भारत

अचल संपत्ति की नोटरी पर रोक, केवल रजिस्ट्री को मान्यता

- इंदौर कलेक्टर ने जारी किया प्रतिबंधात्मक आदेश, 100 रुपए व उससे अधिक की अचल संपत्ति की नोटरी करने पर लगाया बैन

इंदौर: इंदौर जिला प्रशासन ने अचल संपत्ति के लेन-देन में पारदर्शिता और वैधानिकता सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। कलेक्टर आशीष सिंह ने 100 रुपये और उससे अधिक मूल्य की अचल संपत्ति की नोटरी पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। यह आदेश भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा-163 (1)(2) के तहत 28 मई 2025 को जारी किया गया और यह 25 जुलाई 2025 तक प्रभावी रहेगा। इस कदम का उद्देश्य अवैध और झूठे सौदों को रोकना तथा संपत्ति के हस्तांतरण में विधिवत पंजीकरण को अनिवार्य करना है।

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आदेश का विवरण

कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा जारी आदेश के अनुसार, इंदौर जिले में 100 रुपये या उससे अधिक मूल्य की अचल संपत्ति की नोटरी करना पूरी तरह प्रतिबंधित है। यदि कोई नोटरी इस आदेश का उल्लंघन करता पाया गया, तो उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा-223 के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके अतिरिक्त, ऐसी नोटरी का लाइसेंस निरस्त करने की अनुशंसा की जाएगी, साथ ही अन्य वैधानिक कार्रवाइयां भी की जाएंगी।

आदेश का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी जिले के सभी वरिष्ठ जिला पंजीयक, जिला पंजीयक, वरिष्ठ उप पंजीयक, उप पंजीयक, अनुविभागीय दंडाधिकारी, कार्यपालक दंडाधिकारी, पुलिस थाना प्रभारी और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सौंपी गई है। आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति या संगठन के खिलाफ भी भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा-223 के तहत दंडात्मक कार्रवाई होगी।

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पंजीकरण अधिनियम, 1908 की भूमिका

पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा-17(1)(बी) के अनुसार, 100 रुपये या उससे अधिक मूल्य की अचल संपत्ति में किसी भी अधिकार, शीर्षक या हित को बनाने, घोषित करने, सौंपने, सीमित करने या समाप्त करने वाले दस्तावेजों का पंजीकरण अनिवार्य है। यह प्रावधान स्पष्ट करता है कि ऐसी संपत्तियों के क्रय-विक्रय के लिए केवल विधिवत रजिस्ट्री ही मान्य होगी, और नोटरी किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं होगी। इस नियम का उल्लंघन न केवल अवैध है, बल्कि इससे शासन को स्टाम्प ड्यूटी के रूप में राजस्व का नुकसान भी होता है, जैसा कि हाल ही में इंदौर हाईकोर्ट के एक आदेश में भी उल्लेख किया गया था।

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आदेश का उद्देश्य और प्रभाव

इस आदेश का मुख्य उद्देश्य संपत्ति के लेन-देन में पारदर्शिता लाना और अवैध कॉलोनियों में अनियोजित विकास को रोकना है। इंदौर में नोटरी के आधार पर संपत्ति की खरीद-बिक्री का प्रचलन लंबे समय से रहा है, लेकिन नोटरी को कानूनी रूप से संपत्ति के स्वामित्व का दस्तावेज नहीं माना जाता। इससे न केवल खरीदारों को धोखाधड़ी का सामना करना पड़ता है, बल्कि शासन को राजस्व की हानि भी होती है। कलेक्टर आशीष सिंह का यह कदम अवैध कॉलोनियों में भूखंडों के बैनामा (रजिस्ट्री) को शून्य घोषित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है, जैसा कि हाल ही में जिला प्रशासन ने घोषणा की थी।

इसके अलावा, यह आदेश वैध कॉलोनियों में नोटरी आधारित संपत्तियों की रजिस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए भी है। इंदौर जिला प्रशासन ने पहले ही उन अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया शुरू की है, जिन्हें राज्य शासन के निदेर्शों के तहत मान्यता दी गई है। इन कॉलोनियों में रहने वाले लोगों की संपत्तियों की रजिस्ट्री को सुगम बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है।

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प्रशासन की सख्ती और जनता को राहत

कलेक्टर आशीष सिंह ने इस आदेश को लागू करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने राजस्व अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि कोई भी राजस्व मामला, जैसे नामांतरण, बंटवारा, रिकॉर्ड सुधार या सीमांकन, तीन महीने से अधिक लंबित न रहे। इसके लिए जिला प्रशासन ने सुशासन संवाद कक्ष की स्थापना भी की है, जिसके माध्यम से आवेदकों से सीधा संपर्क कर उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।

इसके साथ ही, कलेक्टर ने दलालों के खिलाफ भी सख्त रवैया अपनाया है। उन्होंने राजस्व अधिकारियों को चेतावनी दी है कि यदि उनके कार्यालय में दलाल दिखाई दिए, तो संबंधित अधिकारी को तत्काल निलंबित कर दिया जाएगा। यह कदम आम जनता के लिए प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में उठाया गया है।

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जनता और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

इस आदेश को लेकर जनता और रियल एस्टेट विशेषज्ञों में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। जहां कुछ लोग इस कदम को संपत्ति लेन-देन में पारदर्शिता और वैधानिकता सुनिश्चित करने वाला मान रहे हैं, वहीं कुछ का कहना है कि नोटरी पर प्रतिबंध से छोटे स्तर के लेन-देन प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह आदेश अवैध कॉलोनियों और अनियोजित विकास पर लगाम लगाने में प्रभावी होगा।

कलेक्टर का आदेश महत्वपूर्ण

इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह का यह आदेश अचल संपत्ति के लेन-देन में एक नया मानक स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। यह न केवल अवैध सौदों को रोकने में मदद करेगा, बल्कि शासन को राजस्व की हानि से भी बचाएगा। साथ ही, वैध कॉलोनियों में रजिस्ट्री को बढ़ावा देकर आम जनता को राहत प्रदान करेगा। प्रशासन की सख्ती और सुशासन के प्रति प्रतिबद्धता इस आदेश को प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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Dharmendra Bhati

मैं धर्मेंद्र भाटी, DB News24 का Author & Founder हूँ तथा पिछले 22 वर्षो से निरंतर सक्रिय पत्रकारिता के माध्यम राजनितिक, प्रशासनिक, सामाजिक और धार्मिक खबरों की रिपोर्टिंग करता हूँ साथ ही Daily जॉब्स, ज्योतिष, धर्म-कर्म, सिनेमा, सरकरी योजनाओ के बारे में आर्टिकल पब्लिश करता हूँ। हमारा संकल्प है कि नई-नई जानकारियाँ आप तक सरल और सहज भाषा में आप तक पंहुचे। जय हिन्द

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