जगन्नाथ रथ यात्रा में हाथी बेकाबू, भगदड़ से अफरा-तफरी
खाड़िया क्षेत्र में हुआ हादसा, मादा हाथियों की मदद से स्थिति नियंत्रित

अहमदाबाद: भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा के दौरान शुक्रवार सुबह अहमदाबाद के खाड़िया क्षेत्र में उस समय हड़कंप मच गया, जब 17 हाथियों के समूह में सबसे आगे चल रहा एक नर हाथी अचानक बेकाबू हो गया। तेज डीजे और सीटी की आवाज से घबराकर हाथी ने करीब 100 मीटर तक दौड़ लगाई, जिससे रास्ते में बैरिकेड्स टूट गए और कई लोग गिर पड़े। हालांकि, गनीमत रही कि इस घटना में किसी को गंभीर चोट नहीं आई। वन विभाग और वेटरिनरी टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दो मादा हाथियों की मदद से स्थिति को नियंत्रित किया।
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डीजे की तेज आवाज बनी हादसे की वजह
जानकारी के अनुसार, भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा सुबह करीब 10 बजे खाड़िया क्षेत्र से गुजर रही थी। इस दौरान तेज आवाज में बज रहे डीजे और सीटी की आवाजों से सबसे आगे चल रहा नर हाथी उत्तेजित हो गया। वह तेजी से पास की पोल गली की ओर भागा, जिससे सड़क पर मौजूद हजारों श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई। लोग इधर-उधर भागने लगे। हाथी ने अपने रास्ते में कई बैरिकेड्स तोड़ दिए और कुछ लोगों को धक्का मारकर गिरा दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह दृश्य बेहद डरावना था, क्योंकि उस समय सड़क पर भारी भीड़ मौजूद थी।
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मादा हाथियों ने संभाला मोर्चा
वन विभाग के अधिकारी आर.के. साहू ने बताया कि बेकाबू हाथी को नियंत्रित करने के लिए तुरंत दो मादा हाथियों को बुलाया गया। मादा हाथियों की उपस्थिति से नर हाथी शांत हुआ और उसे खाड़िया के पास एक सुरक्षित स्थान पर ले जाकर बांध दिया गया। साहू ने कहा कि हाथी को केवल दूसरा हाथी ही शांत कर सकता है। इसलिए मादा हाथियों की मदद ली गई। इसके बाद बेकाबू नर हाथी और दोनों मादा हाथियों को रथ यात्रा के जुलूस से हटा लिया गया। शेष यात्रा में 14 अन्य हाथी शामिल रहे।
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हाथियों की सेहत पर विशेष ध्यान
भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने वाले हाथियों की शारीरिक और मानसिक सेहत की जिम्मेदारी अहमदाबाद जिले के पशुपालन विभाग ने संभाली थी। उप पशुपालन निदेशक सुकेतु उपाध्याय ने बताया कि 23 जून से सभी 17 हाथियों के स्वास्थ्य की लगातार निगरानी की जा रही थी। प्रत्येक हाथी का मेडिकल चेकअप किया गया और उन्हें स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जारी किए गए। उपाध्याय ने कहा कि हमारी वेटरनरी टीम यह सुनिश्चित करती है कि हाथियों को मक्खी या अन्य कीड़े परेशान न करें। किसी भी बीमारी का समय पर इलाज किया जाता है ताकि उनकी सेहत बनी रहे।
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डार्ट गन से नियंत्रण की व्यवस्था
उपाध्याय ने बताया कि भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान तीन दिन तक वन विभाग और वेटरनरी विभाग की टीमें हाथियों के साथ रहती हैं। यदि कोई हाथी मानसिक संतुलन खो देता है, तो वन विभाग की विशेष टीम डार्ट गन के जरिए इंजेक्शन देकर उसे नियंत्रित करती है। इस घटना में हालांकि डार्ट गन का उपयोग नहीं करना पड़ा, क्योंकि मादा हाथियों ने स्थिति को संभाल लिया।
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रथ यात्रा का आकर्षण हैं सजाए गए हाथी
अहमदाबाद की भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा में सजाए गए हाथी हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहे हैं। ये हाथी भगवान जगन्नाथ के रथ के साथ जुलूस में शामिल होते हैं और श्रद्धालुओं का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं। इस साल भी हाथियों को विशेष रूप से सजाया गया था। वन विभाग और पशुपालन विभाग ने मिलकर यह सुनिश्चित किया कि हाथियों को किसी तरह की परेशानी न हो।
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बेहतर व्यवस्था की मांग
इस घटना के बाद कई श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों ने रथ यात्रा के दौरान डीजे और सीटी की तेज आवाज पर नियंत्रण की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसी घटनाएं भविष्य में दोबारा न हों, इसके लिए आयोजकों को और सख्त कदम उठाने चाहिए। कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि हाथियों को शोर-शराबे से बचाने के लिए विशेष प्रशिक्षण या शांत वातावरण की व्यवस्था की जानी चाहिए।
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यात्रा सुचारू रूप से पूरी हुई
हाथी के बेकाबू होने की घटना के बावजूद, रथ यात्रा बिना किसी बड़े व्यवधान के सुचारू रूप से पूरी हुई। प्रशासन और वन विभाग की त्वरित कार्रवाई के कारण स्थिति जल्द ही नियंत्रण में आ गई। आयोजकों ने यह भी सुनिश्चित किया कि शेष यात्रा शांतिपूर्ण और सुरक्षित ढंग से संपन्न हो।
शोर-शराबे पर ध्यान देना जरूरी
यह घटना रथ यात्रा जैसे विशाल आयोजनों में सुरक्षा और प्रबंधन की महत्ता को रेखांकित करती है। हाथियों जैसे संवेदनशील जानवरों को शामिल करने वाले आयोजनों में शोर-शराबे पर नियंत्रण और उनकी सेहत पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। अहमदाबाद की भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा भले ही इस छोटी सी घटना से प्रभावित हुई, लेकिन प्रशासन की सजगता और त्वरित कार्रवाई ने इसे एक बड़े हादसे में बदलने से रोक लिया।
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