महाकाल मंदिर परिसर में हुआ होलिका दहन, भक्तों ने बाबा संग खेली होली
- सोमवार को धूलेंडी के अवसर पर बाबा महाकाल ने सुबह भस्मारती में भक्तों के साथ होली खेली

उज्जैन। रविवार को तड़के सुबह हुई भस्मारती के दौरान भक्तों ने बाबा महाकाल के साथ फूलों की पंखुडियों को उड़ाकर होली खेली। वहीं शाम को संध्या आरती के बाद महाकाल मंदिर परिसर में होलिका का पूजन कर दहन किया। देर रात तक दर्शनार्थियों ने भजन संध्या का आंनद लिया। सोमवार को धूलेंडी के अवसर पर बाबा महाकाल ने सुबह भस्मारती में भक्तों के साथ होली खेली।
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श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में श्री ओंकारेश्वर मंदिर के सामने रविवार को संध्या आरती के बाद होलिका दहन कर होली उत्सव मनाया गया। आरती के पश्चात पुजारी व पुरोहितों द्वारा होलिका का विधि-विधान से पूजन किया गया। पुजारी परिवार व श्रद्धालुओं द्वारा होलिका की परिक्रमा की गई। मंदिर परिसर में होलिका दहन के बाद मंदिर के मुख्य द्वार के बाहर आयोजित भजन संध्या में भी सैंकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे। इस दौरान मंदिर के पुजारी-पुरोहित मौजूद थे।
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मथुरा वृंदावन की तरह मनाई होली
बड़ी संख्या में महाकाल मंदिर में बाबा महाकाल के साथ होली खेलने उज्जैन पहुंचे श्रद्धालुओं ने संध्या कालीन आरती में बाबा महाकाल के सतह होली खेली। पण्डे पुजारी ने भी जमकर पुष्प और गुलाल उड़ाकर होली होली खेली। इस दौरान महाकाल मंदिर का माहौल मथुरा वृंदावन की होली की तरह था। हर को रंग में भीगा नजर आया। इसके बाद घनश्याम पुजारी ने महाकाल मंदिर परिसर में होलिका का दहन किया।
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सांदीपनी आश्रम में पांच दिवसीय होली उत्सव
भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम में पांच दिवसीय होली उत्सव मनाया जाएगा। भगवान श्री कृष्ण के साथ ही भक्त पांच दिन तक हर्बल गुलाल और फूलों से होली खेलेंगे। 28 मार्च को पुजारी परिवार द्वारा फाग महोत्सव मनाया जाएगा। महिलाएं फाग के गीत गाएंगी। भगवान को विशेष पकवानों का भोग लगाया जाएगा। श्री सांदीपनि आश्रम के मुख्य पुजारी पं.रूपम व्यास ने बताया भगवान श्रीकृष्ण की पाठशाला में धुलेंडी से रंगपंचमी तक पांच दिन होली उत्सव मनाने की परंपरा है। भगवान श्री कृष्ण को होली का पर्व सबसे खास और प्रिय पर्व है। इस बार 25 मार्च को धुलेंडी पर्व से रंगपचंमी होली का पर्व मंदिर में होगा। भक्त भी यहां पर भगवान के साथ होली खेल सकते है। मुख्य आयोजन 28 मार्च को दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक होगा।
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फूल और हर्बल गुलाल से खेलेंगे होली
प्रतिदिन सुबह 7 बजे होने वाली आरती में भगवान को हर्बल गुलाल अर्पित किया जाएगा। इसके बाद भक्त भी दिनभर भगवान को गुलाल अर्पित कर सकेंगे। मंदिर की परंपरा अनुसार चैत्र कृष्ण चतुर्थी पर फाग महोत्सव मनाया जाएगा। कई क्विंटल फूल व हर्बल गुलाल से होली खेली जाएगी। महिलाएं फाग के गीतों पर नृत्य करेंगी। भजन-कीर्तन होंगे। सांदीपनि आश्रम में मथुरा, बरसाने की होली जैसा दृश्य नजर आएगा। 30 मार्च को रंगपंचमी पर रंगरंगीली होली के साथ महोत्सव का समापन होगा।
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