फर्जी NGO के जरिये 150 करोड़ की ठगी
- फर्जी एनजीओ के जरिए 15 राज्यों में कारोबारियों को बनाया शिकार

जशपुर: छत्तीसगढ़ की जशपुर पुलिस ने एक सनसनीखेज ठगी के मामले में बड़ी कामयाबी हासिल की है। फर्जी एनजीओ (NGO) राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन के नाम पर 15 राज्यों में 150 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड रत्नाकर उपाध्याय और संस्था की डायरेक्टर अनिता उपाध्याय को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है। इस गिरोह ने कारोबारियों और सप्लायर्स को सीएसआर फंड और सरकारी ठेकों का झांसा देकर करोड़ों रुपये ऐंठे। गिरोह का तीसरा सदस्य सौरभ सिंह अभी फरार है, जिसकी तलाश में पुलिस ने छापेमारी तेज कर दी है।
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फर्जी एनजीओ का जाल: कैसे बनाया शिकार?
2021 में लखनऊ में रजिस्टर राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन नामक इस एनजीओ का इस्तेमाल आरोपियों ने ठगी के लिए किया। रत्नाकर उपाध्याय और अनिता उपाध्याय खुद को मंत्रालय के अधिकारी या बड़े एनजीओ के प्रतिनिधि बताकर कारोबारियों से संपर्क करते थे। वे दावा करते थे कि उनकी संस्था को सरकार और कॉरपोरेट से सीएसआर फंड के तहत बड़े पैमाने पर फंडिंग मिल रही है। इस फंड से गरीब बच्चों के लिए किताबें, स्कूल ड्रेस, स्वेटर, बैग और जूते की सप्लाई के लिए ठेके दिए जाएंगे।
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झांसे में आए कारोबारी ठेके पाने के लिए सुरक्षा राशि के नाम पर 25 लाख रुपये और प्रोसेसिंग फीस व कमीशन के नाम पर 10 लाख रुपये तक की रकम आरोपियों को दे देते थे। ठगी की रकम से आरोपियों ने दिल्ली में 2 फ्लैट, लखनऊ में 24 फ्लैट (कुल कीमत 40 करोड़ रुपये) और ढाई करोड़ रुपये की रेंज रोवर कार खरीदी। जांच में पता चला कि रत्नाकर उपाध्याय के खिलाफ देश के कई राज्यों में धोखाधड़ी (धारा 420) के 12 से अधिक मामले दर्ज हैं।
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पत्थलगांव के व्यापारी की शिकायत से खुला राज
मामले का खुलासा तब हुआ जब जशपुर जिले के पत्थलगांव निवासी व्यापारी अमित अग्रवाल ने 20 अप्रैल 2025 को थाने में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन की डायरेक्टर अनिता उपाध्याय, रत्नाकर उपाध्याय, सौरभ सिंह और प्रांशु अग्रवाल ने स्वेटर सप्लाई के नाम पर उनसे 5.70 करोड़ रुपये ठग लिए। शिकायत के आधार पर थाना पत्थलगांव में भारतीय न्याय संहिता (इठर) की धारा 316(2)(5), 318(4), 336(1)(3), 338, 340(2), 341(1), 346 और 61(2) के तहत मामला दर्ज किया गया।
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जांच में सामने आया कि यह कोई साधारण ठगी नहीं, बल्कि एक संगठित गिरोह का सुनियोजित रैकेट था, जो छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र समेत 15 राज्यों में सक्रिय था। छत्तीसगढ़ में ही तीन कारोबारियों से ठगी के मामले सामने आए:
- पत्थलगांव: अमित अग्रवाल से 5.70 करोड़ रुपये।
- बिलासपुर: टी-बर्ड इंटरप्राइजेज से 5 करोड़ रुपये।
- रायगढ़: पूर्णिमा ट्रेडिंग से 5 करोड़ रुपये।
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पुलिस की चालाकी: 1000 करोड़ के ठेके का झांसा
आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए जशपुर पुलिस ने फिल्मी अंदाज में रणनीति बनाई। जांच के दौरान पता चला कि आरोपी अपने मोबाइल फोन बंद रखते थे और वाई-फाई के जरिए व्हाट्सएप कॉलिंग से बात करते थे, जिससे उन्हें ट्रेस करना मुश्किल था। फिर भी, पुलिस ने अनिता उपाध्याय का एक मोबाइल नंबर ट्रेस कर लिया, जो कुछ देर के लिए चालू था।
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जशपुर पुलिस की एक टीम ने दिल्ली में डेरा डाला और एक अधिकारी ने खुद को छत्तीसगढ़ मंत्रालय का प्रतिनिधि बताकर अनिता से संपर्क किया। उसे दिल्ली के चाणक्यपुरी में मुलाकात के लिए बुलाया गया और 1000 करोड़ रुपये के ठेके का लालच दिया गया। मुलाकात के दौरान पुलिस ने अनिता के मोबाइल से रत्नाकर उपाध्याय से बात करवाई। तकनीकी टीम ने रत्नाकर के नंबर को ट्रेस कर सागरपुर, दिल्ली के एक मेडिकल स्टोर के पास से दोनों को धर दबोचा।
गिरफ्तारी के दौरान रत्नाकर ने अपहरण का नाटक करने की कोशिश की और हंगामा मचाया। एसडीओपी पत्थलगांव धुर्वेश जायसवाल पर आरोपियों ने हमला भी किया, लेकिन पुलिस ने दोनों को काबू कर लिया। अनिता को दिल्ली के होटल ताज से हिरासत में लिया गया।
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फरार आरोपी की तलाश तेज
गिरोह का तीसरा सदस्य और फर्जी एनजीओ (NGO) का को-फाउंडर सौरभ सिंह अभी फरार है। जशपुर पुलिस ने उसकी तलाश के लिए विशेष टीमें गठित की हैं। एसएसपी शशि मोहन सिंह ने बताया कि जल्द ही सौरभ को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा। पुलिस आरोपियों की संपत्तियों की जांच कर रही है, ताकि ठगी के पैसे से खरीदी गई संपत्तियों को जब्त किया जा सके।
पुलिस की बहादुरी को सम्मान
इस आपरेशन की सफलता के लिए रेंज आईजी दीपक झा ने जशपुर पुलिस की टीम को नगद पुरस्कार देने की घोषणा की है। एसएसपी शशि मोहन सिंह ने कहा कि यह मामला संगठित अपराध का एक बड़ा उदाहरण है, जिसने कई राज्यों के कारोबारियों को नुकसान पहुंचाया। पुलिस अब इस रैकेट के अन्य संभावित पीड़ितों की पहचान कर रही है।
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कारोबारियों के लिए सबक
यह मामला कारोबारियों के लिए एक बड़ी चेतावनी है। विशेषज्ञों का कहना है कि ठेकों और फंडिंग के नाम पर होने वाली ऐसी ठगी से बचने के लिए किसी भी संस्था या व्यक्ति से डील करने से पहले उनकी विश्वसनीयता की जांच जरूरी है। सरकारी योजनाओं और एनजीओ से जुड़े दावों की सत्यता को आधिकारिक स्रोतों से सत्यापित करना चाहिए। जशपुर पुलिस की इस कार्रवाई ने न केवल एक बड़े ठगी रैकेट का पदार्फाश किया, बल्कि यह भी दिखाया कि सही रणनीति और तकनीक के साथ अपराधियों को सलाखों के पीछे लाया जा सकता है।
स्रोत: जशपुर पुलिस, स्थानीय सूत्र, और समाचार एजेंसियां
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