जहां कभी सिंहस्थ कैंप लगे ही नहीं, फिर वह क्षेत्र सिंहस्थ के लिए आरक्षित कैसे/ watch video
उज्जैन। मास्टर प्लान 2035 (Master Plan 2035) को लेकर दावे आपत्ति का दौर जारी है, ऐसे में कुछ लोग पुराने शहर को अभी भी सिंहस्थ क्षेत्र (Simhastha) से मुक्त नही होने दे रहे है, जबकि पुराने शहर के 15 से अधिक वार्ड ऐसे है, जिनमें लाखों की संख्या में लोग रहते है, इस क्षेत्र सिंहस्थ कभी लगा ही नही, लेकिन उसके बावजूद सिंहस्थ के लिए आरक्षित जमीन के नाम पर लोगों को परेशान किया जा रहा है। इसको लेकर अब पुराने शहर के लोग एकमत होकर इसके विरोध में उतर आये है।
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हजारों लोगों ने लिखित में दी आपत्ति
5 मई को सुबह 9 बजे से पीपलीनाका चौराहे पर बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए और अपने मकान और भूमि जहां पर कभी सिंहस्थ लगा ही नहीं इस मकान/ भूमि को सिंहस्थ क्षेत्र से मुक्त करने की मांग को लेकर लिखित में अपनी आपत्तियां दी है। इसके अलावा क्षेत्र की कालोनियों को वैध करने के लिए भी प्रशासन और शासन से मांग की गई है। बताया जाता है कि यह सभी आपित्तयां एक साथ मुख्यमंत्री और जिला कलेक्टर को सौंपी जायेंगी, ताकि पुराने शहर के जिस क्षेत्र को कतिपय मीडिया और नेता सिंहस्थ भूमि बताकर मास्टर प्लान में छेड़छाड़ का प्रयास कर रहे है, उन्हें अपनी ताकत का अहसास मतदाता करा सके।
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सांसद फिरोजिया को दिया ज्ञापन
पीपलीनाका चौराहे पर एकत्रित हुए हजारों लोगों ने सबसे पहले एडीएम को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन व हजारों की संख्या में अपनी आपत्तियां सौंपी इसके बाद सभी सांसद निवास पर पहुंचे जहां सांसद अनिल फिरोजिया को ज्ञापन देकर सिंहस्थ क्षेत्र से जमीन को मुक्त करवाने और शिप्रा के आसपास ग्रीन बेल्ट की सीमा 300 मीटर करने की मांग की गई है। विधायक पारस जैन, पूर्व निगम सभापति सोनू गेहलोत, मनोहर गेहलोत, पूर्व महापौर मीना जोनवाल सत्यनारायण खोईवाल, विशालसिंह राजौरिया, जयप्रकाश राठी, ओम अग्रवाल, माली समाज अध्यक्ष लीलाधर भाटी, हेमंत गेहलोत, गज्जू मारोठिया, पुष्पेंद्र शर्मा आदि मौजूद थे।
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ना तो बैंक लोन, ना ही मकान के नक्क्षे स्वीकृत
उल्लेखनीय है कि वार्ड क्रमांक 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 10, 11, 12,13, 33, 34, 35 का क्षेत्र ऐसा है, जहां कभी सिंहस्थ कैंप लगे ही नही है, लेकिन उसके बावजूद वर्षों से इस क्षेत्र पर रहने वालों को सिंहस्थ क्षेत्र के लिए आरक्षित भूमि के नाम पर परेशान किया जा रहा है। इन क्षेत्रों में ना तो बैंक लोन देती है, ना ही मकान के नक्क्षे स्वीकृत होते है। लेकिन अब लोगों की मांग है उक्त क्षेत्र को सिंहस्थ से मुक्त किया जाये।
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अभी नही तो कभी नहीं
क्षेत्र के जागरूक जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों का कहना है कि मास्टर प्लान 2035 में एक बार फिर से इस पूरे क्षेत्र को सिंहस्थ क्षेत्र के लिए आरक्षित दर्शाने का जो षड़यंत्र चल रहा है, उसका अगर अभी विरोध नही किया तो फिर कभी भी इस क्षेत्र का विकास संभव नही होगा। क्योंकि अगर मास्टर प्लान 2035 में कोई संसोधन नही हुआ तो आने वाले 15-20 साल तक कुछ नही होगा। मास्टर प्लान पर दावे आपत्तियां 8 मई तक बुलाई गई है, ऐसे में जरूरी है कि सभी एकजुट होकर इस मुहिम को आगे बढ़ाये।
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कुछ महत्वपूर्ण तथ्य…
उपरोक्त वार्डों में से वार्ड क्रमांक 4, 5, 10, 11, 12 और 35 ही ऐसे वार्ड हैं जिनका आंशिक या लगभग आधा हिस्सा सिंहस्थ क्षेत्र में आ रहा है, बाकि जो अन्य 09 वार्ड (संपूर्ण मधुकर नगर) सम्पूर्ण सिंहस्थ क्षेत्र होकर हिंदू बाहुल्य है। इन 15 वार्डों में लगभग 1 लाख आबादी और 60 हजार मतदाता निवास करते हैं। फिर यह दुर्दशा क्यों? इन क्षेत्रों में हमारे प्राचीन देवी देवताओं के मंदिर, मठ, आश्रम आदि स्थान भी है। यदि इस क्षेत्र में हिंदू आबादी नहीं रहेगी तो इनको पूजने वाला व इनका रखरखाव करने वाला कोन होगा।
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- वार्डों के आसपास कृषक भी रहते हैं। कई संतों के आश्रम भी हैं। इनके लिए भी इस मास्टर प्लान में कोई रियायत नहीं दी गई हैं।
- इतनी बड़ी आबादी के बावजूद अपने क्षेत्र में अच्छे स्कूल, अस्पताल, पेट्रोल पंप, मॉल, कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउस, मनोरंजन के साधन, रिजॉर्ट, होटल क्यों नहीं हैं। क्योंकि यह सिंहस्थ क्षेत्र हैं।
- क्या सिंहस्थ क्षेत्र में रहना गुनाह हैं? आने वाले समय में मप्र सरकार कालोनियों को वैध करने वाली है पर इन वार्डों की कालोनियां वैध नहीं होगी क्योंकि यह सिंहस्थ क्षेत्र हैं।
- नगर निगम, बिजली विभाग, शासन ने सारी सुविधा दे रखी हैं फिर यह सिंहस्थ क्षेत्र क्यों? क्योंकि आज तक जनप्रतिनिधियों ने इस बात को दमदारी से रखा ही नही।
- इन्हीं वार्डों में 10 गांव आते हैं जहां की बसाहट 100 साल से भी ज्यादा की हैं, उन ग्रामीण इलाकों को भी सिंहस्थ में डालकर अवैध घोषित कर रखा हैं।
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