सरकारी कर्मचारी निजी अस्पताल में करा सकेंगे इलाज
एमपी के 50 से ज्यादा हॉस्पिटल सूचीबद्ध, मनमानी वसूली पर रद्द होगी मान्यता

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने सरकारी कर्मचारियों और उनके आश्रितों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुलभ और किफायती बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की है। इस नई योजना के तहत, प्रदेश के 50 से अधिक प्रतिष्ठित निजी अस्पतालों को सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (सीजीएचएस) के तहत सूचीबद्ध किया गया है। यह कदम सरकारी कर्मचारियों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधाएं कम लागत पर उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ा बदलाव लाने वाला है।
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योजना का उद्देश्य और लाभ
22 मई 2025 को लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, इन सूचीबद्ध अस्पतालों में सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवार सीजीएचएस की पैकेज दरों पर उपचार प्राप्त कर सकेंगे। इस योजना की खासियत यह है कि इसमें रजिस्ट्रेशन, आपरेशन, दवाएं, जांच, आईसीयू, डॉक्टर फीस, फिजियोथेरेपी, और नर्सिंग सेवाएं सभी एक पैकेज के अंतर्गत शामिल होंगी। अस्पतालों को अलग से दवाएं या उपकरण बेचने की अनुमति नहीं होगी, जिससे कर्मचारियों को अतिरिक्त खर्चों से राहत मिलेगी।
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इसके अतिरिक्त, कर्मचारियों को इलाज के बाद शासन द्वारा निर्धारित प्रारूप में बिल प्राप्त होगा, जो पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा। यह योजना न केवल कर्मचारियों के लिए बल्कि उनके आश्रितों के लिए भी एक वरदान साबित होगी, क्योंकि इसमें बीमा या एडवांस भुगतान की कोई आवश्यकता नहीं है।
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अस्पतालों पर कड़ी निगरानी
मध्यप्रदेश सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाए हैं कि योजना का दुरुपयोग न हो। यदि कोई अस्पताल निर्धारित सीजीएचएस दरों से अधिक शुल्क वसूलता है या सेवा मानकों में कमी पाई जाती है, तो उसकी मान्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी जाएगी। इसके लिए सरकार ने निगरानी तंत्र स्थापित करने का भी प्रावधान किया है। विशेष रूप से, कार्डियक सर्जरी जैसे जटिल उपचारों के लिए अस्पतालों में कैथ लैब, आईसीसीयू, विशेषज्ञ डॉक्टर, और ब्लड बैंक जैसी सुविधाएं होना अनिवार्य होगा।
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शामिल अस्पतालों की सूची
इस योजना के तहत प्रदेश के कई प्रमुख शहरों के प्रतिष्ठित अस्पतालों को शामिल किया गया है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा, शाजापुर, कटनी, हरदा, बैतूल, विदिशा, उज्जैन और होशंगाबाद जैसे शहरों के अस्पताल इस सूची का हिस्सा हैं। इनमें लक्ष्या मल्टी स्पेशियलिटी, पीपुल्स जनरल हॉस्पिटल, बंसल, रामकृष्ण मेडिकल कॉलेज, सीएचएल ट्रस्ट, श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट, भंडारी हॉस्पिटल, कृष मेमोरियल, आईटीएम ग्वालियर, आदित्य सुपर स्पेशियलिटी, श्री बालाजी हॉस्पिटल, और विंध्य हॉस्पिटल जैसे नाम शामिल हैं।
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कर्मचारियों के लिए राहत
यह योजना सरकारी कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को आसान बनाने के साथ-साथ आर्थिक बोझ को भी कम करेगी। बीमा या एडवांस की आवश्यकता न होने से कर्मचारियों को तत्काल इलाज मिल सकेगा। साथ ही, डायलिसिस जैसी डे-केयर सुविधाएं और विभिन्न विशेषज्ञ सेवाओं का समावेश इस योजना को और अधिक व्यापक बनाता है।
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एक सकारात्मक बदलाव
मध्यप्रदेश सरकार की यह पहल न केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए बल्कि पूरे प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखती है। सूचीबद्ध अस्पतालों की कड़ी निगरानी और पारदर्शी बिलिंग प्रणाली के साथ यह योजना कर्मचारियों को विश्वसनीय और किफायती स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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