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संपादकीय: पाकिस्तान की कायराना हरकत और भारत की जवाबी रणनीति

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला एक क्रूर और अमानवीय कृत्य

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला न केवल एक क्रूर और अमानवीय कृत्य था, बल्कि यह पाकिस्तान की उस नीच साजिश का भी खुलासा करता है, जो वह दशकों से कश्मीर घाटी में अस्थिरता फैलाने के लिए रचता आ रहा है। इस हमले में 26 से अधिक निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई, जिनमें दो विदेशी नागरिक भी शामिल थे, और कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए। आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) जो लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन है, ने इस हमले की जिम्मेदारी ली। यह हमला न केवल भारत की संप्रभुता पर हमला है, बल्कि यह विश्व शांति और मानवता के खिलाफ एक जघन्य अपराध है। इस संपादकीय में हम इस हमले के पीछे की साजिश, पाकिस्तान की भूमिका और भारत की जवाबी कार्रवाई की आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

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हमले की पृष्ठभूमि और क्रूरता

पहलगाम, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांति के लिए विश्वविख्यात है, उस दिन गोलियों की तड़तड़ाहट से दहल उठा। बायसरन घाटी में पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की गई, जिसमें हमलावरों ने धार्मिक पहचान पूछकर हिंदू पर्यटकों को विशेष रूप से निशाना बनाया। यह हमला उस समय हुआ जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत के दौरे पर थे, जिससे इसकी सुनियोजित प्रकृति और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को बदनाम करने की मंशा स्पष्ट होती है। यह कश्मीर में पिछले ढाई दशकों में पर्यटकों पर हुआ सबसे बड़ा हमला है, जो घाटी में पर्यटन के पुनरुद्धार और शांति के प्रयासों पर गहरा आघात है।

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हमले की जिम्मेदारी लेने वाले TRF के तार सीधे पाकिस्तान से जुड़े हैं। जांच में पता चला है कि इस हमले का मास्टरमाइंड लश्कर-ए-तैयबा का डिप्टी चीफ सैफुल्लाह खालिद है, जो पाकिस्तान में सक्रिय है। इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक निगरानी से यह भी खुलासा हुआ है कि 15 स्थानीय ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) ने पाकिस्तानी आतंकियों की मदद की, जो इस हमले की जटिलता और स्थानीय स्तर पर साजिश के विस्तार को दशार्ता है।

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पाकिस्तान की भूमिका: आतंक का पोषक

पाकिस्तान का आतंकवाद को पालने-पोसने का इतिहास कोई नया नहीं है। चाहे 2001 का संसद हमला हो, 2008 का मुंबई हमला हो, या फिर 2016 का उड़ी हमला, हर बार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी करक और सेना की मिलीभगत सामने आई है। पहलगाम हमले में भी पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर के बयान, जिसमें उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान की “जीवन रेखा” बताया, इस हमले की पृष्ठभूमि को रेखांकित करते हैं। यह बयान न केवल उकसावे वाला था, बल्कि यह कश्मीर में आतंक को बढ़ावा देने की उनकी मंशा को भी उजागर करता है।

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पाकिस्तान की यह रणनीति अनुच्छेद 370 के हटने के बाद और साफ हो गई है। कश्मीर में शांति और विकास के प्रयासों को देखकर पाकिस्तान हताश है। वह विश्व मंच पर कश्मीर मुद्दे को फिर से जीवित करने के लिए आतंकवाद का सहारा ले रहा है। पहलगाम हमला इसी हताशा का परिणाम है, जिसका उद्देश्य कश्मीर में पर्यटन को नुकसान पहुंचाना, भारत की छवि खराब करना और स्थानीय लोगों को भड़काना था।

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भारत की जवाबी कार्रवाई: धैर्य से सर्जिकल सटीकता तक

पहलगाम हमले के बाद भारत ने त्वरित और सख्त कदम उठाए। सरकार ने पांच बड़े फैसले लिए: सिंधु जल संधि को निलंबित करना, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा पर प्रतिबंध, भारतीय वायुक्षेत्र से पाकिस्तानी विमानों की उड़ान पर रोक, भारत में पाकिस्तानी उच्चायोग को बंद करना और पाकिस्तानी राजनयिकों को वापस भेजना। ये कदम भारत के धैर्य की सीमा को दशार्ते हैं, जो अब जवाबी कार्रवाई की ओर बढ़ चुका है।

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7 मई 2025 को भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और POK में 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक सैन्य हमले किए। इन हमलों में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के ठिकानों को निशाना बनाया गया। रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ये हमले केवल आतंकी ढांचे पर केंद्रित थे, न कि पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों पर। इस ऑपरेशन सिंदूर को रक्षा विशेषज्ञों ने “सटीक और अपेक्षित” करार दिया है, जो भारत की सैन्य क्षमता और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को दशार्ता है।

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चुनौतियां और भविष्य की रणनीति

पहलगाम हमले ने कई सवाल खड़े किए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतने बड़े पैमाने पर सुनियोजित हमले की खुफिया जानकारी क्यों नहीं मिली? स्थानीय सहयोगियों की भूमिका ने खुफिया तंत्र की कमियों को उजागर किया है। इसके अलावा, यह हमला कश्मीर में शांति और पर्यटन के लिए खतरा है, जिसे पिछले कुछ वर्षों में सरकार और स्थानीय लोगों ने मिलकर पुनर्जनन किया था।

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भारत को अब एक बहुआयामी रणनीति अपनानी होगी। सबसे पहले, खुफिया तंत्र को मजबूत करना और स्थानीय स्तर पर ओवरग्राउंड वर्कर्स की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखना जरूरी है। दूसरा, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को और अलग-थलग करना होगा। वित्तीय कार्यबल जैसे मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थक के रूप में उजागर कर उसकी आर्थिक मदद रोकने की दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं। तीसरा, सैन्य स्तर पर ऐसी कार्रवाइयां जरूरी हैं जो पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दें कि आतंकवाद की कीमत उसे चुकानी पड़ेगी।

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भारत अब पहले से कहीं अधिक सजग और सक्षम

पहलगाम आतंकी हमला पाकिस्तान की कायराना और नीच हरकत का प्रतीक है, जिसका उद्देश्य कश्मीर में अशांति फैलाना और भारत की प्रगति को बाधित करना है। लेकिन भारत अब पहले से कहीं अधिक सजग और सक्षम है। ऑपरेशन सिंदूर जैसे कदम इस बात का सबूत हैं कि भारत आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने में सक्षम है। यह समय है कि पूरा देश एकजुट होकर सरकार का समर्थन करे और पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश दे कि उसकी नापाक साजिशें अब और बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। आतंकवाद के खिलाफ यह लड़ाई न केवल कश्मीर की शांति के लिए, बल्कि विश्व शांति के लिए भी जरूरी है।

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Dharmendra Bhati

मैं धर्मेंद्र भाटी, DB News24 का Author & Founder हूँ तथा पिछले 22 वर्षो से निरंतर सक्रिय पत्रकारिता के माध्यम राजनितिक, प्रशासनिक, सामाजिक और धार्मिक खबरों की रिपोर्टिंग करता हूँ साथ ही Daily जॉब्स, ज्योतिष, धर्म-कर्म, सिनेमा, सरकरी योजनाओ के बारे में आर्टिकल पब्लिश करता हूँ। हमारा संकल्प है कि नई-नई जानकारियाँ आप तक सरल और सहज भाषा में आप तक पंहुचे। जय हिन्द

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