक जाट ने बताया, हमारी सरकारी सोसाइटी पिछले 8 साल से बंद है। इसके बावजूद, हाल ही में हमें नोटिस मिले हैं। यह बहुत ही अन्यायपूर्ण है कि इतने वर्षों बाद बंद हो चुकी सोसाइटी किसानों से कर्ज वसूलने की बात कर रही है।
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बैंक शाखा प्रबंधक से किसानों की अपील
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए किसानों ने मंगलवार को जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की चिमनगंज मंडी शाखा का दौरा किया। वहां उन्होंने शाखा प्रबंधक को अपनी समस्याएं बताईं और इन नोटिसों में शामिल विसंगतियों की जांच की मांग की। शाखा प्रबंधक ने किसानों को आश्वासन दिया कि उनकी शिकायतों को प्राथमिकता के साथ देखा जाएगा और संबंधित रिकॉर्ड की जांच कराई जाएगी।
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सहकारी संस्थाओं की लापरवाही
यह मामला सहकारी संस्थाओं में मौजूद प्रशासनिक खामियों और वित्तीय अनियमितताओं को उजागर करता है। आठ वर्ष पहले बंद हो चुकी सोसाइटी से जुड़े इस प्रकार के नोटिस किसानों के लिए वित्तीय और मानसिक रूप से परेशान करने वाले हैं। कई किसानों ने सवाल उठाए हैं कि जब सहकारी सोसाइटी अब अस्तित्व में नहीं है, तो इस तरह के कर्ज वसूली नोटिस जारी करना क्या उचित है?
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किसानों की मांग
किसानों का कहना है कि सरकार और संबंधित विभाग को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। किसानों ने मांग की है कि इन नोटिसों को तुरंत रद्द किया जाए। बंद हो चुकी सोसाइटी से जुड़े रिकॉर्ड की विस्तृत जांच कराई जाए। दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाए, जिन्होंने वित्तीय अनियमितताएं की हैं। भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही से बचने के लिए सख्त उपाय किए जाएं।
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