सिंहस्थ क्षेत्र में 2376 हेक्टेयर में बनेंगे धर्मशाला-आश्रम, हॉस्पिटल
- लैंड पुलिंग के जरिये उज्जैन में विकास, 50% भूमि किसानों को वापस मिलेगी

सिंहस्थ-2028 की तैयारी: अब पक्के निर्माण की मंजूरी.!
उज्जैन। सिंहस्थ मेला क्षेत्र में आगामी 2028 के सिंहस्थ महापर्व को ध्यान में रखते हुए अब स्थायी निर्माण कार्यों की शुरूआत की जा रही है। उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए) ने इस योजना के तहत 2,376 हेक्टेयर भूमि को विकसित करने का निर्णय लिया है और यह विकास कार्य लैंड पुलिंग योजना के माध्यम से किया जाएगा।
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लैंड पुलिंग योजना के तहत किसानों को विकास प्रक्रिया में भागीदार बनाया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उनके पास 50% भूमि का हिस्सा कायम रहे। इस विकास कार्य के तहत क्षेत्र में कई सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा, जिसमें स्कूल, कॉलेज, धर्मशाला, आश्रम, स्वास्थ्य केंद्र, अस्पताल, धार्मिक भवन और दर्शनीय स्थल शामिल हैं। इसके अलावा प्रमुख सड़कों का निर्माण किया जाएगा और उन सड़कों पर 25 से 30 प्रमुख द्वार भी बनाए जाएंगे, जो सिंहस्थ क्षेत्र की ऐतिहासिक पहचान को बनाए रखेंगे।
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स्थायी निर्माण संभव हो पायेंगे
यूडीए के मास्टर प्लान-2035 के अनुसार अब स्थायी निर्माण संभव हो पाएंगे, जो पहले भूमि सिंहस्थ क्षेत्र के अधिसूचित होने के कारण संभव नहीं थे। इसके चलते अब न केवल धार्मिक और सामाजिक सेवाओं के लिए नई सुविधाएं मिलेंगी, बल्कि क्षेत्र का आधुनिकीकरण भी होगा। इस परियोजना की लागत लगभग 2000 करोड़ रुपये आंकी गई है और इस क्षेत्र में आधुनिक सड़कों के निर्माण के साथ-साथ सेंटर लाइटिंग, स्टॉर्म वाटर ड्रेन, सीवर और वाटर लाइन की व्यवस्था की जाएगी।
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नई सुविधाओं का समावेश:
चौड़ी सड़कें और अंडरग्राउंड सुविधाएं- सिंहस्थ क्षेत्र में 60 से 200 फीट चौड़ी सड़कों का निर्माण होगा। इन सड़कों में डिवाइडर पर पौधरोपण किया जाएगा और सड़क किनारे फुटपाथ, बेंच और आकर्षक विद्युत पोलों से प्रकाश व्यवस्था होगी।
आधुनिक जल-निकासी और विद्युत प्रणाली- प्रत्येक सड़क में अंडरग्राउंड सीवर सिस्टम, स्टॉर्म वाटर लाइन और वाटर सप्लाई सिस्टम की व्यवस्था होगी। इसके अलावा, संपूर्ण क्षेत्र में अंडरग्राउंड विद्युत लाइनें होंगी, जिससे सड़क किनारे झूलते हुए तारों का दृश्य समाप्त हो जाएगा।
धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान- प्रमुख मार्गों पर भव्य द्वार बनाए जाएंगे, जो क्षेत्र की पौराणिक पहचान को बनाए रखेंगे।
किसान और भूस्वामी के लाभ- लैंड पुलिंग योजना में किसानों को बड़ा लाभ मिलेगा। यूडीए ने स्पष्ट किया है कि भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। किसानों को उनकी भूमि का 50% हिस्सा वापस मिलेगा, जबकि शेष 50% भूमि पर सड़कें, पार्क और अन्य जनसुविधाएं विकसित की जाएंगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसानों की भूमि का उपयोग क्षेत्रीय विकास के लिए हो, लेकिन उनका हिस्सा संरक्षित रहेगा।
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भविष्य में क्या होगा खास?
धार्मिक पर्यटन में वृद्धि- इस परियोजना के अंतर्गत किए जा रहे विकास से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि सिंहस्थ मेला भारत का एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है और यहां लाखों भक्तों की उपस्थिति होती है।
सुविधाओं में वृद्धि- सड़कों के किनारे बेंच, पार्क, ओपन जिम, वॉकिंग पाथ और झूले जैसी सुविधाओं से आम जन को राहत मिलेगी। इसके अलावा, अस्पताल, स्कूल और जनसुविधा केंद्र के निर्माण से क्षेत्र में सामाजिक सेवाएं भी मजबूत होंगी।
विकास के लिए 2000 करोड़ का निवेश- यूडीए द्वारा इस परियोजना के लिए कुल 2000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा, जिससे क्षेत्र में स्थायी और मजबूत बुनियादी ढांचा तैयार किया जाएगा।
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धार्मिक और सामाजिक सुविधाओं में होगा सुधार
सिंहस्थ-2028 के मद्देनजर उज्जैन में हो रहे इस विकास कार्य से क्षेत्र का रूप पूरी तरह से बदलने वाला है। इस विकास के चलते न केवल धार्मिक और सामाजिक सुविधाओं में सुधार होगा, बल्कि यह क्षेत्र एक आधुनिक और आकर्षक स्थल के रूप में उभरेगा। यह परियोजना न केवल स्थानीय किसानों के लिए लाभकारी होगी, बल्कि उज्जैन के पर्यटन और धार्मिक महत्ता को भी बढ़ावा मिलेगा।
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