अवैध कॉलोनियों पर सख्ती: नया कानून लाएगी मोहन यादव सरकार
10 साल की सजा और 50 लाख जुमार्ने का प्रावधान

भोपाल। मध्यप्रदेश में अवैध कॉलोनियों को वैध करने और इनके निर्माण पर रोक लगाने के लिए डॉ. मोहन यादव सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। राज्य सरकार नगरपालिका एक्ट में संशोधन करने की तैयारी कर रही है, जिसके तहत अवैध कॉलोनी बनाने वालों के लिए सजा और जुमार्ने के प्रावधान को कड़ा किया जाएगा। प्रस्तावित संशोधन में 10 साल तक की जेल और 50 लाख रुपये तक के जुमार्ने की सजा का प्रावधान शामिल है। इस नए कानून का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है और नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने दावा किया है कि यह कानून अगले एक महीने में प्रभावी हो जाएगा।
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क्या है नया प्रस्ताव?
प्रस्तावित संशोधन के तहत अवैध कॉलोनियों के निर्माण पर कड़ा रुख अपनाया जा रहा है। नए नियमों में निम्नलिखित प्रमुख बदलाव शामिल हैं, पढ़िये पूरी रिपोर्ट विस्तार से…
- सजा और जुमार्ना बढ़ाया गया- पहले अवैध कॉलोनी बनाने पर 3 से 7 साल की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुमार्ना था। अब इसे बढ़ाकर 7 से 10 साल की सजा और 50 लाख रुपये तक का जुमार्ना किया जा रहा है।
- कॉलोनाइजर की परिभाषा में विस्तार- अब व्यक्ति के साथ-साथ फर्म, कंपनी, सोसाइटी, प्रमोटर, संस्था और सरकारी इकाइयों को भी कॉलोनाइजर की श्रेणी में शामिल किया गया है। इसका मतलब है कि इन सभी पर सख्त कार्रवाई होगी।
- प्रदेश स्तर पर रजिस्ट्रेशन- पहले कॉलोनाइजर का रजिस्ट्रेशन जिला स्तर पर होता था, लेकिन अब यह पूरे प्रदेश के लिए एकीकृत होगा। इसके लिए सरकार एक रजिस्ट्रेशन प्राधिकारी नियुक्त करेगी।
- अनुमति की समय सीमा- कॉलोनी बनाने की अनुमति के लिए आवेदन पर सक्षम अधिकारी को तय समय में फैसला लेना होगा। यदि समय पर जवाब नहीं मिलता, तो अनुमति स्वत: मानी जाएगी।
- अवैध निर्माण पर कार्रवाई- जुलाई 2021 के बाद बनी अवैध कॉलोनियों को तोड़ा जाएगा और इसके लिए होने वाला खर्च कॉलोनाइजर से वसूला जाएगा।
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पुरानी कॉलोनियों का क्या होगा?
मध्यप्रदेश में अवैध कॉलोनियों को नियमित करने की समय सीमा को लेकर अभी असमंजस बना हुआ है। सरकार यह तय करने की कोशिश कर रही है कि 2016 से पहले बनी कॉलोनियों को वैध किया जाए या 2022 से पहले की कॉलोनियों को शामिल किया जाए। पिछले साल नगरीय प्रशासन विभाग ने जिला कलेक्टरों से 2016 तक की अवैध कॉलोनियों का डेटा मांगा था, जिससे संकेत मिलता है कि सरकार 2016 से पहले की कॉलोनियों को ही वैध करने पर विचार कर सकती है। यदि ऐसा हुआ तो 2016 के बाद बनी करीब 2,000 अवैध कॉलोनियों में रहने वाले लोग प्रभावित होंगे।
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शिवराज सरकार का फैसला क्या था?
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने कार्यकाल में अवैध कॉलोनियों को नियमित करने की दिशा में कदम उठाए थे। शुरू में 2016 से पहले बनी कॉलोनियों को वैध करने का फैसला लिया गया। इसके बाद विधानसभा चुनाव 2023 से पहले 23 मई 2023 को एक कार्यक्रम में शिवराज ने दिसंबर 2022 तक बनी सभी अवैध कॉलोनियों को नियमित करने की घोषणा की थी। उन्होंने विकास शुल्क न लेने का भी ऐलान किया था। शिवराज ने कहा था, जब ये कॉलोनियां बन रही थीं, तब सरकार को ध्यान देना चाहिए था। इसमें आम लोगों का क्या दोष? उनकी जिंदगीभर की कमाई इसमें लगी है। अवैध ठहराने का निर्णय ही अवैध है, इसे मैं समाप्त करता हूं।
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क्यों जरूरी हुआ संशोधन?
शिवराज सरकार के कार्यकाल में 2016 से पहले की 6,077 अवैध कॉलोनियां चिह्नित की गई थीं। लेकिन डॉ. मोहन यादव सरकार ने पिछले साल जब डेटा मंगाया तो पता चला कि यह संख्या बढ़कर 7,981 हो गई है। यानी 1,908 नई अवैध कॉलोनियां बन चुकी हैं। नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने विधानसभा में कहा था कि अवैध कॉलोनियां प्रदेश में गंभीर समस्या बन गई हैं। सरकार अब ऐसी कॉलोनियों को वैध नहीं करेगी, लेकिन वहां रहने वालों को बुनियादी सुविधाएं और बिल्डिंग परमिशन देने का काम जारी रहेगा।
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अधिकारियों और पुलिस पर भी शिकंजा
नए कानून में न सिर्फ कॉलोनाइजर, बल्कि लापरवाह अधिकारियों और पुलिस पर भी कार्रवाई का प्रावधान है।
- अधिकारियों की जवाबदेही- यदि नगर निगम या पालिका का कोई अधिकारी अवैध निर्माण रोकने में नाकाम रहता है, तो उसे 3 साल की सजा और 10,000 रुपये जुमार्ना हो सकता है।
- पुलिस की जिम्मेदारी- शिकायत मिलने पर 90 दिनों के भीतर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य होगा। ऐसा न करने पर पुलिस अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।
- पार्षदों की भूमिका- वार्ड पार्षद अब अवैध कॉलोनियों की लिखित शिकायत कलेक्टर या नगरपालिका अधिकारियों से कर सकेंगे।
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जनता पर असर…
नए कानून से अवैध कॉलोनियों के खिलाफ सख्ती बढ़ेगी, लेकिन यह भी सवाल उठता है कि पुरानी कॉलोनियों में रहने वाले लाखों लोगों का क्या होगा। यदि सरकार 2016 से पहले की कॉलोनियों को ही वैध करती है, तो उसके बाद बनी कॉलोनियों के निवासियों को परेशानी हो सकती है। वहीं, कड़े नियमों से भविष्य में अवैध कॉलोनियों की संख्या में कमी आने की उम्मीद है। मध्यप्रदेश सरकार का यह कदम अवैध कॉलोनियों पर लगाम लगाने की दिशा में बड़ा प्रयास है। सख्त सजा और जुमार्ने के साथ-साथ अधिकारियों की जवाबदेही तय करने से इस समस्या पर प्रभावी नियंत्रण की उम्मीद की जा रही है। हालांकि, पुरानी कॉलोनियों को नियमित करने की समय सीमा पर अंतिम फैसला अभी बाकी है, जिसका इंतजार प्रदेश की जनता को है।
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