भोपाल। मध्यप्रदेश के सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों के लिए लंबे इंतजार के बाद एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की है कि राज्य के लगभग चार लाख अधिकारी-कर्मचारियों को जल्द ही प्रमोशन दिया जाएगा। पिछले आठ साल से अधिक समय से प्रमोशन की राह देख रहे कर्मचारियों के लिए यह निर्णय एक बड़ी उपलब्धि साबित होने जा रहा है। सीएम ने कहा कि सरकार ने इस समस्या का समाधान निकाल लिया है और जल्द ही कैबिनेट में इस संबंध में प्रस्ताव लाकर मंजूरी दी जाएगी।
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9 साल से प्रमोशन पर रोक, हजारों हुए रिटायर
मध्यप्रदेश में प्रमोशन का मामला पिछले नौ साल से उलझा हुआ था। दरअसल, 30 अप्रैल 2016 को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने ‘मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002’ के तहत प्रमोशन में आरक्षण के प्रावधान को खत३ँी खत्म कर दिया था। इसके बाद तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान सरकार ने 12 मई 2016 को हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया, जिसके चलते पिछले 8 साल 11 महीने और 8 दिन से प्रदेश में प्रमोशन पर रोक लगी हुई है। इस दौरान करीब 1 लाख 50 हजार से अधिक कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं, जिनमें से लगभग 1 लाख को इन वर्षों में प्रमोशन मिलना था। हर महीने औसतन 3,000 कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं, जिससे यह समस्या और गंभीर हो गई थी।
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प्रमोशन का रास्ता निकालने के लिए चर्चा
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि सरकार ने इस जटिल मुद्दे को सुलझाने के लिए अलग-अलग स्तर पर व्यापक चर्चा की है। मंत्रियों, उपमुख्यमंत्री और सभी वर्गों के प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श के बाद प्रमोशन का रास्ता तलाशा गया है। उन्होंने कहा, “हम धीरे-धीरे प्रमोशन के करीब पहुंच गए हैं। जल्द ही कैबिनेट से मंजूरी लेकर इस दिशा में काम शुरू किया जाएगा।” सीएम ने यह भी जोड़ा कि शासकीय सेवकों का प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है और उनके हित में समय-समय पर फैसले लिए जाते रहेंगे।
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कर्मचारी संघ ने जताया आभार
सीएम की इस घोषणा के बाद मंत्रालय कर्मचारी संघ और शीघ्र लेखक संघ के पदाधिकारियों ने उनसे मुलाकात की और आभार व्यक्त किया। कर्मचारी नेताओं ने इसे 9 साल बाद लिया गया एक ऐतिहासिक निर्णय करार दिया, जो कर्मचारी वर्ग के हित में होगा। उन्होंने कहा कि इससे न केवल कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि प्रशासनिक कार्यों में भी तेजी आएगी।
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कोर्ट के आदेश से कुछ को मिला प्रमोशन
प्रदेश में प्रमोशन पर व्यापक रोक के बावजूद, विभिन्न विभागों के 500 से अधिक कर्मचारियों को कोर्ट के आदेश पर पदोन्नति मिली है। सबसे पहले स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी धीरेंद्र चतुवेर्दी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को प्रमोशन देने का आदेश दिया था। इसके बाद कई अन्य कर्मचारी भी कोर्ट गए और उनके पक्ष में फैसले आने पर उन्हें पदोन्नति दी गई। यह दशार्ता है कि कोर्ट के हस्तक्षेप से कुछ हद तक राहत मिली, लेकिन बड़े पैमाने पर समाधान अब तक नहीं हो सका था।
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प्रमोशन पर रोक की वजह
प्रमोशन पर रोक की जड़ साल 2002 में बनाए गए नियमों में थी, जब तत्कालीन सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण का प्रावधान लागू किया था। इससे आरक्षित वर्ग के कर्मचारी लगातार प्रमोशन पाते रहे, जबकि अनारक्षित वर्ग पीछे छूट गया। इस असमानता के खिलाफ अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों ने कोर्ट में याचिका दायर की और तर्क दिया कि प्रमोशन का लाभ केवल एक बार मिलना चाहिए। हाईकोर्ट ने इन तर्कों को मानते हुए 30 अप्रैल 2016 को ‘मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002’ को खारिज कर दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा, जहां यथास्थिति के आदेश ने प्रमोशन प्रक्रिया को पूरी तरह ठप कर दिया।
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कमेटी बनी, लेकिन हल नहीं निकला
शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने 2018 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद 2020 में सत्ता में वापसी की। तब प्रमोशन का हल निकालने के लिए उपमंत्री परिषद समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से केस लड़ रहे अधिवक्ताओं के परामर्श से नए नियम तैयार किए। हालांकि, अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों ने इन नियमों को स्वीकार नहीं किया। उनका कहना था कि ये नए नियम पुराने नियमों का ही नया रूप हैं, जिसमें मूल समस्या का समाधान नहीं किया गया। नतीजतन, यह प्रयास भी विफल रहा।
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अगले साल 5% कर्मचारी होंगे रिटायर
मध्यप्रदेश में प्रथम श्रेणी से चतुर्थ श्रेणी तक कुल 6 लाख 6 हजार 876 कर्मचारी हैं। इनमें क्लास वन अधिकारी 8,286, क्लास टू अधिकारी 40,020, क्लास थ्री कर्मचारी 5 लाख 48 और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी 58,522 हैं। 31 मार्च 2024 की स्थिति में 60 साल से अधिक उम्र के कर्मचारियों की संख्या 27,921 है। ये सभी 2026 तक रिटायरमेंट की आयु 62 साल तक पहुंच जाएंगे। यह आंकड़ा कुल कर्मचारियों का लगभग 5% है। ऐसे में प्रमोशन की यह पहल समय की मांग बन गई थी।
सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नई उम्मीद
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की यह घोषणा मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। नौ साल से अटके प्रमोशन का रास्ता साफ होने से न केवल कर्मचारियों को लाभ होगा, बल्कि प्रशासनिक दक्षता में भी सुधार आएगा। अब सभी की नजरें कैबिनेट के फैसले पर टिकी हैं, जो इस ऐतिहासिक कदम को मूर्त रूप देगा।
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