रिश्वतखोरी के आरोप में प्रधान आरक्षक समेत दो गिरफ्तार
एक केस से नाम हटाने के बदले 50,000 रिश्वत की मांग की थी

सरदारपुर, धार: ग्राम झिन्झापाड़ा निवासी नानूराम ओसारी (28) ने पुलिस अधीक्षक, विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त कार्यालय, इंदौर में शिकायत दर्ज कराई कि प्रधान आरक्षक बनेसिंह परमार ने एक केस से नाम हटाने के बदले 50,000 रिश्वत की मांग की थी। जिस पर कार्यवाही करते हुए लोकायुक्त टीम ने आरोपी प्रधान आरक्षक सहित उसके साथी को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है।
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घटना का विवरण
14 मार्च 2025 को नानूराम ओसारी ग्राम बोला में भजन संध्या में गए थे। इसी दिन उनके गांव में भगवान सिंह भाभर और सुरेश औसारी के बीच झगड़ा हुआ, जिसकी शिकायत भगवान सिंह की पत्नी छन्नुबाई ने राजोद थाने में दर्ज कराई। इस एफआईआर में सुरेश औसारी सहित नानूराम ओसारी के परिवार के आठ लोगों को आरोपी बनाया गया था। मामले की जांच प्रधान आरक्षक बनेसिंह परमार कर रहे थे। 15 मार्च 2025 को जब नानूराम को थाने बुलाया गया, तब उन्होंने प्रधान आरक्षक को बताया कि वे घटना के दिन गांव में थे ही नहीं। इसके बावजूद उनका नाम एफआईआर में डाल दिया गया था। इस पर प्रधान आरक्षक बनेसिंह परमार ने नाम हटाने के एवज में 50,000 रिश्वत की मांग की।
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लोकायुक्त की कार्रवाई
नानूराम ओसारी ने इसकी शिकायत इंदौर लोकायुक्त एसपी राजेश सहाय से की थी जिसके बाद इस मामले में जांच की गई तो शिकायत सही पाये जाने के बाद 21 मार्च 2025 को ट्रैप दल का गठन किया गया और आरोपी प्रधान आरक्षक बनेसिंह परमार के कहने पर उनके सहयोगी भारत डामर को नानूराम से 22,500 रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त दल ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया।
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मामले में कार्यवाही जारी
लोकायुक्त पुलिस ने प्रधान आरक्षक बनेसिंह परमार और भारत डामर के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 की धारा 7 और धारा 61(2) बी.एन.एस. 2023 के तहत कार्रवाई की है। पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस, सरदारपुर में इस मामले की जांच जारी है।
कार्रवाई में शामिल अधिकारी
इस कार्रवाई में लोकायुक्त डीएसपी सुनील तालान, निरीक्षक राहुल राजभिये, प्रधान आरक्षक प्रमोद यादव, आरक्षक विजय कुमार, आशीष नायडू, कमलेश परिहार, आशीष आर्य और शेरसिंह ठाकुर शामिल रहे। लोकायुक्त पुलिस अब आरोपियों के खिलाफ विस्तृत जांच कर रही है और आगे की कानूनी प्रक्रिया जारी है।
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