चरक अस्पताल में अपनों को उपकृत करने के लिए नियमों की अनदेखी
- मुख्यमंत्री सहित उच्च अधिकारियों से शिकायत, कार्रवाई की मांग
उज्जैन। शहर का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल चरक इन दिनों टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं को लेकर विवादों में घिरा हुआ है। अस्पताल में ग्रिड मेंटेनेंस, लिफ्ट, एसी, फायर, ऑक्सीजन सप्लाई, सीसीटीवी कैमरे और पीने के पानी की आपूर्ति से जुड़े टेंडरों में मनमानी कर अपनों को लाभ पहुंचाने के आरोप लग रहे हैं। टेंडर प्रक्रिया प्रभारी लिपिक के इशारों पर संचालित हो रही है, जिन्होंने नियमों को दरकिनार कर अपने पसंदीदा ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए खेल रच दिया।
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चरक अस्पताल में विभिन्न सुविधाओं की देखरेख के लिए हाल ही में ऑनलाइन टेंडर आमंत्रित किए गए थे। लेकिन सूत्रों के अनुसार प्रभारी लिपिक राहुल पंड्या ने ऑनलाइन प्रक्रिया को बाधित कर ऑफलाइन दस्तावेज मंगवाए, जिससे अन्य निविदाकतार्ओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। सरकारी निविदा प्रक्रियाओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने वाले प्रार्क्यूरमेंट मैनुअल के पृष्ठ क्रमांक 75, बिंदु क्रमांक 5.4.3 के अनुसार ऑनलाइन निविदाओं के लिए आॅफलाइन दस्तावेजों की मांग नहीं की जा सकती। लेकिन इसके बावजूद लिपिक पंड्या ने टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी की और नियमों का उल्लंघन किया। सूत्रों के मुताबिक टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने वाले ठेकेदारों को एक बंद लिफाफे में दस्तावेज जमा करने को कहा गया। इससे वे भ्रमित हुए और सही समय पर दस्तावेज जमा नहीं कर सके, जिसके चलते उन्हें प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया। इस पूरे खेल का फायदा एक खास ठेकेदार नरेंद्र शर्मा को मिला, जिसके पास पहले से ही अस्पताल के कुछ टेंडर थे।
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प्रभारी लिपिक पर पहले भी लग चुके हैं आरोप
सूत्रों का दावा है कि राहुल पंड्या का मूल पद ड्रेसर का है, लेकिन वह लंबे समय से प्रभारी लिपिक के पद पर बना हुआ है। अधिकारियों से मिलीभगत के चलते वह मनमानी कर रहा है और टेंडर प्रक्रिया में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है। टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं के दौरान अक्सर लिपिक अपनी सीट पर मौजूद नहीं रहता। इससे ठेकेदार परेशान होकर लौट जाते हैं या फिर देर से दस्तावेज जमा करते हैं। देरी से जमा दस्तावेजों को आधार बनाकर उन्हें आपात्र घोषित कर दिया जाता है, जिससे केवल पहले से तय किए गए ठेकेदार ही टेंडर जीत पाते हैं।
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भाजपा पार्षदों ने उठाई आपत्ति, मुख्यमंत्री से की शिकायत
टेंडर प्रक्रिया में हो रही मनमानी को लेकर भाजपा के कुछ पार्षदों ने खुलकर आपत्ति जताई है। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, स्वास्थ्य मंत्री, कलेक्टर, सांसद, विधायक और सीएमएचओ को लिखित शिकायत सौंपी है। पार्षदों का आरोप है कि चरक अस्पताल में टेंडर प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और केवल चुनिंदा ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने की नीति अपनाई जा रही है। शिकायत के बाद भी सिविल सर्जन और प्रभारी लिपिक से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इससे मामले को लेकर शंका और गहराती जा रही है।
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अस्पताल में चचार्ओं का बाजार गर्म
चरक अस्पताल में नरेंद्र शर्मा नामक ठेकेदार और प्रभारी लिपिक राहुल पंड्या के बीच सांठगांठ की चर्चा जोरों पर है। सूत्रों का कहना है कि पहले अस्पताल में ग्रिड और लिफ्ट का ठेका श्रीजी एजेंसी के पास था, लेकिन एसी, फायर, ऑक्सीजन, सीसीटीवी कैमरे और वाटर सप्लाई का ठेका नरेंद्र शर्मा को मिला हुआ था। चूंकि पिछले टेंडर में नरेंद्र शर्मा को कई काम मिले थे, इसलिए इस बार उसे फिर से टेंडर दिलाने के लिए नियमों का उल्लंघन किया गया। पुराने संबंधों का फायदा उठाकर टेंडर प्रक्रिया में अन्य ठेकेदारों को बाहर किया गया, ताकि मनचाहा ठेका तय ठेकेदार को मिल सके।
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सरकारी नियमों का खुला उल्लंघन
सरकारी टेंडर प्रक्रिया के नियमों के मुताबिक ऑनलाइन टेंडर के लिए आॅफलाइन दस्तावेजों की मांग गैरकानूनी है। टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखना अनिवार्य है। किसी भी सरकारी विभाग में पदस्थ अधिकारी या कर्मचारी अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर निर्णय नहीं ले सकता। लेकिन चरक अस्पताल में इन सभी नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। पार्षदों और स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि समय रहते इस मामले में जांच नहीं हुई, तो यह भ्रष्टाचार और बढ़ सकता है। अब देखना यह होगा कि सरकार और प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं। यदि जल्द कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो यह भ्रष्टाचार का बड़ा मामला बन सकता है और चरक अस्पताल की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं। (विशेष रिपोर्ट – उज्जैन संवाददाता)
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