शिक्षा विभाग के अधिकारी रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार
स्कूल की मान्यता को तीन वर्षों तक बढ़ाने के लिए मांगी थी रिश्वत

इंदौर। लोकायुक्त पुलिस इंदौर ने आज एक बड़ी कार्रवाई करते हुए शिक्षा विभाग (Education department) के एक अधिकारी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। आरोपी माता प्रसाद गौड, जो कि विकास खंड स्रोत समन्वयक, इंदौर अर्बन-2 के पद पर कार्यरत थे, को 13,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया।
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शिकायत के आधार पर की गई कार्रवाई
आवेदक आशुतोष सैनी, जो कि तिलक नगर, इंदौर स्थित रामकृष्ण परमहंस विद्यालय के संचालक हैं, ने इंदौर लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक राजेश सहाय के कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई थी। उनकी शिकायत के अनुसार, उन्होंने अपने स्कूल की मान्यता को तीन वर्षों तक बढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग में आवेदन दिया था। इस प्रक्रिया के तहत बीआरसी (ब्लॉक रिसोर्स कोऑडिनेटर) द्वारा भौतिक सत्यापन रिपोर्ट देने के एवज में 20,000 रुपये की रिश्वत की मांग की गई थी। इस पर आवेदक ने लोकायुक्त कार्यालय से संपर्क किया और शिकायत दर्ज कराई।
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रिश्वत की रकम और ट्रैप ऑपरेशन
जांच के दौरान पाया गया कि आरोपी माता प्रसाद गौड ने सत्यापन रिपोर्ट के बदले आवेदक से 18,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी, जिसमें से 5,000 रुपये वह पहले ही ले चुके थे। शेष 13,000 रुपये की रिश्वत आज, 25 मार्च को आरोपी द्वारा स्वीकार की गई, जिसके तुरंत बाद लोकायुक्त पुलिस ने उन्हें रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
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लोकायुक्त टीम की त्वरित कार्रवाई
लोकायुक्त कार्यालय द्वारा तुरंत ट्रैप दल का गठन किया गया, जिसमें डीएसपी सुनील तालान, निरीक्षक रेनू अग्रवाल, प्रधान आरक्षक प्रमोद यादव, आरक्षक विजय कुमार, आरक्षक अनिल परमार, आरक्षक चेतन परिहार, आरक्षक शिव पाराशर, कृष्णा एवं आदित्य भदौरिया शामिल थे। इस टीम ने योजनाबद्ध तरीके से कार्रवाई करते हुए आरोपी को रिश्वत लेते हुए पकड़ लिया।
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आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई जारी
आरोपी के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 की धारा-7 के तहत कानूनी कार्यवाही की जा रही है। लोकायुक्त पुलिस की इस कार्रवाई से सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश गया है। लोकायुक्त पुलिस का कहना है कि इस प्रकार की शिकायतों को गंभीरता से लिया जाएगा और दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। इंदौर में शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों पर पहले भी भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन लोकायुक्त की त्वरित कार्रवाई से भ्रष्ट अधिकारियों में हड़कंप मच गया है।
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