वेतन नही मिला तो कैसे मनायेंगे रक्षा बंधन
उज्जैन। महाकाल मंदिर में कार्यरत लगभग 350 कर्मचारियों को अभी से रक्षा बंधन पर्व की चिंता सताने लगी है उसके पीछे मुख्य कारण यह है कि नियमित रूप से मिलने वाला वेतन का मामला अटक गया है, कर्मचारियों को जुलाई माह का वेतन अभी तक नही मिला है और यह सब हो रह है मंदिर में चल रहे तबादले और वेतन पत्रक नही तैयार होने से।
सूत्रों के अनुसार महाकाल मंदिर में अभी तक प्रति माह की प्रत्येक 25 तारीख को वेतन पत्रक स्थापना शाखा द्वारा तैयार कर प्रशासक को अनुमोदन के लिए भेज दिया जाता है, ताकि प्रशासक स्तर पर अनुमोदन के बाद एक तारीख को सभी कर्मचारियों को वेतन दिया जा सके। लेकिन इस बार जुलाई माह का वेतन महाकाल मंदिर कर्मचारियों को अगस्त की 5 तारीख होने के बावजूद नही मिला है। सूत्रों के अनुसार स्थानांतरण प्रक्रिया के चलते ही वेतन पत्रक बनाने में देरी हो रही है।
वेतन नही मिलने से बढ़ी चिंता
महाकाल मंदिर में कार्यरत अधिकांश कर्मचारियों ने बैंकों से लोन ले रखा है, ऐसे में उन कर्मचारियों को ज्यादा चिंता सता रही है कि एक और तो बैंक की किस्त है वहीं दूसरी ओर रक्षा बंधन पर्व आ रहा है। अगर समय रहते वेतन नही मिला तो आर्थिक परेशानियों के साथ-साथ बैंक को अतिरिक्त ब्याज भी चुकाना पड़ेंगा।
अपने-अपनों के चक्कर में हो रही देरी
महाकाल मंदिर में कार्यरत कुछ कर्मचारियों का कहना है कि वेतन मिलने में देरी के पीछे मुख्य कारण अपने-अपनों के चक्कर में कुछ कर्मचारी जो शाखा विभाग में पदस्थ है के द्वारा प्रमुख पदों पर बैठे कर्मचारी शाखा प्रभारियों का वेतन बढ़वाना चाहते हैं। वहीं नई सूची में कुछ नए कर्मचारियों को प्रभारी बनाया गया है। वहीं कुछ शाखा प्रभारियों का डिमोशन कर उन्हें बतौर कर्मचारी अन्य विभागों में स्थानांतरित कर दिया गया है।
और भी है खबरे…
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की हैरतअंगेज तस्वीरे…
स्वीकृति मिली तो कर सकेंगे नीलगाय का शिकार
डीजी जेल ने किया भैरवगढ़ जेल का औचक निरीक्षण
विश्वविद्यालय के करीब 90 दैवेभो कर्मी स्थाई हुए
जहरीली शराब बेची तो अजीवन कारावास
पीएचई विभाग के पूर्व प्रभारी अपर आयुक्त ने दिखाया कमाल
महाकाल की दूसरी सवारी में ठाठबाट से निकले श्री चंद्रमोलीश्वर
2 दर्जन से अधिक ट्रेनों के संचालन करने की चर्चा
Ujjain पुलिस ने अंर्तराज्यीय गिरोह के 32 बदमाशों को दबोचा
76 ग्राम पंचायतों में 18 प्लस व्यक्तियों का शत प्रतिशत वैक्सीनेशन