महाकाल मंदिर में विवाद: विधायक और बेटे पर नियम तोड़ने का आरोप
भाजपा विधायक भी बिना परमिशन महाकाल गर्भगृह में घुसे थे, 7 दिन में जांच होगी

उज्जैन: मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में सावन के दूसरे सोमवार को भस्म आरती के दौरान एक बड़ा विवाद सामने आया है। इंदौर-3 से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक गोलू शुक्ला और उनके बेटे रुद्राक्ष शुक्ला पर बिना अनुमति मंदिर के गर्भगृह में जबरन प्रवेश करने और मंदिर कर्मचारी के साथ बदसलूकी करने का आरोप लगा है। इस घटना ने श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है, जिसके बाद जिला कलेक्टर ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जो सात दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
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घटना का विवरण
सावन माह के दूसरे सोमवार, 21 जुलाई 2025 को तड़के करीब 2:30 बजे, भस्म आरती के लिए मंदिर के पट खुलने के बाद विधायक गोलू शुक्ला अपनी कांवड़ यात्रा के साथ उज्जैन पहुंचे। उनके साथ उनका बेटा रुद्राक्ष और कुछ समर्थक भी थे। आरोप है कि विधायक गोलू शुक्ला ने भस्म आरती के दौरान हरिओम जल अर्पित करने के लिए गर्भगृह में प्रवेश किया। जब मंदिर कर्मचारी आशीष दुबे ने उनके बेटे रुद्राक्ष को गर्भगृह में प्रवेश करने से रोका, तो रुद्राक्ष ने कर्मचारी के साथ बहस की और कथित तौर पर धमकी दी। इसके बावजूद, रुद्राक्ष ने नियमों की अनदेखी करते हुए गर्भगृह में प्रवेश किया और करीब पांच मिनट तक पूजा-अर्चना की। इस दौरान मंदिर का लाइव प्रसारण भी करीब एक मिनट तक बाधित रहा, जिससे आॅनलाइन दर्शन कर रहे श्रद्धालु परेशान हुए।
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मंदिर प्रशासन का बदलता रुख
घटना के तुरंत बाद, सोमवार को मंदिर प्रशासन ने दावा किया था कि विधायक गोलू शुक्ला को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति दी गई थी। हालांकि, मंगलवार को मंदिर के उप प्रशासक एसएन सोनी ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, “न तो विधायक गोलू शुक्ला और न ही उनके किसी समर्थक को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति दी गई थी। उन्होंने जबरन प्रवेश किया और कर्मचारियों के साथ बदसलूकी की।” इस बयान ने मामले को और तूल दे दिया।
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विधायक का दावा और खंडन
विधायक गोलू शुक्ला ने सोमवार को दावा किया था कि उनके पास मंदिर प्रशासक और कलेक्टर से पांच लोगों के लिए गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति थी। उन्होंने कहा, “हमने विधिवत दर्शन किए और किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया। कर्मचारी के साथ हल्की-फुल्की कहासुनी हुई थी।” हालांकि, मंदिर प्रशासन के ताजा बयान ने उनके दावे को खारिज कर दिया है।
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जांच समिति का गठन
मामले के तूल पकड़ने के बाद उज्जैन के जिला कलेक्टर ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है, जो इस घटना की विस्तृत जांच करेगी। समिति को सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। यह समिति यह जांच करेगी कि क्या विधायक गोलू शुक्ला और उनके बेटे ने नियमों का उल्लंघन किया और कर्मचारियों के साथ बदसलूकी की गई। साथ ही, यह भी देखा जाएगा कि मंदिर प्रशासन ने शुरू में अनुमति होने का दावा क्यों किया।
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पहले भी विवादों में रहा है रुद्राक्ष
यह पहली बार नहीं है जब रुद्राक्ष शुक्ला विवादों में घिरे हैं। चार साल पहले, सावन 2021 में, रुद्राक्ष ने अपने दोस्तों के साथ महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश किया था और वहां तस्वीरें खींचकर फेसबुक पर अपलोड की थीं। उस समय भी उनके खिलाफ नियम तोड़ने के आरोप लगे थे, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई थी। इसके अलावा, तीन महीने पहले, अप्रैल 2025 में, रुद्राक्ष ने देवास के चामुंडा माता टेकरी मंदिर में आधी रात को जबरन पट खुलवाने की कोशिश की थी। इस दौरान उनके काफिले में लाल बत्ती और हूटर वाली गाड़ियां शामिल थीं, और पुजारी के साथ उनका विवाद हुआ था। पुजारी ने रुद्राक्ष पर मारपीट और धमकाने का आरोप लगाया था, जिसके बाद रुद्राक्ष ने माफी मांगकर मामला शांत किया था।
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गर्भगृह में प्रवेश पर प्रतिबंध क्यों?
महाकाल मंदिर में गर्भगृह में प्रवेश पर सख्त नियम हैं। अक्टूबर 2022 में महाकाल लोक के उद्घाटन के बाद मंदिर में दर्शनार्थियों की संख्या 20-30 हजार प्रतिदिन से बढ़कर डेढ़ से दो लाख हो गई है। सुरक्षा और व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए आम श्रद्धालुओं के लिए गर्भगृह में प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित है। केवल विशेष अनुमति प्राप्त व्यक्तियों, जैसे पुजारी या विशिष्ट अनुष्ठानों में शामिल लोग, ही गर्भगृह में जा सकते हैं। वीआईपी दर्शन भी केवल नंदी द्वार तक सीमित हैं।
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श्रद्धालुओं में नाराजगी
इस घटना ने मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं में नाराजगी पैदा की है। कई श्रद्धालुओं ने सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकाली और सवाल उठाया कि अगर आम भक्तों के लिए गर्भगृह में प्रवेश वर्जित है, तो वीआईपी और उनके परिजनों को नियम तोड़ने की छूट क्यों दी जाती है। एक श्रद्धालु ने लिखा, “महाकाल के दरबार में सभी बराबर हैं, फिर सत्ता का रसूख क्यों हावी हो रहा है?”
माता टेकरी मंदिर विवाद
रुद्राक्ष शुक्ला का देवास के माता टेकरी मंदिर में विवाद भी चर्चा में है। अप्रैल 2025 में, रुद्राक्ष अपने समर्थकों के साथ आधी रात को मंदिर पहुंचे और बंद मंदिर के पट खुलवाने की मांग की। पुजारी के मना करने पर उनके साथ कहासुनी और कथित मारपीट हुई। इस घटना में भी रुद्राक्ष पर मंदिर की मयार्दा भंग करने का आरोप लगा था। हालांकि, उनके माफी मांगने के बाद मामला दब गया था।
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वीआईपी संस्कृति और नियमों के उल्लंघन
यह घटना एक बार फिर मंदिरों में वीआईपी संस्कृति और नियमों के उल्लंघन के मुद्दे को सामने लाती है। महाकाल मंदिर जैसे पवित्र स्थल पर बार-बार होने वाली ऐसी घटनाएं श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचा रही हैं। जांच समिति की रिपोर्ट से यह स्पष्ट होने की उम्मीद है कि इस मामले में दोषी कौन हैं और क्या कार्रवाई होगी। तब तक, यह मामला मध्य प्रदेश की सियासत और धार्मिक स्थलों की व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है।
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