एमपी में जीतू पटवारी के बयान पर सियासी बवाल
- उज्जैन में भाजपा का प्रदर्शन, महिलाओं ने जलाए पुतले

भोपाल/उज्जैन। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी के एक विवादास्पद बयान ने प्रदेश की सियासत को गरमा दिया है। पटवारी ने सोमवार को भोपाल में अपने आवास पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि पूरे देश में सबसे ज्यादा शराब मध्यप्रदेश की महिलाएं पीती हैं। इस बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीखा हमला बोला है, इसे महिलाओं का अपमान करार दिया है। उज्जैन में भाजपा कार्यकतार्ओं, विशेष रूप से महिला मोर्चा की कार्यकतार्ओं ने इस बयान के विरोध में तीव्र प्रदर्शन किया और जीतू पटवारी के साथ-साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पुतले जलाए।
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मंगलवार को उज्जैन के फ्रीगंज स्थित भाजपा कार्यालय लोकशक्ति भवन के सामने भाजपा महिला मोर्चा की पदाधिकारियों और कार्यकतार्ओं ने जीतू पटवारी और राहुल गांधी के पुतले जलाकर अपना गुस्सा जाहिर किया। इस दौरान बड़ी संख्या में महिला कार्यकर्ता शामिल हुईं, जिन्होंने जीतू पटवारी मुदार्बाद और राहुल गांधी मुदार्बाद के नारे लगाए। प्रदर्शन में शामिल महिलाओं ने पटवारी के बयान को न केवल अपमानजनक बल्कि मध्यप्रदेश की आधी आबादी की गरिमा पर हमला बताया।
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उज्जैन में नेता प्रतिपक्ष कलावती यादव ने इस बयान की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि जीतू पटवारी का यह बयान पूरी तरह असत्य और महिलाओं का घोर अपमान है। भारत में महिलाओं को देवी स्वरूप माना जाता है, और इस तरह की टिप्पणी निंदनीय है। खास तौर पर हरतालिका तीज जैसे पवित्र पर्व के दिन, जब लाखों माताएं-बहनें निर्जला व्रत रखकर अपने परिवार और देश की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना कर रही थीं, तब इस तरह का बयान देना बेहद शर्मनाक है।
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कलावती यादव ने आगे कहा कि भाजपा सरकार और लाखों कार्यकर्ता इस अपमान को बर्दाश्त नहीं करेंगे। मैं कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व और जीतू पटवारी से मांग करती हूं कि वे तत्काल मध्यप्रदेश की महिलाओं से माफी मांगें। इतना ही नहीं, पटवारी को उनके पद से तुरंत हटाया जाना चाहिए।
जीतू पटवारी का बयान और सफाई
जीतू पटवारी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 और सरकारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि मध्यप्रदेश में शराब की खपत देश में सबसे ज्यादा है और यहाँ की महिलाएं सबसे अधिक शराब पीती हैं। हालांकि, बयान पर विवाद बढ़ने के बाद पटवारी ने खरगोन में सफाई दी। उन्होंने कहा कि मैंने जो कहा, वह पीएम मोदी की ओर से दी गई रिपोर्ट के आधार पर था। यह मेरा आरोप नहीं, बल्कि सरकारी आंकड़े हैं। बीजेपी सरकार को जवाब देना चाहिए कि मध्यप्रदेश में नशे की समस्या क्यों बढ़ रही है। उन्होंने यह भी पूछा कि बीजेपी नेताओं की ड्रग माफियाओं के साथ तस्वीरें क्यों सामने आ रही हैं और सरकार इस मुद्दे पर गंभीर क्यों नहीं है।
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बीजेपी का तीखा पलटवार
जीतू पटवारी के बयान के बाद बीजेपी ने इसे महिलाओं का अपमान बताते हुए कांग्रेस पर हमला तेज कर दिया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक वीडियो जारी कर कहा कि हरतालिका तीज के पावन पर्व पर जीतू पटवारी का यह बयान शर्मनाक है। मध्यप्रदेश की लाडली बहनों का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्हें तत्काल माफी मांगनी चाहिए और कांग्रेस को उन्हें पद से हटाना चाहिए।
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भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने भी जीतू पटवारी पर निशाना साधते हुए कहा कि यह बयान प्रदेश की 5 करोड़ माताओं-बहनों का अपमान है। कांग्रेस की मानसिकता हमेशा से महिला विरोधी रही है। सोनिया गांधी को चाहिए कि वे अपने प्रदेश अध्यक्ष को इस तरह की बयानबाजी से रोकें। बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पटवारी का यह बयान कांग्रेस की कुत्सित और महिला विरोधी मानसिकता को दशार्ता है। यह न केवल मध्यप्रदेश की महिलाओं का अपमान है, बल्कि यह पूरे समाज की संवेदनाओं पर चोट है।
आंकड़ों का सच…
जीतू पटवारी के दावे की सच्चाई को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 के आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश में केवल 1.6% महिलाएं शराब का सेवन करती हैं, जो राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। देश में सबसे ज्यादा शराब पीने वाली महिलाओं की सूची में अरुणाचल प्रदेश (26%) और सिक्किम (16.2%) शीर्ष पर हैं। इन आंकड़ों के आधार पर पटवारी का दावा तथ्यात्मक रूप से गलत प्रतीत होता है।
मध्यप्रदेश की सियासत को गरमाया
जीतू पटवारी के बयान ने न केवल मध्यप्रदेश की सियासत को गरमाया है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं को भी प्रभावित किया है। खास तौर पर हरतालिका तीज जैसे पवित्र अवसर पर इस तरह का बयान देना कई लोगों को नागवार गुजरा है। बीजेपी ने इसे एक बड़े मुद्दे के रूप में उठाकर कांग्रेस को घेरने की रणनीति बनाई है, जबकि पटवारी अपनी बात पर कायम हैं और इसे सरकारी आंकड़ों पर आधारित बता रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का राजनीतिक और सामाजिक असर आगे क्या रूप लेता है।
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