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उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ के लिए बनेगी हाईटेक कुंभ सिटी: जानिये पूरी योजना

5 हजार करोड़ में बनेगी स्थायी कुंभ सिटी, एमपी में पहली बार बड़े स्तर पर होगा डेवलपमेंट

उज्जैन। साल 2028 में होने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया है। उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए) ने 2378 हेक्टेयर भूमि पर 5 हजार करोड़ रुपए की लागत से एक स्थायी, हाईटेक कुंभ सिटी विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है। इस परियोजना के तहत इंटरकनेक्टेड चौड़ी सड़कें, अंडरग्राउंड बिजली व्यवस्था, अस्पताल, स्कूल, खूबसूरत चौराहे और सड़क डिवाइडर के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं से युक्त एक नया धार्मिक शहर बसाया जाएगा। यह मध्य प्रदेश की पहली ऐसी परियोजना होगी, जिसमें इतने बड़े पैमाने पर एक नए शहर का निर्माण किया जाएगा।

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परियोजना का खाका और विशेषताएं

सिंहस्थ कुंभ मेला अधिकारी आशीष सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस हाईटेक कुंभ सिटी योजना को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि यह पहली बार होगा जब सिंहस्थ की भूमि पर स्थायी सड़कें, बिजली के पोल और अन्य निर्माण कार्य किए जाएंगे। अब तक मेला क्षेत्र में अस्थायी सीवर, पानी और बिजली की व्यवस्थाएं की जाती थीं, लेकिन इस बार स्थायी स्ट्रक्चर बनाए जाएंगे। परियोजना की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

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  • इंटरकनेक्टेड सड़कें: 18 मीटर चौड़ी सड़कों का जाल बिछाया जाएगा, जो पूरे क्षेत्र को आपस में जोड़ेगा।
  • अंडरग्राउंड बिजली व्यवस्था: बिजली के तारों को भूमिगत किया जाएगा, जिससे क्षेत्र की सुंदरता बढ़ेगी और रखरखाव आसान होगा।
  • सुविधाएं: अस्पताल, स्कूल, आश्रम और अन्य सामुदायिक सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
  • पर्यटन को बढ़ावा: स्थायी निर्माण से उज्जैन में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
  • हाईटेक इंफ्रास्ट्रक्चर: खूबसूरत चौराहों और सड़क डिवाइडर के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

आशीष सिंह ने दावा किया कि यह परियोजना मध्य प्रदेश में अपनी तरह की पहली और अनूठी होगी। इस पर करीब 5 हजार करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।

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लैंड पुलिंग और किसानों की भूमि

हाईटेक कुंभ सिटी परियोजना के लिए उज्जैन विकास प्राधिकरण 1806 किसानों की लगभग 5000 सर्वे नंबर वाली जमीन को लैंड पुलिंग के माध्यम से अधिग्रहित करेगा। लैंड पुलिंग के तहत किसानों को उनकी जमीन का 50% हिस्सा विकसित रूप में वापस मिलेगा, जिसे वे बेच सकते हैं या उस पर निर्माण कर सकते हैं। इसके अलावा, गाइडलाइन के अनुसार 50% तक का मुआवजा भी दिया जाएगा। अधिकांश किसानों को 18 मीटर चौड़ी सड़कों से सटी भूमि आवंटित की जाएगी, जिससे उनकी जमीन की कीमत में भारी वृद्धि होने की संभावना है।

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आशीष सिंह ने बताया कि लैंड पुलिंग के बाद जमीन की कीमत बढ़ेगी और किसान प्रति स्क्वायर फीट के हिसाब से अपनी जमीन बेच सकेंगे। जब तक परियोजना के लिए भूमि की आवश्यकता नहीं होगी, किसान अपनी जमीन पर खेती जारी रख सकेंगे। जो किसान लैंड पुलिंग के लिए तैयार नहीं हैं, उनके लिए भूमि अधिग्रहण का विकल्प भी उपलब्ध है। इस विकल्प में कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार दोगुना मुआवजा दिया जाएगा।

किसानों का विरोध और बातचीत में गतिरोध

हालांकि, इस परियोजना को लेकर किसानों के बीच असंतोष भी है। कई किसान सरकार की जमीन अधिग्रहण नीति का विरोध कर रहे हैं। शासन और किसानों के बीच लैंड पुलिंग को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं निकल पाया है। आशीष सिंह ने आरोप लगाया कि कुछ लोग किसानों को भ्रमित कर रहे हैं और योजना के लाभों को समझने से रोक रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह परियोजना किसानों के हित में है और इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

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अतिक्रमण और पुरानी समस्याओं का समाधान

मेला अधिकारी ने बताया कि मेला क्षेत्र में पहले अतिक्रमण की समस्या रही है, जिसके कारण अस्थायी व्यवस्थाएं प्रभावित होती थीं। इस बार स्थायी निर्माण के जरिए इन समस्याओं को दूर किया जाएगा। नई कुंभ सिटी में हाईटेक सुविधाएं और व्यवस्थित इंफ्रास्ट्रक्चर होगा, जो मेला क्षेत्र को लंबे समय तक लाभ पहुंचाएगा।

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पर्यटन और आर्थिक विकास को बढ़ावा

इस परियोजना का एक प्रमुख उद्देश्य उज्जैन में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना है। सिंहस्थ कुंभ मेला विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जिसमें लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। हाईटेक कुंभ सिटी के निर्माण से न केवल मेले की व्यवस्थाएं बेहतर होंगी, बल्कि उज्जैन एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में भी उभरेगा। इससे स्थानीय व्यापारियों, होटल व्यवसायियों और अन्य सेवा प्रदाताओं को भी लाभ होगा।

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सिंहस्थ कुंभ मेले को एक नया आयाम देगी

उज्जैन में प्रस्तावित हाईटेक कुंभ सिटी परियोजना न केवल सिंहस्थ कुंभ मेले को एक नया आयाम देगी, बल्कि मध्य प्रदेश में शहरी विकास और पर्यटन के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगी। हालांकि, किसानों के विरोध और उनकी चिंताओं का समाधान इस परियोजना की सफलता के लिए महत्वपूर्ण होगा। शासन को चाहिए कि वह किसानों के साथ पारदर्शी संवाद स्थापित कर उनकी शंकाओं को दूर करे, ताकि यह परियोजना सभी हितधारकों के लिए लाभकारी सिद्ध हो।

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Dharmendra Bhati

मैं धर्मेंद्र भाटी, DB News24 का Author & Founder हूँ तथा पिछले 22 वर्षो से निरंतर सक्रिय पत्रकारिता के माध्यम राजनितिक, प्रशासनिक, सामाजिक और धार्मिक खबरों की रिपोर्टिंग करता हूँ साथ ही Daily जॉब्स, ज्योतिष, धर्म-कर्म, सिनेमा, सरकरी योजनाओ के बारे में आर्टिकल पब्लिश करता हूँ। हमारा संकल्प है कि नई-नई जानकारियाँ आप तक सरल और सहज भाषा में आप तक पंहुचे। जय हिन्द

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