मिट्टी के डेम के लिए शिप्रा नदी का कटाव
- – ठेकेदार की मनमानी और सिचाई विभाग की अनदेखी पड़ेंगी भारी
उज्जैन। शिप्रा नदी में खान नदी का गंदा पानी ना मिले, इसके लिए सिचाई विभाग द्वारा लाखों की लागत से फिर से अस्थाई रूप से मिट्टी का डेम बनाया जा रहा है, लेकिन मिट्टी के डेम के लिए शिप्रा नदी का ही कटावा कर मिट्टी ली जा रही है। इतना ही नही शिप्रा नदी पर स्थित त्रिवेणी पुल के पिल्लरों के आसपास भी जमकर खुदाई कर मिटटी निकाली जा रही है। ठेकेदार की मनमानी और सिचाई विभाग की यह अनदेखी ना सिर्फ शिप्रा नदी का कटाव बढ़ा रही है, बल्कि त्रिवेणी पुल पर भी खतरा उत्पन्न हो रहा है।
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पिछली शनिश्चरी अमावस्या पर त्रिवेणी पर बनाये गये अस्थाई मिट्टी के डेम का आचानक बह जाने से खान नदी का गंदा पानी त्रिवेणी स्थित शिप्रा नदी में आ गया था, जिससे वहीं स्टापडेम के ओवर फ्लो होने से खान का गंदा पानी रामघाट तक पहुंच गया था, जिससे शिप्रा का साफ पानी खराब हो गया था। इस मामले को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया था और जल संसाधन विभाग, नगरीय प्रशासन और नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अफसरों ने दौरा भी किया था।
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जिम्मेदारों के निर्देश भी हवा
राज्य शासन ने अधिकारियों को जिम्मेदारी दी थी कि मकर संक्रांति के रूप यहां पर एक अस्थाई डेम बनाकर शिप्रा में मिलने वाले खान नदी के गंदे पानी को रोका जाये, वहीं स्थाई डेम के लिए प्रस्ताव तैयार कर भेजा जाये। जिस पर लगभग साढ़े चार करोड़ रूपये का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया है, लेकिन इसी बीच मकर संक्रांति को देखते हुए शिप्रा स्रान करने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के मद्देनजर अस्थाई डेम सिचाई विभाग द्वारा बनाया जा रहा है, लेकिन यहां जो ठेकेदार काम कर रहा है, उसकी मनमानी और सिचाई विभाग के अधिकारियों की अनेदखी से दोहरा नुकसान हो रहा है।
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ठेकेदार की मनमानी के आगे बेबस
जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने भी खान और शिप्रा का दौरा कर अधिकारियों को निर्देश दिए थे। इस दौरान उन्होंने भी शिप्रा नदी पर बने त्रिवेणी पुल के नीचे बने पिल्लरों के आसपास खुदाई पर आपत्ति ली थी, लेकिन उसके बावजूद यहां ठेकेदार जाट द्वारा जेसीबी और डंपरों की मदद से शिप्रा नदी के तट से मिट्टी की खुदाई कर अस्थाई डेम बनाया जा रहा है। इसकी शिकायत सिचाई विभाग के अधिकारियों तक भी पहुंची लेकिन ठेकेदार की मनमानी के आगे वह भी बेबस नजर आ रहे है।
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यह हो रहा नुकसान
किसी भी नदी के तट का कटाव नही किया जाता है, लेकिन यहां पर शिप्रा नदी का कटाव किया जा रहा है, जिससे नदी का स्वरूप बिगड़ने का खतरा बन रहा है, वहीं त्रिवेणी पुल के नीचे पिल्लरों के आसपास खुदाई से पुल की मजबूती पर भी असर पड़ता दिखाई दे रहा है। कहीं ऐसा ना हो कि ठेकेदार और सिचाई विभाग की यह लापरवाही भविष्य में कोई खतरा उत्पन्न कर दे।
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इनका कहना है…
मेरे पास भी जानकारी आई है, मैं स्वयं मौके पर पहुंचकर मामले को दिखवाता हूं, लेकिन जहां तक मेरी जानकारी है मिट्टी की खुदाई शिप्रा नदी के तट से पहले की गई थी, वर्तमान में नही की जा रही है। फिर भी मामले की जांच करवाई जायेंगी। यहां जेसीबी व डम्पर अशोक जाट के चल रहे है।
कमल कुवाल, ईई सिचाई विभाग
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