अधिनियम ताक में रखकर टाईम कीपर बन गया प्रभारी फायर ऑफिसर

– आखिर कैसे एक टाईम कीपर सब फायर ऑफिसर की ट्रेनिंग पर चला गया, जांच का विषय
उज्जैन। नगर निगम के फायर बिग्रेड में प्रभारी फायर ऑफिसर की जिम्मेदारी संभालने वाले राजेश तिवारी का मूल पद वैसे तो टाईम कीपर का है, जिसने कभी भी फायर विभाग में लीडिंग फायरमेन और फायरमेन का कार्य नही किया इसका खुलासा नगर निगम एवं फायर विभाग के सहायक सूचना अधिकारी ने पत्र हो रहा है, लेकिन उसके बावजूद टाईम कीपर बगैर विभाग की स्वीकृति के स्वयं ही सब फायर ऑफिसर की ट्रेनिंग कर आ गया और प्रभारी सब फायर ऑफिसर की जिम्मेदारी भी संभालने लग गया।
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सूत्रों के अनुसार नगर निगम के प्रभारी फायर ऑफिसर की जिम्मेदारी संभालने वाले राजेश तिवारी इस पद के योग्य ही नही है, उन्होंने ना केवल शासन के अधिनियम को ताक में रखा बल्कि विभाग की बगैर स्वीकृति के सब फायर ऑफिसर की ट्रेनिंग भी भोपाल में कर ली और अब उज्जैन नगर निगम के फायर बिग्रेड विभाग में प्रभारी सब फायर ऑफिसर की जिम्मेदारी संभाल रहे है। जिसको लेकर प्रकाशित समाचारों और शिकायतों के बाद आयुक्त अंशुल गुप्ता ने जांच के आदेश भी दिये है, लेकिन अभी तक इस मामले में जांच शुरू ही नही हो पाई है।
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यह है नियम, लेकिन नही किया पालन
मप्र नगर पालिक निगम (अधिकारियों तथा… की शर्ते) नियम 2000 के अंतर्गत अनुसूची-दो नियम 5(2) में स्पष्ट उल्लेखित है कि जिसका मूल पद फायरमेन है, वहीं लीडिंग फायरमेन बन सकता है, इसके अलावा उसे ही सब फायर ऑफिसर बनाया जा सकता है। लेकिन सूत्रों की माने तो राजेश तिवारी का मूल पद टाईम कीपर है और उन्होंने कभी भी नगर निगम में लीडिंग फायरमेन या फायरमेन के पद पर कार्य नही किया है, जो सूचना के अधिकार के अंतर्गत ली गई जानकारी से स्पष्ट होता है।
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नगर निगम के प्रभारी अधिकारी एवं सहायक लोक सूचना अधिकारी ने 9 जनवरी 2012 के पत्र क्रमांक 02 में स्पष्ट लिखा है कि ना तो राजेश पिता कैलाश तिवारी को फायर बिग्रेड में कभी भी लिंडिग फायर मेन एवं फायर मेन का कार्य संपादित नही किया गया है। ऐसे में राजेश तिवारी ने शासन के अधिनियम को ताक में रखकर पहले तो सब फायर ऑफिसर की ट्रेनिंग हासिल की वहीं इस ट्रेनिंग के दौरान विभाग से अनुमति भी हासिल नही की।
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तात्कालीन आयुक्त ने दिये थे सस्पेंड करने के आदेश
सूत्रों की माने तो इस मामले की शिकायत वर्षों पहले ही नगर निगम के समक्ष आ गई थी, उस दौरान नगर निगम आयुक्त रहे महेशचंद्र चौधरी ने इस मामले में जांच करवाई थी, जिसके बाद उन्होंने टाईम कीपर राजेश तिवारी के खिलाफ सस्पेंड करने की कार्यवाही के लिए नोटशीट भी विभाग द्वारा चलाई थी, लेकिन महेशचंद्र चौधरी का स्थानांतरण होते ही यह जांच फाईल और नोटशाीट कागजों में दबा दी गई। सूत्रों की माने तो एक बार फिर वर्तमान नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिये, लेकिन यह जांच भी कछवे की चाल चल रही है या अभी शुरू ही नही हो पाई है।
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खड़ी गाड़ियों में भरा रहा डीजल, लॉकबुक भी अधूरी
कहते है ना कि जिसका काम उसी को साधे, लेकिन नगर निगम के फायर बिग्रेड विभाग में सबकुछ उल्टा ही चल रहा है। टाईम कीपर से सब फायर ऑफिसर बने राजेश तिवारी को ना तो वाहनों की मैकेनिकल, टैक्निकल जानकारी है ना ही अनुभव उसके बावजूद वह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे है। सूत्रों की माने तो फायर बिग्रेड के वाहन क्रमांक एमपी 13-1103 फोम टैंकर में कुछ दिनों पहले 90 लीटर डीजल डलवाया गया है, जबकि यह आपतकाल में ही उपयोग किया जाता है,
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वहीं एमपी 13-0035 गाड़ी चलती ही नही है उसमें भी 30 लीटर डीजल भरवाया गया है, इसी प्रकार छोटा फायटर एमपी 13-9265 भी नही चलता है और इसमें भी डीजल भरवाने की जानकारी मिली है। सूत्रों की माने तो डीजल की पर्ची भी चालकों को नही दी जाती है, केवल यह कहां जाता है कि पंप पर जाकर बात करवा देना, जबकि राजेश तिवारी को डीजल पर्ची और लॉकबुक चालकों से भरवाना चाहिए, वह भी वे स्वयं ही भर रहे है।
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ट्रांसफर का खौफ… कर्मचारियों में भय
सब फायर ऑफिसर राजेश तिवारी द्वारा अब फायर बिग्रेड के कर्मचारियों को कहां जा रहा है कि मैं पूरा स्टाफ चेंज कर दूंगा, उसका असर भी दिखाई देने लगा है। फायर बिग्रेड के पुराने और अनुभवी लोगों को फायर बिग्रेड जैसे आपतकालीन सेवा वाले विभाग से हटाकर स्थापना, स्वच्छ भारत मिशन शाखा सहित संपदा शाखा में तबादला किया जा रहा है। हाल ही में सहायक आयुक्त स्थापना द्वारा जारी आदेश क्रमांक स्थापना /2022/157 दिनांक 10 फरवरी 22 के जरिये फायर बिग्रेड में 30 सालों से सेवा दे रहे प्रकाश जैन सहित अनुभवी मुकेश मीणा और रवि सौदे का अन्य विभागों में तबादला किया गया है, जो फायर विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है।
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