डेरा सच्चा सौदा सिरसा के राम रहीम का अभी भी राजनीति में हस्तक्षेप
– पंजाब चुनाव में डेरा समर्थकों को राजनैतिक विंग देती है किसे देना है वोटों के जरिये समर्थन
– जानिये कौन है राम रहीम और क्या है विवादों से उनका नाता, लेकिन फिर भी भक्तों का सैलाब
डेरा सच्चा सौदा सिरसा (Dera Sacha Sauda Sirsa) के प्रमुख गुरूमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) भले ही विवादों और दुष्कर्म के मामलों में जेल जा चुके है, लेकिन पंजाब विधानसभा चुनाव के ठीक पहले उनके पैरोल बाहर आने से राजनैतिक सरगर्मी बढ़ गई है। क्योंकि अभी भी लाखों राम रहीम समर्थक उनके एक ईशारे पर किस राजनैतिक पार्टी को वोट के जरिये समर्थन देना है तय करते है। हालांकि समर्थकों और भक्तों को राम रहीम की राजनैतिक विंग यह संदेश पहुंचाती है।
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गुरूमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) के डेरा सच्चा सौदा सिरसा का पंजाब विधानसभा चुनाव में कई जिलों की विधानसभा सीटों पर सीधा प्रभाव रहता है। जानकारों की माने तो पंजाब के मालवा में आने वाले फिरोजपुर, मोगा, फाजिल्का, अबोहर, बरनाला, मलेरकोटला, फतेहगढ़ साहिब, फरीदकोट, मुक्तसर साहिब बठिंडा, पटियाला, लुधियाना, मानसा, संगरूर जिले आते हैं, जिनकी लगभग 69 विधानसभा सीटों पर डेरा सच्चा सौदा सिरसा यानि राम रहीम का प्रभाव माना जाता है।
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चुनावों में डेरा सच्चा सौदा सिरसा की रही भूमिका
चुनावी विशेषज्ञों की माने तो पंजाब के मालवा क्षेत्र में डेरा सच्चा सौदा सिरसा यानि राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) की अहम भूमिका रही है। पंजाब में हुए 2007, 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में डेरा का दखल रहा था। इसके अलावा साल 2014 के लोकसभा व अक्तूबर 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में डेरा ने खुलकर भाजपा का समर्थन किया था। खुद डेरा प्रमुख ने 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम के स्वच्छ भारत मिशन की सराहना करते हुए समर्थन दिया, जिसका असर देखने को भी मिला था।
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इस बार शिरोमणि अकाली व भाजपा को समर्थन..!
चुनावी विशेषज्ञों की माने तो इस बार डेरा सच्चा सौदा सिरसा प्रमुख राम रहीम की राजनैतिक विंग ने भाजपा और शिरोमणि अकाली दल को अपना समर्थन देने का संदेश अपने समर्थकों और भक्तों तक कोर्ड वर्ड के रूप में पहुंचा दिया है। सूत्रों की माने तो डेरा सच्चा सौदा सिरसा की राजनीतिक विंग ने पंजाब विधानसभा चुनावों में रातों रात अपना फैसला बदल दिया और सुबह कुछ जगहों पर डेरा प्रेमी भाजपा के समर्थन में वोट करके आए, लेकिन इसके बाद कोड वर्ड ‘फूल के साथ तकड़ी’ आ गया। ‘फूल’ मतलब कमल भाजपा का चुनाव चिन्ह है, जबकि ‘तकड़ी’ यानी तराजू शिरोमणि अकाली दल का चुनाव चिन्ह है।
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नेता देते रहे है हाजरी…
बताया जाता है कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह 2012 के विधानसभा चुनाव के लिए डेरे में गए थे। वहीं उनकी पत्नी परणीत कौर और बेटा भी वोटों के लिए डेरा में गया। बादल पिता-पुत्र भी वोटों के लिए डेरा की हाजिरी भर चुके हैं। फरवरी 2017 में हुए पंजाब विधानसभा के चुनाव में पंजाब के सैकड़ों नेताओं ने डेरा में दस्तक दी थी। वहीं इस बार भी कई नेताओं ने डेरा सच्चा सौदा सीरसा में हाजरी लगाई है।
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आखिर कौन है गुरूमीत राम रहीम
गुरमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) का जन्म 15 अगस्त 1967 में हुआ था जो मूल रूप से पंजाबी जाट है। उनकी माता का नाम नसीब कौर औरपिता मघर सिंह है। यह परिवार डेरा सच्चा सौदा का भक्त था। गुरमीत राम रहीम सिंह हरियाणा के सिरसा में स्थित संस्था डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख है। डेरा सच्चा सौदा की स्थापना 1968 में शाह मस्ताना जी द्वारा की गई थी। गुरमीत राम रहीम इस संस्था के तीसरे प्रमुख थे। इनके कार्यकाल में डेरा का अभूतपूर्व प्रचार प्रसार हुआ और इनके अनुयायियों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई।
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विवाद, दुष्कर्म और हत्या तक में फंसे
गुरमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) के नेतृत्व में डेरा सच्चा सौदा में कई सकारात्मक कार्य किये गए, जिससे इसकी पहचान देशभर ही नही बल्कि विश्व में बनी। राम रहीम अक्सर विवादों में रहे, जिसकी शुरूआत 25 अगस्त 2017 को एक यौन शोषण मामले में अदालत द्वारा इन्हें दोषी करार दिए जाने के बाद चर्चाओं में रहने लगे। इस मामले में राम रहीम को 20 साल के सश्रम कारावास व 65 लाख रुपए जुमार्ने की सजा हुई है वहीं एक पत्रकार राम चन्द्र छत्रपति हत्या काँड में 11 जनवरी 2019 को दोषी करार दिया गया व दिनांक 17 जनवरी 2019 को सीबीआई की विशेष आदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई है।
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फिल्म और गाने का भी शौक
गुरमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) को फिल्म बनाने और गाने का भी शौक था। राम रहीम ने वर्ष 2014 में पहला म्यूजिक एल्बम हाईवे लव चार्जर लांच किया था, इसके बाद वर्ष 2015 ये फिल्म बनाने लगे, राम रहीम ने लगभग पांच फिल्मे बनाई थी। इन पर वर्ष 2002 से ही साध्वियों के साथ यौन शौषण व एक पत्रकार की हत्या का आरोप भी लगना शुरू हो गया था। इसके अलावा अनुयायियों को दल विशेष को वोट देने के लिए प्रेरित करने की परंपरा के चलते राम रहीम अक्सर विवादों में भी रहे।
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