वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में पास: पक्ष में 288, विरोध में 232 वोट
- अब राज्यसभा में पेश होने को तैयार, मणिपुर में राष्ट्रपति शासन का प्रस्ताव भी मंजूर

नई दिल्ली। लोकसभा में बुधवार को वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लंबी और गरमागरम बहस के बाद पारित कर दिया गया। इस विधेयक के पक्ष में 288 वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में 232 सांसदों ने मतदान किया। 12 घंटे तक चली चर्चा के बाद देर रात हुई वोटिंग में यह बिल बहुमत से पास हो गया। अब यह विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा, जहां इस पर आगे की चर्चा और मतदान होगा। इसके साथ ही, लोकसभा ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने के प्रस्ताव को भी ध्वनि मत से मंजूरी दे दी।
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वक्फ संशोधन बिल पर लोकसभा में हंगामा और बहस
वक्फ संशोधन विधेयक को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को लोकसभा में पेश किया था। इस बिल का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता लाना बताया गया है। सरकार का कहना है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय, खासकर महिलाओं और बच्चों के हित में है। हालांकि, विपक्ष ने इसे संविधान के खिलाफ और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार देते हुए इसका कड़ा विरोध किया।
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चर्चा के दौरान आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिल की कॉपी फाड़कर अपना विरोध जताया। ओवैसी ने कहा, यह कानून मुसलमानों की संपत्ति पर कब्जा करने और उन्हें दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने के लिए लाया गया है। यह संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है। दूसरी ओर, रिजिजू ने जवाब में कहा, यह बिल मुस्लिम विरोधी नहीं है। हर जमीन देश की जमीन है और इसमें महिलाओं व बच्चों के लिए कई प्रावधान किए गए हैं।
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लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने बिल पर 8 घंटे की चर्चा का समय निर्धारित किया था, लेकिन बहस और हंगामे के कारण कार्यवाही रात 2 बजे तक चली। विपक्ष के कई संशोधन प्रस्तावों को ध्वनि मत से खारिज कर दिया गया, जबकि सरकार के तीन संशोधनों को मंजूरी मिली। कोल्लम के सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन द्वारा प्रस्तावित एक संशोधन पर मत विभाजन हुआ, जिसमें उनके पक्ष में 231 और विरोध में 288 वोट पड़े, जिसके बाद यह खारिज हो गया।
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बिल के प्रमुख प्रावधान
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 में कई अहम बदलाव प्रस्तावित हैं:
- गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति: केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान।
- सर्वेक्षण का अधिकार: वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण का जिम्मा अब जिला कलेक्टर को दिया जाएगा।
- पारदर्शिता: वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और प्रबंधन के लिए एक केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस की व्यवस्था।
- महिला प्रतिनिधित्व: परिषद और बोर्डों में कम से कम दो महिलाओं को शामिल करना अनिवार्य।
- अलग बोर्ड: बोहरा और आगाखानी समुदायों के लिए अलग वक्फ बोर्ड बनाने का प्रस्ताव।
रिजिजू ने कहा, अगर यह बिल पहले नहीं आता, तो संसद भवन जैसी इमारतों पर भी वक्फ दावा कर सकता था। यह विधेयक संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने और मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए है।
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विपक्ष का विरोध, एनडीए का समर्थन
विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी ने बिल को अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बताया। कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने कहा, यह कानून जबरन थोपा जा रहा है और संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है। वहीं, ठऊअ के सहयोगी दलों जैसे जदयू, तेदेपा और लोजपा ने बिल का समर्थन किया। जदयू सांसद राजीव रंजन सिंह ने कहा, यह बिल मुसलमान विरोधी नहीं है। वक्फ एक ट्रस्ट है, जो सभी वर्गों के साथ न्याय करे, इसके लिए यह जरूरी है।
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मणिपुर में राष्ट्रपति शासन का प्रस्ताव पास
वक्फ संशोधन विधेयक के पारित होने के तुरंत बाद गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने का प्रस्ताव पेश किया, जिसे लोकसभा ने ध्वनि मत से मंजूर कर लिया। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस पर चर्चा की शुरूआत की और कहा, यह चर्चा शांतिपूर्ण रही। हमें उम्मीद है कि मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल होगी।
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आगे की राह: राज्यसभा में चुनौती
अब यह वक्फ संशोधन विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में पेश होगा। राज्यसभा में एनडीए के पास 115 के करीब सदस्य हैं, और छह मनोनीत सदस्यों के समर्थन से यह संख्या 121 तक पहुंच सकती है, जो बहुमत के लिए जरूरी 119 से थोड़ा अधिक है। वहीं, विपक्ष के पास 233 सदस्य हैं, लेकिन ऊपरी सदन में उनकी ताकत कम है। ऐसे में बिल के राज्यसभा से पास होने की संभावना मजबूत दिख रही है, हालांकि विपक्ष वहां भी कड़ा विरोध कर सकता है।
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निष्कर्ष
वक्फ संशोधन विधेयक का लोकसभा से पारित होना सरकार के लिए बड़ी जीत है, लेकिन विपक्ष और मुस्लिम संगठनों के विरोध के बीच यह मुद्दा अभी गर्म बना रहेगा। राज्यसभा में इसकी मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा, जिसके बाद वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। दूसरी ओर, मणिपुर में राष्ट्रपति शासन का प्रस्ताव पास होना वहां की अस्थिर स्थिति को संभालने की दिशा में एक कदम है।
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