नगर निगम उज्जैन को सरकार अपने अधीन ले ले…
ठेकेदार को भुगतान नही करने पर चीफ जस्टिस की टिप्पणी... महाकाल की नगरी में नगर निगम की ऐसी हालत
उज्जैन। उज्जैन नगर निगम लगातार ठेकेदारों को फंड की कमी बताकर भुगतान करने से बचती आ रही है, उसी का नतीजा है कि कुछ ठेकेदारों को अब अपने बकाया भुगतान के लिए न्यायालय की शरण लेना पड़ रही है। ऐसे ही एक मामले में इंदौर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने सख्त टिप्पणी करते हुए उज्जैन नगर निगम को ठेकेदार का बकाया भुगतान चार सप्ताह में करने के आदेश देते हुए कहां कि महाकाल की नगरी में उज्जैन नगर निगम की ऐसी हालत, अगर ऐसा है तो सरकार नगर निगम को अपने अधीन ले ले।
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मंगलवार को इंदौर हाईकोर्ट में उज्जैन नगर निगम के एक ठेकेदार को भुगतान नही होने के मामले में सुनवाई हुई, जिसमें मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने उज्जैन नगर निगम को ठेकेदार को चार सप्ताह में पूरा भुगतान करने का आदेश दिया है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने कहा कि महाकाल की नगरी उज्जैन में निगम अधिकारी अकाल ढा रहे हैं। सरकार जांच करें। अगर वास्तव में उज्जैन नगर निगम की आर्थिक स्थिति इतनी बदहाल है कि वह ठेकेदार को भुगतान नहीं कर पा रहा है तो सरकार इसे अपने अधीन ले ले। इतना ही नहीं कोर्ट ने यह तक कहा है कि अधिकारियों का वेतन आधा कर भुगतान किया जाए।
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ठेकेदार की याचिका पर हुई सुनवाई
उज्जैन नगर निगम ठेकेदार विमल जैन की याचिका पर चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने अपने फैसले में कहा कि जब तक ठेकेदार को भुगतान नहीं हो जाता तब तक अधिकारियों का वेतन आधा कर दिया जाए। नगर निगम चार सप्ताह में ठेकेदार को पूरा भुगतान करें। वरना उज्जैन नगर निगम कमिश्नर के खिलाफ अवमानना का मामला चलेगा। अगर सही में फंड की कमी है तो शासन मामले की देखरेख करे और नगर निगम को अपने अधिग्रहण में ले ले।
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यह था मामला…
याचिकाकर्ता उज्जैन नगर निगम ठेकेदार विमल जैन के वकील लक्की जैन ने कोर्ट को बताया कि साल 2020 में उज्जैन के गंधर्व तालाब के सौंदर्यीकरण का काम किया था। जिस पर 70 लाख रुपए खर्च हुए थे। बाद में नगर निगम ने फंड की कमी बताकर काम ड्रॉप कर दिया। साथ ही ठेकेदार को भुगतान भी नहीं किया गया। 2020 से ही पेमेंट नहीं दिया। आडिट हो गया था। जनवरी 2024 में याचिका लगाई गई। तब भी फंड की कमी नगर निगम ने बताई। अभी तक 5 सुनवाई हो चुकी है। जवाब नगर निगम की तरफ से फाइल नहीं किया गया। निगम कमिश्नर की तरफ से शपथ पत्र दिया गया। जिसमें फंड की बात कही।
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