धर्म

नंदी जी के कान में क्यों कहीं जाती है मनोकामनाएं

अक्सर हमने देखा है कि जब भी कोई भगवान शिव के मंदिर में दर्शन के लिए जाते है, तब वह भगवान के समुख मौजूद नंदी जी के कान में कुछ कहते है, अक्सर लोग नंदी जी के कान में मनोकामनएं पूरी करने की प्रार्थना करते है। लेकिन क्या आपकों पता है कि नंदीजी के कान में मनोकामनाएं क्यों कहीं जाती है और इसको कहने के भी कुछ नियम है। हम आपकों बताते है इसके बारे में… तो पढ़े पूरी खबर।

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नंदी जी का परिचय

शिलाद ऋषि के पितरों ने उनसे वंश बढ़ाने के लिए कहा, शिलाद ऋषि ने भगवान शिव की घोर तपस्या कर के एक अयोनिज (वह व्यक्ति जिसका जन्म किसी गर्भ से नहीं हुआ हो) और मृत्युहीन पुत्र का वर मांगा। एक दिन जब शिलाद ऋषि कृषि भूमि जोत रहे थे तो उन्हें भूमि से एक पुत्र की प्राप्ति हुई, उसका नाम उन्होंने नंदी रखा। एक दिन शिलाद ऋषि के आश्रम में अति विद्वान और त्रिकालदर्शी मुनिश्री मित्रा और वरुण आये उन्होने कहा नंदी को देख कर जान लिया कि ये तो अल्पायु है। उन्होंने ऋषि शिलाद से पुत्र नंदी के विषय मे कहा।

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ऋषि शिलाद बहुत दुखी हुए उन्होने नंदी से शिव की आराधना करने को कहा तब नंदी ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की, नंदी जी की तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी प्रकट हुए, नंदी ने भगवान से दीघार्यु का आशीर्वाद मंगा तो शिवजी ने उत्तर दिया तुम मेरे वरदान से उत्पन्न हुए हो तो तुम्हे मृत्यु से कोई भय नही अब तुम मेरे प्रिय वाहन होंगे और गणाधीश भी होंगे। तब से नंदी भगवान शिव के गणों में प्रमुख ओर शिव जी के प्रिय वाहन है।

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नंदी के कान में कहने के भी हैं कुछ नियम

  • नंदी के कान में अपनी मनोकामना करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपकी कही हुई बात कोई और न सुनें। अपनी बात इतनी धीमें कहें कि आपके पास खड़े व्यक्ति को भी उस बात का पता ना लगे।
  • नंदी के कान में अपनी बात कहते समय अपने होंठों को अपने दोनों हाथों से ढंक लें ताकि कोई अन्य व्यक्ति उस बात को कहते हुए आपको ना देखें।

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  • नंदी के कान में कभी भी किसी दूसरे की बुराई, दूसरे व्यक्ति का बुरा करने की बात ना कहें, वरना शिवजी के क्रोध का भागी बनना पड़ेगा।
  • नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहने से पूर्व नंदी का पूजन करें और मनोकामना कहने के बाद नंदी के समीप कुछ भेंट अवश्य रखें। यह भेंट धन याह फलों के रूप में हो सकती है।
  • अपनी बात नंदी के किसी भी कान में कही जा सकती है लेकिन बाएं कान में कहने को अधिक महत्व है।

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नंदी के कान में कहने का मुख्य कारण

भगवान शिव समाधिस्थ रहते है और बंद आंखों से सम्पूर्ण जगत का संचालन करने का मुख्य कार्य करते है, तो नन्दी उनके लिए चैतन्य रूप का कार्य करते है वो उनकी समाधि के बाहर बैठे रहते है, जिससे उनकी समाधि में विघ्न न हो तो भक्त अपनी मनोकामना या समस्या नंदी जी के कान में कह देते है। माना जाता है उनके कान में कही गयी बात शिवजी को अक्षरश: चली जाती है और उस भक्त की समस्या का समाधान या मनोकामना पूर्ति शीघ्रातिशीघ्र हो जाती है।

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पण्डित नरेंद्र शर्मा
ज्योतिषाचार्य एवम अनुष्ठानकर्ता

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Dharmendra Bhati

मैं धर्मेंद्र भाटी, DB News24 का Author & Founder हूँ तथा पिछले 22 वर्षो से निरंतर सक्रिय पत्रकारिता के माध्यम राजनितिक, प्रशासनिक, सामाजिक और धार्मिक खबरों की रिपोर्टिंग करता हूँ साथ ही Daily जॉब्स, ज्योतिष, धर्म-कर्म, सिनेमा, सरकरी योजनाओ के बारे में आर्टिकल पब्लिश करता हूँ। हमारा संकल्प है कि नई-नई जानकारियाँ आप तक सरल और सहज भाषा में आप तक पंहुचे। जय हिन्द

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