लोकायुक्त ने स्वास्थ विभाग के क्लर्क को पकड़ा
- आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से मांगी थी 3300 रुपए की रिश्वत
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जबलपुर। जबलपुर लोकायुक्त ने एक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ क्लर्क को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी आशा कार्यकर्ता सुशीला गुप्ता की शिकायत पर की गई, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत एलडीसी (लोअर डिवीजन क्लर्क) रवि बोहत ने मानदेय जारी करने के बदले 50 प्रतिशत रिश्वत की मांग की थी। इस गिरफ्तारी के साथ ही यह मामला जबलपुर लोकायुक्त द्वारा की गई दूसरी कार्रवाई बन गया है, जिससे स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार का एक और बड़ा खुलासा हुआ है।
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रिश्वत की मांग और मामला
सुशीला गुप्ता, जो मोतीनाला शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत हैं, का मानदेय हर माह 6000 रुपए के आसपास होता है। उन्होंने बताया कि रवि बोहत ने उनसे मानदेय जारी करने के नाम पर 50 प्रतिशत यानी 3000 रुपए की रिश्वत की मांग की थी। आशा कार्यकर्ता के मुताबिक, वह इस प्रथा से तंग आ चुकी थीं और इस बार लोकायुक्त से शिकायत करने का निर्णय लिया। आशा कार्यकतार्ओं की स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जबलपुर में लगभग 400 आशा कार्यकर्ता हैं, जिनमें से प्रत्येक को हर माह 6000 रुपए का मानदेय मिलता है।
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लेकिन, इन कार्यकतार्ओं को यह मानदेय प्राप्त करने के लिए भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है। रवि बोहत ने अपने कार्यकतार्ओं से केवल 50 प्रतिशत राशि रिश्वत के रूप में मांगने का आरोप लगाया है, और यह भी जानकारी सामने आई है कि यह सिलसिला केवल सुशीला गुप्ता तक ही सीमित नहीं था, बल्कि अन्य आशा कार्यकतार्ओं से भी रिश्वत की मांग की जा रही थी।
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लोकायुक्त की कार्रवाई
आशा कार्यकर्ता सुशीला गुप्ता ने बीते एक सप्ताह में इस भ्रष्टाचार के खिलाफ कई बार शिकायत की थी, लेकिन अंतत: उन्होंने लोकायुक्त एसपी संजय साहू से संपर्क किया। शिकायत के बाद लोकायुक्त पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एक टीम का गठन किया। टीम ने रवि बोहत को रंगे हाथ पकड़ने के लिए उसे मोतीनाला शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से गिरफ्तार किया। आरोप है कि रवि ने 3000 रुपए रिश्वत लेते समय उसे रंगे हाथ पकड़ा गया। गिरफ्तार किए गए आरोपी को सर्किट हाउस नंबर-2 में पूछताछ के लिए ले जाया गया, जहाँ उसके खिलाफ कार्रवाई की गई।
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आशा कार्यकतार्ओं का बयान
सुशीला गुप्ता ने बताया कि मानदेय में से 50 प्रतिशत रिश्वत देना हमारे लिए बेहद मुश्किल हो गया है। हर महीने किसी तरह से अपना घर चलाना पड़ता है और ऐसे में जब किसी अधिकारी द्वारा रिश्वत की मांग की जाती है, तो समझ नहीं आता कि हम किससे मदद लें। उन्होंने बताया कि न केवल उनका, बल्कि अन्य आशा कार्यकतार्ओं का भी शोषण हो रहा था, जो अब लोकायुक्त द्वारा उजागर हुआ है।
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भ्रष्टाचार पर कड़ी नजर
लोकायुक्त एसपी संजय साहू ने कहा कि यह उनकी टीम की दूसरी बड़ी कार्रवाई है, और ऐसे मामलों की जांच को जारी रखा जाएगा। उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार को किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा। हम इस मामले की जांच करेंगे और आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। यह कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है कि वे अपनी जिम्मेदारियों का पालन पूरी ईमानदारी से करें, क्योंकि अब भ्रष्टाचार को लेकर सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
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