भाजपा पार्षद ने की आत्मदाह की कोशिश
- बिजली विभाग के खिलाफ आत्मदाह की कोशिश की, दो बच्चों की मौत का मामला गरमाया

जबलपुर: मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के पाटन नगर परिषद के वार्ड नंबर 10 से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पार्षद सत्यम मेहरा ने शनिवार को बिजली विभाग के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए आत्मदाह करने की कोशिश की। यह घटना पाटन विद्युत केंद्र पर उस समय हुई जब पार्षद ने अपने ऊपर पेट्रोल छिड़क लिया और आग लगाने की कोशिश की। मौके पर मौजूद लोगों ने तुरंत उनकी माचिस छीन ली और पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया और पार्षद की शिकायत दर्ज कर जांच शुरू करने की बात कही है।
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बच्चों की मौत से शुरू हुआ विवाद
पार्षद सत्यम मेहरा ने बताया कि यह पूरा मामला 22 मार्च को ग्राम सुरैया तिराहा में हुए एक दर्दनाक हादसे से जुड़ा है। इस हादसे में सड़क किनारे गिरे बिजली के तार की चपेट में आने से दो सगे भाई-बहन, प्रशांत और चांदनी, की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि तीसरा बच्चा गणेश गंभीर रूप से झुलस गया। यह हादसा खेत में गिरी 11 केवी की हाई वोल्टेज लाइन के कारण हुआ था। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने इसकी शिकायत पहले ही बिजली विभाग के लाइनमैन को दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। हादसे के बाद घायल बच्चे गणेश को पाटन अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है। पार्षद ने इस मामले को लेकर कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक (एसपी) और स्थानीय विधायक से शिकायत की थी। उनके प्रयासों के बाद प्रशासन ने पीड़ित परिवारों को 4-4 लाख रुपये मुआवजे का निर्देश दिया। हालांकि, पार्षद का आरोप है कि इसके बाद से बिजली विभाग के अधिकारी उन्हें जानबूझकर परेशान कर रहे हैं।
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बिजली काटने से बढ़ा तनाव
पार्षद सत्यम मेहरा के मुताबिक, शनिवार को बिना किसी पूर्व सूचना के उनके घर की बिजली काट दी गई। इसकी जानकारी मिलते ही एसडीएम मानवेंद्र सिंह बिजली विभाग के कार्यालय पहुंचे और अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। इसके बाद पार्षद के घर की बिजली दोबारा जोड़ी गई। लेकिन इस घटना से नाराज पार्षद ने शाम करीब 4:30 बजे मोटरसाइकिल से पाटन विद्युत केंद्र पहुंचकर अपने ऊपर पेट्रोल डाल लिया और आत्मदाह की चेतावनी दी। उनके सहयोगियों और वहां मौजूद लोगों ने तुरंत हस्तक्षेप कर उन्हें रोक लिया। घटना के बाद विद्युत केंद्र पर लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई।
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पार्षद का आरोप: बच्चों के लिए लड़ाई की सजा
पार्षद सत्यम मेहरा ने बिजली विभाग पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि दो बच्चों की मौत के बाद उन्होंने पीड़ित परिवारों के लिए आवाज उठाई, जिसके चलते बिजली विभाग के अधिकारी उन्हें टारगेट कर रहे हैं। मेहरा ने बताया कि दो दिन पहले गांव के लोगों के साथ मिलकर उन्होंने एसडीएम को ज्ञापन सौंपा था और एक बैठक भी हुई थी। इसके बाद से ही बिजली विभाग की ओर से उन्हें परेशान करने की कोशिशें तेज हो गईं। शुक्रवार को उनकी गैरमौजूदगी में बिजली विभाग के कर्मचारियों ने उनके घर की बिजली काट दी। परिवार वालों ने जब इसका कारण पूछा तो कर्मचारियों ने कहा कि ऊपर से आदेश आया था।
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जब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं होगी, प्रदर्शन जारी रहेगा
पार्षद ने साफ कहा कि जब तक दो बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार बिजली विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने कहा, मैं बच्चों के लिए लड़ाई लड़ रहा हूं, लेकिन इसके बदले मुझे और मेरे परिवार को परेशान किया जा रहा है। बिजली विभाग की लापरवाही के कारण दो मासूमों की जान चली गई, लेकिन जिम्मेदारों को बचाने की कोशिश की जा रही है।
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ग्रामीणों में भी आक्रोश
22 मार्च को हुए हादसे के बाद से ग्रामीणों में भी बिजली विभाग के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि हादसे से पहले कई बार बिजली के खुले तारों की शिकायत की गई थी, लेकिन विभाग ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। हादसे में सुखदेव प्रधान के दो बच्चों की मौत और एक के घायल होने से पूरे इलाके में शोक और आक्रोश का माहौल है।
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पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
पुलिस ने आत्मदाह की कोशिश के बाद पार्षद की शिकायत पर जांच शुरू कर दी है। वहीं, एसडीएम मानवेंद्र सिंह ने बिजली विभाग के अधिकारियों को लापरवाही के लिए फटकार लगाई और पार्षद के घर की बिजली तुरंत बहाल कराई। प्रशासन का कहना है कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी। इस घटना ने एक बार फिर बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्षद सत्यम मेहरा के इस कदम के बाद स्थानीय लोगों का समर्थन बढ़ता दिख रहा है। आने वाले दिनों में यह मामला और तूल पकड़ सकता है, क्योंकि पार्षद और ग्रामीण दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
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